PNB धोखाधड़ी: मेरठ में 14 लाख रुपये गायब, बैंक मैनेजर की FIR से खुली जांच; क्या है 'मिलते-जुलते हस्ताक्षर' का राज़?

 मेरठ में बैंक धोखाधड़ी का सनसनीखेज़ मामला: विजयपाल के खाते से दो दिन में गायब हुए लाखों, जांच में जुटी कंकरखेड़ा पुलिस
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PNB KAMKAKHEDA MRT
मेरठ। कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र से एक बड़े बैंक फ्रॉड की खबर सामने आई है, जिसने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिव चौक स्थित PNB शाखा में खाताधारक विजयपाल के अकाउंट से दो बार में कुल 14 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई बैंक शाखा प्रबंधक की शिकायत पर हुई है, जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।READ ALSO:-कश्मीर अब और करीब! वंदे भारत से श्रीनगर का सफर सिर्फ 3 घंटे में, दुनिया का सबसे ऊँचा पुल बना गेमचेंजर

 

कैसे गायब हुए 14 लाख रुपये? तारीखें और रकम का खेल
नंगलाताशी, सरधना रोड निवासी विजयपाल का PNB की शिव चौक शाखा में खाता है। विजयपाल के आरोपों के मुताबिक, उनके खाते से 15 मई को 6 लाख रुपये और अगले ही दिन 16 मई को 8 लाख रुपये – यानी कुल 14 लाख रुपये – फर्जी तरीके से निकाल लिए गए। जब उन्होंने इस बारे में बैंक से संपर्क किया, तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज कराई।

 

बैंक का बयान: 'हस्ताक्षर मिलते हैं' - क्या है इस दावे का सच?
इस मामले में बैंक की शाखा प्रबंधक ने भी पुलिस में तहरीर दी है, जिससे मामला और पेचीदा हो गया है। बैंक का कहना है कि यह पूरा भुगतान बैंक काउंटर से ही किया गया था, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भुगतान आवेदन पत्रों पर खाताधारक के हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड में मौजूद हस्ताक्षर से 'मिलते-जुलते' हैं। हालांकि, विजयपाल ने 29 मई को अपने खाते से हुई इस जालसाजी की शिकायत दर्ज कराई। यह बड़ा सवाल खड़ा करता है कि अगर दस्तखत मिलते थे, तो क्या यह किसी अंदरूनी मिलीभगत का नतीजा है या किसी ने इतनी सफाई से खाताधारक के हस्ताक्षर की नकल की है?

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पुलिस के सामने चुनौती: अज्ञात आरोपी और 'मिलते-जुलते' दस्तखत का रहस्य
शाखा प्रबंधक ने पुलिस से इस मामले में निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई की मांग की है। कंकरखेड़ा थाना के इंस्पेक्टर विनय कुमार ने बताया कि शाखा प्रबंधक की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अब इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि 14 लाख रुपये की यह धोखाधड़ी कैसे हुई, इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं, और 'मिलते-जुलते' हस्ताक्षरों का रहस्य क्या है। यह मामला मेरठ में बैंक सुरक्षा और डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते खतरों को एक बार फिर उजागर करता है।
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