सौरभ राजपूत हत्याकांड मेरठ: पत्नी और प्रेमी की जमानत कोर्ट से खारिज, सबूतों के आगे तर्क फेल; रो पड़ी आरोपी मुस्कान

 पति की हत्या, शव के टुकड़े और ड्रम में छिपाने की साजिश पर कोर्ट ने कहा – “यह जघन्य अपराध, जमानत योग्य नहीं”
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MRT-CRIME
मेरठ: मेरठ के इंदिरा नगर में हुए सौरभ राजपूत हत्याकांड के मुख्य आरोपी - मृतक की पत्नी मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला को स्थानीय अदालत से कोई राहत नहीं मिली है। शनिवार को सेशन कोर्ट ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत के फैसले के बाद आरोपी मुस्कान भावुक होकर रोने लगी। कोर्ट ने इस हत्याकांड को 'अत्यंत जघन्य अपराध' करार दिया और कहा कि पुलिस विवेचना में आरोपियों की संलिप्तता के ठोस सबूत सामने आए हैं, जिसके आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती।READ ALSO:-मेरठ का 'प्रांतीय गौरव' सजने लगा: नौचंदी मेला 15 मई से, DM की माइक्रो-प्लानिंग शुरू

 

हत्या की खौफनाक दास्तान:
यह मामला 3 मार्च का है, जब ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर निवासी सौरभ राजपूत की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ था कि इस वारदात को सौरभ की पत्नी मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ मिलकर अंजाम दिया था। हत्या के बाद, शव को छिपाने के उद्देश्य से आरोपियों ने उसे चार टुकड़ों में काट दिया और फिर उन टुकड़ों को एक नीले रंग के ड्रम में भरकर सीमेंट और डस्ट के घोल से जमा दिया। इस सनसनीखेज हत्याकांड का पर्दाफाश होने के बाद पुलिस ने 19 मार्च को मुस्कान और साहिल को गिरफ्तार किया था। तब से दोनों आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।

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जमानत की अर्जी और कानूनी दांवपेंच:
जेल में बंद मुस्कान और साहिल ने अपनी रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया। उनकी पैरवी कर रही वकील रेखा जैन ने सबसे पहले निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे 27 अप्रैल को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद, उन्होंने सेशन कोर्ट (एंटी करप्शन, सेकंड) में नई जमानत अर्जी दाखिल की, जिस पर शनिवार को सुनवाई हुई। अदालत में सरकारी वकील और मृतक सौरभ की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने आरोपियों की जमानत का पुरजोर विरोध किया।

 

बचाव पक्ष के तर्क बनाम सबूतों की ताकत:
आरोपी पक्ष की वकील रेखा जैन ने कोर्ट में कई तर्क रखे। उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी को आधार बनाते हुए आरोपियों को फंसाने का आरोप लगाया। उन्होंने मृतक सौरभ के 5 मार्च से 18 मार्च तक 'लापता' रहने की अवधि पर सवाल उठाते हुए परिवार से पूछा कि उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराई और खुद तलाश क्यों नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि 18 मार्च को मुस्कान की बेटी पीहू से हुई बातचीत भावावेश में कही गई बातें हो सकती हैं।

 

हालांकि, सरकारी वकील और सौरभ के वकील ने इन तर्कों का सख्ती से खंडन किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मुस्कान और साहिल ने पुलिस पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कबूल किया है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनकी निशानदेही पर ही पुलिस ने हत्या से जुड़े तमाम निर्णायक सबूत बरामद किए हैं।

 

अभियोजन पक्ष ने कोर्ट के सामने उन सबूतों को विस्तार से रखा। इसमें वह ड्रम, शव और हत्या में प्रयुक्त हथियार शामिल थे, जो आरोपियों के बताने पर बरामद हुए। साथ ही, उन दुकानदारों के बयान भी पेश किए गए जिनसे आरोपियों ने ड्रम, सीमेंट और डस्ट खरीदा था। घटना के बाद आरोपियों को शरण देने वाले होटल संचालकों और कैब ड्राइवर के बयान भी महत्वपूर्ण कड़ी बने। फॉरेंसिक साक्ष्य के तौर पर, मुस्कान के कमरे से खून से सनी चादर और गद्दा, तथा बाथरूम और दीवारों व छत पर मिले खून के धब्बे (जहाँ शव के टुकड़े किए गए थे) निर्णायक माने गए। अभियोजन पक्ष ने दृढ़ता से कहा कि ये सभी सबूत, सीधे तौर पर आरोपियों के खुलासे पर मिले हैं, उनकी संलिप्तता को अकाट्य रूप से सिद्ध करते हैं।

 

कोर्ट का फैसला: 'जघन्य अपराध', जमानत नामुमकिन:
दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें और प्रस्तुत किए गए सबूतों पर विचार करने के बाद, कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि विवेचना में आरोपी मुस्कान और साहिल के खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। कोर्ट ने हत्याकांड की क्रूरता और बर्बरता को देखते हुए इसे 'बहुत जघन्य अपराध' करार दिया। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों और उपलब्ध साक्ष्यों के मद्देनजर, आरोपियों को इस स्तर पर जमानत पर रिहा करने का कोई न्यायसंगत आधार नहीं है। यह कहते हुए कोर्ट ने दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट का फैसला सुनते ही आरोपी मुस्कान की आँखों से आँसू बहने लगे।

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उच्च न्यायालय में अपील का विकल्प:
सेशन कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद, मुस्कान और साहिल के पास अब जमानत के लिए उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) में अपील दायर करने का कानूनी रास्ता खुला है। फिलहाल, दोनों आरोपी मेरठ जेल में ही रहेंगे। यह मामला अपनी जटिलता और क्रूरता के कारण सुर्खियों में बना हुआ है और कानूनी प्रक्रिया के अगले चरण भी महत्वपूर्ण होंगे।
SONU

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