मेरठ में गृहकर का 'झटका' या 'धोखा'? 2000 रुपए का बिल बना 3 लाख का, हजारों बिलों पर बवाल, निगम बोला- 'खुद तय करें अपना टैक्स'
230 रुपये का बिल 12 हज़ार, 1800 का 2.70 लाख! मेयर ने दिलाया भरोसा: घबराएं नहीं, मिलेगा न्याय
Jul 3, 2025, 16:22 IST
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मेरठ, उत्तर प्रदेश: शहर के लगभग 50,000 से भी ज़्यादा भवन मालिकों को नगर निगम द्वारा भेजे गए नए गृहकर के बिलों ने गहरे सदमे में डाल दिया है। मामूली 230 रुपये के बिल को 12 हज़ार, 1800 रुपये को सीधा 2.70 लाख और 3000 रुपये के बिल को 4.12 लाख रुपये तक पहुंचा दिया गया है! इन आसमान छूते बिलों को देखकर जहां एक ओर लोग परेशान हैं, वहीं अब नगर निगम के अधिकारी खुद ही लोगों से कह रहे हैं कि इन 'गलत' बिलों से घबराएं नहीं, बल्कि 'स्वकर प्रपत्र' भरकर अपनी सही जानकारी दें।READ ALSO:-यूपी बोर्ड: 9वीं-11वीं के छात्रों के अग्रिम पंजीकरण शुरू, जानें पूरी प्रक्रिया और महत्वपूर्ण तारीखें!
महापौर की 'अभय मुद्रा': घपलेबाजी की जांच, 2004 के नियमों से होगी वसूली
मेरठ की महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। बुधवार को उन्होंने नगर आयुक्त सौरभ गंगवार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक की। महापौर ने साफ शब्दों में कहा कि नए गृहकर बिलों में 'घपलेबाजी' की शिकायतें आ रही हैं और जनता को बिल्कुल भी डरने की ज़रूरत नहीं है।
मेरठ की महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। बुधवार को उन्होंने नगर आयुक्त सौरभ गंगवार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक की। महापौर ने साफ शब्दों में कहा कि नए गृहकर बिलों में 'घपलेबाजी' की शिकायतें आ रही हैं और जनता को बिल्कुल भी डरने की ज़रूरत नहीं है।
महापौर अहलूवालिया ने आश्वासन दिया, "नए गृहकर बिल को देखकर भयभीत न हों। नगर निगम डोर-टू-डोर 'स्वकर प्रपत्र' वितरित करवाएगा। आप स्वयं अपने भवन की सही जानकारी दें और उसी के आधार पर गृहकर की वसूली की जाएगी।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वसूली 'नियमानुसार' ही होगी, न कि निगम की मनमानी से।
एक बड़ी राहत यह भी दी गई है कि सन 2004 में लागू गृहकर नियमों के अनुसार ही शहर में भवन स्वामियों से वसूली की जाएगी। यह उन लाखों लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जिन पर जीआईएस सर्वे के नाम पर बढ़े हुए बिलों का बोझ थोपा गया था।
जीआईएस सर्वे पर उठे सवाल, लापरवाह अफसरों पर गिरेगी गाज!
जीआईएस सर्वे के ज़रिए क़रीब एक लाख नए भवनों को चिह्नित किया गया है, जिनसे अब गृहकर वसूलने की तैयारी है। लेकिन, इस सर्वे की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठ रहे हैं और कई लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। महापौर ने निर्देश दिए हैं कि सभी आपत्तियों का पहले निस्तारण किया जाए, उसके बाद ही नए बिलों का वितरण हो। शहर में कुल मिलाकर करीब 3.50 लाख भवनों से गृहकर की वसूली की जानी है।
जीआईएस सर्वे के ज़रिए क़रीब एक लाख नए भवनों को चिह्नित किया गया है, जिनसे अब गृहकर वसूलने की तैयारी है। लेकिन, इस सर्वे की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठ रहे हैं और कई लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। महापौर ने निर्देश दिए हैं कि सभी आपत्तियों का पहले निस्तारण किया जाए, उसके बाद ही नए बिलों का वितरण हो। शहर में कुल मिलाकर करीब 3.50 लाख भवनों से गृहकर की वसूली की जानी है।
महापौर ने यह भी चेतावनी दी है कि कुछ लोग नए गृहकर को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रत्येक शिकायत का 'शत-प्रतिशत' समाधान किया जाएगा और कहीं कोई 'गलत' वसूली नहीं होगी। 'स्वकर प्रपत्र' के बारे में जानकारी देने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने नगर आयुक्त को उन निगम अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिनकी लापरवाही के चलते यह स्थिति पैदा हुई है और जिनकी भूमिका सवालों के घेरे में है।
जनता की सुनवाई के लिए चौपाल और कंट्रोल रूम
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने बताया कि जनता की सहूलियत के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। नए गृहकर की वसूली से पहले, शहर के प्रत्येक वार्ड में 'चौपाल' लगाई जाएंगी, जहां लोग अपनी शिकायतें और आपत्तियां सीधे अधिकारियों के सामने रख सकेंगे और उनका मौके पर ही निस्तारण किया जाएगा।
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने बताया कि जनता की सहूलियत के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। नए गृहकर की वसूली से पहले, शहर के प्रत्येक वार्ड में 'चौपाल' लगाई जाएंगी, जहां लोग अपनी शिकायतें और आपत्तियां सीधे अधिकारियों के सामने रख सकेंगे और उनका मौके पर ही निस्तारण किया जाएगा।
इसके अलावा, निगम परिसर में एक विशेष 'कंट्रोल रूम' भी स्थापित किया गया है। शुक्रवार को कंकरखेड़ा, शास्त्रीनगर और मुख्यालय ज़ोन में 'समाधान दिवस' भी आयोजित किए जा रहे हैं। 'स्वकर प्रपत्र' को घर-घर पहुंचाने के लिए एक कंपनी को टेंडर देने की योजना है, जिसकी निगरानी कर निरीक्षक, कर निर्धारण अधिकारी और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी करेंगे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम की ये नई पहल जनता के भरोसे को कितना वापस ला पाती है और कब तक इन बढ़े हुए बिलों से लोगों को पूरी तरह निजात मिल पाती है। क्या आपके शहर में भी कभी ऐसे ही अचरज भरे बिलों का सामना करना पड़ा है?
