मेरठ की सड़कों पर 'नो-जोन' बना मज़ाक: ई-रिक्शा और ऑटो चालकों का बेखौफ आतंक!
"हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता... सब सेटिंग से चलता है" — चालकों के इस दावे ने खोली सिस्टम की पोल, आम व्यापारी और जनता त्रस्त
Updated: Jun 2, 2025, 14:02 IST
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मेरठ, उत्तर प्रदेश: शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, और इसका सबसे बड़ा कारण हैं बेलगाम ई-रिक्शा और ऑटो चालक, जिन्होंने "नो-जोन" घोषित क्षेत्रों को भी अपनी जागीर बना लिया है। हद तो तब हो जाती है जब ये खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं और पुलिसकर्मी अक्सर मूकदर्शक बने रहते हैं। इस स्थिति ने न केवल शहरवासियों की मुसीबत बढ़ा दी है, बल्कि कानून के राज पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।READ ALSO:-मुजफ्फरनगर: मदरसे में हैवानियत की हदें पार, मौलवी ने 15 साल की छात्रा से किया दुष्कर्म
वर्दी का खौफ गायब: होम गार्ड के सामने ही उड़ रही नियम की धज्जियां
बेगम पुल व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष पुनीत शर्मा ने आज सुबह करीब 10:30 बजे जो देखा, वह किसी भी जागरूक नागरिक को परेशान कर देगा। एक ई-रिक्शा चालक होम गार्ड के ठीक सामने से सवारियां बैठा रहा था, और होम गार्ड असहाय खड़ा यह सब देख रहा था। यह दृश्य साफ बताता है कि इन चालकों में कानून और खाकी वर्दी का जरा भी खौफ नहीं है। यह स्थिति तब है जब मेरठ में जाम की समस्या पर माननीय उच्च न्यायालय में भी एक महत्वपूर्ण वाद चल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
"पुलिस को भी सब सेटिंग से चलता है": चालकों का बेखौफ दावा
पुनीत शर्मा बताते हैं कि जब व्यापारी इन ई-रिक्शा और टेम्पो चालकों को नो-जोन में घुसने से रोकते हैं, तो उनका जवाब होता है कि "हमें पता है और पुलिस को भी सब सेटिंग से चलता है, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।" यह बयान न केवल नियमों के सरेआम उल्लंघन को दर्शाता है, बल्कि पुलिस और इन चालकों के बीच अवैध 'सेटिंग' की ओर भी साफ इशारा करता है। यह चुनौती सीधे तौर पर कानून-व्यवस्था को शर्मसार कर रही है।
ट्रैफिक सिपाही का चौंकाने वाला खुलासा: 'ऊपर से फोन आता है, छोड़ देते हैं'
इस समस्या की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा तब लगा जब पुनीत शर्मा ने एक ट्रैफिक सिपाही से इस बारे में बात की। सिपाही का कबूलनामा चौंकाने वाला था: वे इन वाहनों को पकड़ते तो हैं, लेकिन "ऊपर से फोन आता है और इनको छोड़ दिया जाता है।" यह खुलासा साफ बताता है कि कैसे उच्च स्तर पर हस्तक्षेप इन अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है, जिससे आम जनता और व्यापारी दोनों ही बुरी तरह त्रस्त हैं।
आमजन और व्यापारियों का एक ही सवाल: कौन है जिम्मेदार?
मेरठ के नागरिकों और व्यापारियों के लिए यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है: इस बेलगाम यातायात अराजकता और नियमों के खुले उल्लंघन के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? क्या यह पुलिस प्रशासन की ढिलाई है, या फिर कोई अदृश्य राजनीतिक दबाव है जो कानून को अपना काम नहीं करने दे रहा?
पुनीत शर्मा ने माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, और श्रीमान डी.जी.पी., उत्तर प्रदेश, से विनम्र निवेदन किया है कि इस गंभीर समस्या का स्थायी हल निकालने के लिए तत्काल और सार्थक प्रयास किए जाएँ। मेरठ को इस ट्रैफिक के आतंक से मुक्ति दिलाना और नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना अब बेहद जरूरी हो गया है।
