मेरठ का 'मुद्रा महोत्सव': जहां चवन्नी बनी 8 हजारी, मिसप्रिंट नोटों की लगी लाखों की बोली!
पुराने नोट और सिक्के बन गए खजाना, देश भर के संग्राहक और व्यापारी इतिहास की अनमोल धरोहरों के साथ मेरठ में जमा
Jun 22, 2025, 11:35 IST
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मेरठ में पहली बार आयोजित हुए 'मुद्रा महोत्सव' ने एंटीक और न्यूमिज़्मेटिक (सिक्का संग्रह) के शौकीनों के लिए एक नया द्वार खोल दिया है। इस अनूठी प्रदर्शनी में मुगल काल, गुप्त काल, और ब्रिटिश शासन के दुर्लभ नोटों और सिक्कों के साथ-साथ कई ऐतिहासिक एंटीक सामान भी देखने को मिले। देश के 10 राज्यों के 50 शहरों से आए व्यापारी और संग्राहक इस महोत्सव का हिस्सा बने हैं, जिसने मेरठ को कुछ दिनों के लिए इतिहास प्रेमियों का गढ़ बना दिया है।READ ALSO:-💥मेरठ में BSP नेता पर जानलेवा हमला: दिनदहाड़े गोलियां दागीं, गुर्दा बाहर आया!
मेरठ का 'मुद्रा महोत्सव': जहां चवन्नी बनी 8 हजारी, मिसप्रिंट नोटों की लगी लाखों की बोली!
पुराने नोट और सिक्के बन गए खजाना, देश भर के संग्राहक और व्यापारी इतिहास की अनमोल धरोहरों के साथ मेरठ में जमा
- मेरठ में पहली बार आयोजित हुए 'मुद्रा महोत्सव' ने एंटीक और न्यूमिज़्मेटिक (सिक्का संग्रह) के शौकीनों के लिए एक नया द्वार खोल दिया है। इस अनूठी प्रदर्शनी में मुगल काल, गुप्त काल, और ब्रिटिश शासन के दुर्लभ नोटों और सिक्कों के साथ-साथ कई ऐतिहासिक एंटीक सामान भी देखने को मिले। देश के 10 राज्यों के 50 शहरों से आए व्यापारी और संग्राहक इस महोत्सव का हिस्सा बने हैं, जिसने मेरठ को कुछ दिनों के लिए इतिहास प्रेमियों का गढ़ बना दिया है।
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कीमतों का अजब-गजब संसार: चवन्नी ₹8000 की, ₹2 का सिक्का ₹3 लाख का!
- इस प्रदर्शनी में जिन सिक्कों और नोटों को देखकर सबसे ज्यादा हैरत हुई, वे उनकी कीमतें थीं:
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चवन्नी (25 पैसे): जी हां, एक छोटी सी चवन्नी भी यहां ₹8,000 तक की कीमत रखती है!
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मिसप्रिंट नोट: आमतौर पर बेकार माने जाने वाले मिसप्रिंट नोट यहां हजारों में बिक रहे हैं। मुगल काल का एक मिसप्रिंट ₹1 का नोट ₹20,000 में उपलब्ध है।
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₹2 का सिक्का: दो रुपये का एक सिक्का ₹3 लाख तक का है, जबकि दो ऐसे सिक्कों की जोड़ी ₹6 लाख तक में बेची जा रही है।

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पुराने भारतीय नोटों की धूम:
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लगभग 50 साल पुराना ₹1,000 का नोट - ₹40,000।
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₹5,000 का नोट - ₹70,000।
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108 साल पुराना (1917 का) ₹1 का नोट - ₹10,000 से ₹12,000।
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ब्रिटिश हुकूमत का शुरुआती दौर का ₹5 का नोट - ₹75,000।
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ब्रिटिश काल का ₹1 का नोट - ₹30,000 से ₹35,000 तक।
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एक और ब्रिटिश हुकूमत का ₹1 का नोट ₹7,500 में बिक रहा है।
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सिक्के: इतिहास के 'बोलते' प्रमाण
इस प्रदर्शनी में आए संग्राहकों और विशेषज्ञों का कहना है कि सिक्के ही इतिहास के सबसे जीवित और प्रामाणिक प्रमाण हैं। ये केवल धातु के टुकड़े नहीं, बल्कि उस काल की राजनीतिक स्थिति, भौगोलिक पहुंच, व्यापारिक संबंध, रहन-सहन और शासकों के कार्यकाल की कहानी बयान करते हैं। समय के साथ भले ही कई मुद्राएं चलन से बाहर हो गईं, लेकिन आज यही मुद्राएं इतिहास के पन्नों को जीवंत कर रही हैं।
कौन-कौन आया इस खास महोत्सव में?
इस कार्यक्रम के आयोजक मनोज जैन ने बताया कि मेरठ में पहली बार इतना बड़ा और अनूठा आयोजन किया गया है। यहां ₹125, ₹225, ₹350 और ₹400 जैसे विशेष स्मारक सिक्के भी देखने को मिले।
गुजरात के अहमदाबाद से आए सुनील वासवानी, जो पिछले 20 सालों से ऐसे नोटों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं, ने 1917 के एक दुर्लभ ₹1 के नोट का प्रदर्शन किया। लखनऊ से पहुंचे मोहम्मद सलाउद्दीन के पास विभिन्न प्रकार के सिक्के थे, जिनमें 1982 के एशियन गेम्स की चवन्नी (25 पैसे का सिक्का) विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रही, जिसकी कीमत बिना चली स्थिति में ₹8,000 से ₹10,000 तक बताई गई।
हरियाणा के जगाधरी से आए बुजुर्ग अश्वनी कुमार के पास मुगल काल से लेकर आधुनिक युग तक के अनगिनत सिक्के मौजूद थे। उन्होंने बताया कि अकबर के काल के 'दाम' नामक सिक्के, जो उस समय एक पैसे के बराबर थे, आज ₹800 से ₹1,000 तक में बिक रहे हैं।
