पंचायत चुनाव: मेरठ में नहीं बदलेगी सीटों की तस्वीर! शून्य परिसीमन की रिपोर्ट से तस्वीर साफ

 2021 की तर्ज़ पर ही होंगे चुनाव, मजरे नहीं बन पाए ग्राम पंचायत; DPRA ने शून्य परिसीमन की रिपोर्ट भेजी
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PANCHAYAT CHUNAV
मेरठ जिले में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। जिला पंचायत राज विभाग ने शासन को 'शून्य परिसीमन' की रिपोर्ट भेज दी है, जिसका सीधा मतलब है कि इस बार चुनाव में सीटों की संख्या और भौगोलिक सीमाएं पहले की तरह ही रहेंगी। लंबे समय से चल रही अटकलों पर अब विराम लग गया है कि कुछ मजरों को ग्राम पंचायत का दर्जा मिल सकता है।READ ALSO:-आमिर खान की 'सितारे ज़मीन पर' फिल्म का वाराणसी में ज़ोरदार विरोध: 'प्रणाम वन्दे मातरम् समिति' ने जलाए पोस्टर, लगाए 'देशविरोधी' होने के आरोप!

 

क्यों नहीं हुआ परिसीमन?
हाल ही में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए परिसीमन की अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके बाद जिला पंचायत राज विभाग ने आवेदन आमंत्रित किए थे। हालांकि, विभाग को मात्र चार से पांच आवेदन ही मिले, और वे सभी नियम व शर्तों को पूरा नहीं कर पाए, जिसके चलते उन्हें खारिज कर दिया गया। इसी के आधार पर विभाग ने शासन को 'शून्य परिसीमन' की रिपोर्ट भेजी है। इसका मतलब है कि जिले में पंचायत चुनाव के लिए अब कोई बदलाव नहीं होगा।

 

कैसी होगी चुनावी तस्वीर?
आंशिक परिसीमन का कार्य पूरा होने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव पहले की तरह ही होंगे। इसमें निम्नलिखित सीटों पर चुनाव होगा:

 

  • जिला पंचायत के 33 वार्ड
  • 479 ग्राम पंचायतें
  • 12 ब्लॉक प्रमुख
  • 824 बीडीसी सदस्य

 

इन चुनावों के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भी मतदान होगा। यह व्यवस्था मई 2021 में हुए चुनावों के समान ही है, जब 479 प्रधान चुने गए थे।

 

मजरों को नहीं मिला ग्राम पंचायत का दर्जा
पहले ऐसी अटकलें थीं कि इस बार कुछ मजरों को ग्राम पंचायत का दर्जा मिल सकता है, जिससे नई ग्राम पंचायतों का गठन होता। लेकिन, जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय में आए चार से पांच आवेदन नियमों को पूरा नहीं कर पाए, जिसके कारण उन्हें खारिज कर दिया गया। यह निर्णय उन स्थानीय निवासियों के लिए निराशाजनक हो सकता है जो अपने मजरों को स्वतंत्र ग्राम पंचायत के रूप में देखना चाहते थे।

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केवल आरक्षण में होगा बदलाव: जातिगत समीकरणों पर होगा फोकस
हालांकि परिसीमन नहीं होगा, लेकिन जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेंद्र सिंह यादव ने स्पष्ट किया है कि चुनाव से दो महीने पहले आरक्षण में बदलाव किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि कौन सा गांव अनुसूचित जाति (SC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) या सामान्य श्रेणी में आएगा। इसके लिए एक विस्तृत सर्वे कराया जाएगा, जिसके आधार पर आरक्षण की अंतिम सूची जारी की जाएगी। यह बदलाव चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इससे कई सीटों पर उम्मीदवार बदल सकते हैं।
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