मेरठ में एयरपोर्ट की लंबे समय से हो रही मांग, राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने पत्र लिखकर बयां किया दर्द, जानिए क्या है पूरा मामला
भाजपा नेता डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मेरठ में एयरपोर्ट बनाने के वादे का जिक्र करते हुए अपना दर्द भी बयां किया है। आइए जानते हैं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने क्या दर्द बयां किया है?
Feb 18, 2025, 16:24 IST
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मेरठ जिले से हवाई यात्रा को सक्षम बनाने के लिए पिछले कई सालों से लगातार प्रयास कर रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद ने मेरठ के मंडलायुक्त को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने अपना दर्द बयां किया है और एयरपोर्ट की जमीन की जरूरत को पूरा करने का रास्ता सुझाया है। READ ALSO:-UP बजट सत्र 2025 : मेरठ के सरधना से SP MLA अतुल प्रधान हाथों में हथकड़ी-गले में बेड़ियां डाल विधानसभा पहुंचे, पहले भी हुए थे निलंबित
उन्होंने पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मेरठ में एयरपोर्ट बनाने के वादे का जिक्र करते हुए अपना दर्द भी बयां किया है। आइए जानते हैं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने क्या दर्द बयां किया है?READ ALSO:-मेरठ : क्या होगा जब पुलिस वाले निभाने लगेंगे दोस्ती? व्यापारी ने DM और SSP को भेजा पुलिसकर्मी और ई-रिक्शा चालक का वीडियो
उत्तर प्रदेश के मेरठ में कई सालों से एयरपोर्ट की मांग उठ रही है। हालात ये हैं कि इस समय भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लगातार प्रयास कर रहे हैं कि मेरठ से 72 सीटर छोटे विमान उड़ान भर सकें। अब ताजा मामला यह है कि वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने मेरठ में एयरपोर्ट निर्माण को लेकर मेरठ के मंडलायुक्त को पत्र लिखकर अपना दर्द बयां किया है और उन्होंने सुझाव भी दिए हैं।
डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी की ओर से जारी पत्र में लिखा है कि 2014 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मेरठ एयरपोर्ट को लेकर समझौता हुआ था कि राज्य सरकार निशुल्क जमीन मुहैया कराएगी और फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया इसका विकास करेगी।
पत्र में लिखा है कि दुर्भाग्य से आज तक हम एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को निशुल्क जमीन मुहैया कराकर उनके नाम दर्ज नहीं करा पाए हैं। लिखा है कि आज जो जमीन उपलब्ध है, उसमें 2280 मीटर लंबा और 210 मीटर चौड़ा रनवे बनाया जा सकता है और उस पर एटीआर-72 उड़ान भर सकता है, लेकिन रनवे के लिए जो जमीन उपलब्ध है, उसमें छह लोगों की जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े हैं, जो जमीन की कीमत को लेकर ही कोर्ट गए हैं। उन्होंने जो कीमत मांगी है, उसके हिसाब से जमीन की कुल कीमत करीब 23 करोड़ रुपये बैठती है।
प्रदेश सरकार की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है कि यदि 23 करोड़ रुपए प्राप्त होते हैं तो वह राशि न्यायालय में जमा करा दी जाए और वहां से जो भी जीतेगा उसे वह राशि मिल जाएगी और राशि जमा कराने के बाद कागजों में जमीन उड्डयन विभाग के नाम दर्ज करा दी जाए और एयरपोर्ट अथॉरिटी के लिए उस पर आगे काम करने की स्थिति बनाई जाए।
पत्र में लिखा है कि दुर्भाग्य से वह राशि अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से उपलब्ध नहीं कराई गई है। मेरठ विकास प्राधिकरण ने शुरू से ही रनवे के लिए जमीन उपलब्ध कराने और अधिग्रहण करने का काम किया है। उन्होंने यह भी हवाला दिया कि पिछले महीने लखनऊ में हुई बैठक में मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा वन विभाग की जमीन अधिग्रहण करने में लगाया गया पैसा भी वापस कर दिया गया।
पत्र में लिखा है कि इस उदाहरण के आधार पर मेरा वैकल्पिक प्रस्ताव यह है कि यदि मेरठ विकास प्राधिकरण तत्काल यह राशि जमा करा दे और बाद में शासन से आ जाए तो एयरपोर्ट निर्माण का काम आगे बढ़ सकता है, यह मेरी ओर से वैकल्पिक प्रस्ताव है। वर्ष 2017 के नगर निगम चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली रोड पर एक जनसभा में घोषणा की थी कि बहुत जल्द मेरठ से एयरपोर्ट शुरू हो जाएगा।
पत्र में लिखा है कि एक विषय जो बार-बार उठाया जा रहा है, वह है अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का। शायद उन्हें लगता है कि यह स्थिति इसलिए बनाई जा रही है ताकि मेरठ को एयरपोर्ट न मिले, क्योंकि जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, अलीगढ़, मुरादाबाद, सहारनपुर हिंडन में छोटे एयरपोर्ट होने के बाद मेरठ में किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की जरूरत नहीं है।
उनका आरोप है कि हम 23 करोड़ रुपये नहीं दे पा रहे हैं और 300 करोड़ रुपये की नई जमीन अधिग्रहण कर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने का सपना मेरठ की जनता को दिखाया जा रहा है, शायद यह मृगतृष्णा है। पत्र में लिखा है कि 'मेरी राय है कि न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी', यह कहावत कम से कम मेरठ में तो नहीं लानी चाहिए।
उन्होंने मेरठ मंडलायुक्त से मांग की है कि यदि मेरठ विकास प्राधिकरण से 23 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए जाएं तो यह अच्छा प्रयास होगा और मेरठ के विकास में नया आयाम जुड़ेगा। हालांकि माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वर्षों पुरानी मांग पूरी न होने को लेकर नाखुश हैं। यही वजह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।