मेरठ का हापुड़ अड्डा चौराहा 'जाम का अड्डा': ₹15,000 करोड़ के विकास प्लान के बावजूद अतिक्रमण और अव्यवस्था का राज!

 एसएसपी ने गोद दिए चौराहे, फिर भी अफसर बेअसर; क्या कागजों पर ही सिमट कर रह जाएगी 'स्मार्ट सिटी' की कल्पना?
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मेरठ, 21 मई 2025: एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेरठ के लिए ₹15,000 करोड़ के महत्वाकांक्षी इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान को अंतिम रूप दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहर का दिल कहे जाने वाला हापुड़ अड्डा चौराहा आज भी भीषण जाम और अनियंत्रित अतिक्रमण की गिरफ्त में सिसक रहा है। शहर को 'स्मार्ट' और 'सुगम' बनाने के सरकारी दावों के बीच, इस चौराहे की बदहाली पुलिस और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर रही है।READ ALSO:-मेरठ में 'आतंकवाद विरोधी' हुंकार: पुलिसकर्मियों ने ली देश की सुरक्षा और सद्भाव की शपथ, एसएसपी ने दिलाया संकल्प

 

जाम की 'जड़' में अतिक्रमण, पुलिस-निगम की 'अनदेखी'
यूं तो हापुड़ अड्डा पर जाम के लिए बसों, ई-रिक्शा और टेंपो को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन दैनिक जागरण की पड़ताल ने खुलासा किया है कि इसकी असली जड़ 'अतिक्रमण' है। दुकानों के बाहर तक फैला सामान, ग्राहकों के सड़क पर बेतरतीब खड़े वाहन और ई-रिक्शा व ऑटो का सड़कों पर मनमाना कब्जा, ये सब मिलकर इस चौराहे को 'जाम का अड्डा' बना देते हैं।

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चौंकाने वाली बात यह है कि यातायात पुलिस की सीधे तौर पर अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नहीं है, फिर भी ऐसी विकट समस्या को देखकर भी उनकी अनदेखी उन्हें कठघरे में खड़ा कर रही है। अतिक्रमण हटाने की मुख्य जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन निगम की टीम केवल 'खानापूर्ति' करती है। वे कुछ देर अतिक्रमण हटाते हैं, और उनके जाते ही स्थिति फिर से पहले जैसी हो जाती है, मानो कभी कुछ हुआ ही न हो।

 

'गोद' लिए चौराहों का हाल: खानापूर्ति की रिपोर्ट और बेअसर आदेश
शहर को जाम मुक्त करने के लिए कुछ दिन पहले एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने पहल की थी। उन्होंने चौराहों को राजपत्रित अफसरों को 'गोद' दिया था, जिसमें हापुड़ अड्डा चौराहा एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा को सौंपा गया था। हालांकि, समस्या की जड़ तक पहुंचने का प्रयास शायद ही किसी ने किया। इन अफसरों ने भी सिर्फ अपने अधीनस्थों से 'खामियों की रिपोर्ट' बनवाकर कप्तान को सौंप दी, जिससे समस्या जस की तस बनी रही।

 

दैनिक जागरण ने मंगलवार को एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा द्वारा 'गोद' लिए गए हापुड़ अड्डा चौराहे का जमीनी हाल जाना, तो स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं मिला। यह दर्शाता है कि कागजों पर हो रही कार्रवाई जमीन पर कितनी बेअसर है।

 

हापुड़ अड्डा: जहां हर दिशा में यातायात 'रेंगता' है
हापुड़ अड्डा चौराहा शहर ही नहीं, बल्कि देहात क्षेत्र से आने वाले हजारों लोगों का प्रवेश द्वार है। यहां दुकानें, बाजार और रिहायशी इलाके होने से हमेशा भीड़ रहती है।

 

  • गढ़ रोड की तरफ: इस ओर जाने वाली सड़क पर ई-रिक्शा, ऑटो और सिटी बसें अनियंत्रित तरीके से खड़ी रहती हैं, जिससे पूरी साइड घिर जाती है और जाम का प्रमुख कारण बनती है।
  • हापुड़ से बेगमपुल की ओर: इस दिशा में चौराहा पार करने में ही अक्सर पांच से आठ मिनट का समय लग जाता है।
  • गोला कुआं मार्ग: यह मार्ग भी पूरी तरह से ई-रिक्शा और ठेलों की चपेट में है। यहां से चारपहिया वाहन चालकों के पसीने छूट जाते हैं।
  • दुकानदारों का कब्जा: व्यापारियों ने अपनी दुकानों का सामान सड़क तक फैला रखा है, और ग्राहकों के वाहन सड़क पर ही खड़े कर दिए जाते हैं, जिससे चलने की जगह ही नहीं बचती।

 

'रिपोर्ट दे दी है' - एसपी यातायात का बयान, पर बदलाव कब?
जब इस मामले पर एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा से बात की गई, तो उन्होंने बताया, "हापुड़ अड्डा पर यातायात रुकता नहीं है, धीमी स्थिति में गुजरता रहता है। गढ़ और हापुड़ रोड से ई-रिक्शा को सड़क से हटा दिया गया है, इक्का दुक्का ई-रिक्शा भले ही सवारी उतारने के लिए रुक जाते हैं। गोला कुआं वाले मार्ग पर ही ई-रिक्शा को लेकर व्यवस्था की जा रही है। अतिक्रमण को लेकर नगर निगम को रिपोर्ट दी जा चुकी है।"

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हालांकि, एसपी यातायात की रिपोर्ट और दावों के बावजूद, हापुड़ अड्डा चौराहे पर न तो अतिक्रमण हटा है और न ही यातायात व्यवस्था में कोई ठोस सुधार आया है। यह स्थिति शहर के विकास के बड़े-बड़े दावों और जमीनी हकीकत के बीच के विरोधाभास को उजागर करती है। क्या मेरठ के लोग कभी इस स्थायी जाम से मुक्ति पा सकेंगे, या उन्हें इसी 'अटकते-भटकते' शहर में जीवन गुजारना होगा?
SONU

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