वीकेंड पर दिल्ली-देहरादून हाईवे पर भयंकर जाम: सिवाया टोल पर ब्लैकलिस्टेड फास्टैग और पुलिस की 'गैरमौजूदगी' बनी मुसीबत

 ब्लैकलिस्टेड फास्टैग और पुलिस की गैरमौजूदगी ने किया हाल-बेहाल, ढाबों की अवैध पार्किंग ने आग में घी डाला; मेरठ एक्सप्रेसवे पर थोड़ी राहत
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SIWAYA TOLL MRT
मेरठ, [सोमवार, 23 जून 2025] – वीकेंड पर दिल्ली-देहरादून हाईवे और मेरठ एक्सप्रेसवे पर आवागमन का ऐसा आपातकाल आया कि लाखों यात्रियों की साँसें जाम में अटक गईं। रविवार को छुट्टी मनाने निकले लोगों को घंटों सड़कों पर फँसना पड़ा, जिसका मुख्य कारण ब्लैकलिस्टेड फास्टैग का बड़े पैमाने पर फेल होना, पुलिस की अनुपस्थिति और ढाबों के बाहर अव्यवस्थित पार्किंग बनी। सिवाया टोल प्लाजा तो मानो 'ट्रैफिक का दलदल' बन गया, जहाँ यात्रियों का गुस्सा और टोल कर्मियों की लाचारी साफ दिखाई दे रही थी।READ ALSO:-बिजनौर में दिनदहाड़े चली गोली! सामान लेने जा रहे युवक पर जानलेवा हमला, गाँव में हड़कंपREAD ALSO:-मेरठ में 'खतरनाक स्टंट' का कहर: सरधना की सड़कों पर मौत का तांडव, शराब पीकर ड्राइवरलेस कार में करतब!

 

तस्वीर: सिवाया टोल, शाम 6 बजे - 600 'फास्टैग फेल' वाहन और अंतहीन कतारें
रविवार शाम करीब छह बजे सिवाया टोल प्लाजा पर वाहनों की ऐसी भीड़ उमड़ी कि हर कोई दंग रह गया। टोल अधिकारियों के मुताबिक, लगभग 600 वाहन ऐसे थे जिनके फास्टैग में बैलेंस नहीं था, जिसके कारण उन्हें मैन्युअल रूप से प्रोसेस करना पड़ा। यह एक बड़ी अड़चन साबित हुई, जिससे टोल बूथों पर जाम की स्थिति विस्फोटक हो गई।

 

अनुपस्थित पुलिस: कहाँ थे 'व्यवस्था' बनाने वाले? एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने भले ही व्यवस्था सुचारु करने के निर्देश दिए हों, लेकिन ज़मीन पर उनके आदेश का कोई असर नहीं दिखा। जाम खुलवाने के लिए थाना पुलिस या यातायात पुलिस का कोई जवान मौके पर नहीं दिखा, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। पुलिस की गैरमौजूदगी में टोल कर्मचारी अकेले ही भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे, और इस दौरान वाहन चालकों से उनकी लगातार बहस होती रही। यात्रियों का गुस्सा सातवें आसमान पर था, क्योंकि उन्हें बेवजह घंटों तक जाम में फँसकर अपनी छुट्टियों को बर्बाद होते देखना पड़ा। अंततः, टोल कंपनी को मजबूरन दो लेन को रिवर्स चलाना पड़ा ताकि किसी तरह यातायात को थोड़ा सुचारु किया जा सके।

 

'नियमों की धज्जियाँ': भाजपा झंडे वाली कार से लेकर अधिवक्ता तक, सब परेशान
इस जाम ने किसी को नहीं बख्शा। एक दिल्ली नंबर की ऑल्टो कार, जिस पर भाजपा का झंडा लगा था, उसमें फास्टैग नहीं था। दोगुनी टोल फीस मांगने पर कार चालक, जो एक भाजपा नेता बताया जा रहा है, की टोल कर्मचारियों से तीखी कहासुनी हो गई। इसी तरह, हरियाणा नंबर की एक गाड़ी के अधिवक्ता चालक को भी दोगुनी फीस देकर ही आगे बढ़ने दिया गया। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि फास्टैग की समस्या कितनी व्यापक है और यह केवल 'आम' लोगों तक ही सीमित नहीं है।

 

सिवाया टोल प्लाजा के वरिष्ठ प्रबंधक अनुज सोम ने बताया कि रविवार को कुल 55,000 वाहन टोल से गुजरे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जाम का मुख्य कारण ब्लैकलिस्टेड फास्टैग वाले वाहन थे, जिन्होंने पूरे सिस्टम को धीमा कर दिया।

 

ढाबों की 'अवैध' पार्किंग: जाम को मिली 'मदद'
टोल प्लाजा के आसपास मौजूद ढाबों और रेस्टोरेंट के बाहर सड़क पर बेतरतीब ढंग से खड़ी गाड़ियाँ भी जाम का एक बड़ा कारण बनीं। इन मनमानी ढंग से खड़ी गाड़ियों ने हाईवे को और संकरा कर दिया, जिससे यातायात का प्रवाह बाधित हुआ। यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की निगरानी और प्रवर्तन की कमी को भी उजागर करती है, जो इस तरह की अवैध पार्किंग पर लगाम लगाने में विफल रहा है।

 

मेरठ एक्सप्रेसवे पर 'संभली' स्थिति: काशी टोल पर पुलिस ने दिखाया 'जिम्मेदारी'
दिल्ली-देहरादून हाईवे के विपरीत, मेरठ एक्सप्रेसवे पर काशी टोल पर स्थिति थोड़ी बेहतर रही। यहाँ भी अन्य दिनों की तुलना में लगभग 17,000 वाहन अधिक निकले और दो से तीन प्रतिशत वाहनों पर फास्टैग ब्लैकलिस्टेड थे। हालाँकि, काशी टोल के मुख्य सुरक्षा अधिकारी पवन राठी ने बताया कि यहाँ यातायात पुलिस की सक्रिय उपस्थिति और सहयोग के कारण बड़े पैमाने पर जाम नहीं लगा और स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाला गया। यह दर्शाता है कि अगर पुलिस सक्रिय हो तो बड़े जाम से बचा जा सकता है।

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अब सवाल: 'व्यवस्था' कब जागेगी?
यह घटना केवल एक वीकेंड के जाम की कहानी नहीं है, बल्कि यह अधिकारियों की निष्क्रियता, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रभावी यातायात प्रबंधन की कमी का एक गंभीर उदाहरण है। लाखों लोगों की यात्रा को नारकीय बनाने वाली इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है? और कब प्रशासन हाईवे पर सुगम और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएगा? यह वह सवाल है जिसका जवाब लाखों परेशान यात्री जानना चाहते हैं।
SONU

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