मेरठ का 'विकास' अतिक्रमण की भेंट? 18,000 करोड़ की योजना को निगल रहा अतिक्रमण, जाम से बेहाल शहर

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मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में मेरठ के लिए $18,000 करोड़ के एक विशाल इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान को मंज़ूरी दी है, जिसमें शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने का लक्ष्य भी शामिल है. 93 परियोजनाओं के साथ, यह योजना मेरठ को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करती है. लेकिन, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. शहर की सड़कें, फुटपाथ और नाले अतिक्रमण की गिरफ्त में बुरी तरह से जकड़े हुए हैं, जो इस भव्य विकास योजना के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं. अगर इस दानव को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो करोड़ों रुपये की ये परियोजनाएं भी मेरठ को जाम और अव्यवस्था के दलदल से बाहर नहीं निकाल पाएंगी.READ ALSO:-🚅मेरठ के लिए ऐतिहासिक पल: रैपिड और मेट्रो, डबल रफ्तार का डबल धमाका! 15 दिन के भीतर CM योगी दिखा सकते हैं हरी झंडी

 

सड़कें सिमटीं, मुसीबतें बढ़ीं: शहर की हकीकत
दैनिक जागरण की पड़ताल ने अतिक्रमण की भयावह तस्वीर सामने ला दी है:

 

  • गढ़ रोड: 100 फीट चौड़ी यह महत्वपूर्ण सड़क मेडिकल कॉलेज से हापुड़ अड्डे तक, अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण दिन में सिर्फ 20 फीट तक सिकुड़ जाती है.
  • खैरनगर: शहर का प्रमुख दवा बाजार, 20-25 फीट चौड़ी सड़क होने के बावजूद, दुपहिया वाहनों और ठेलों के कारण दिन में मात्र 10 फीट की संकरी गली में तब्दील हो जाता है.
  • पीएल शर्मा रोड: 20-30 फीट की यह अहम सड़क अवैध पार्किंग और दुकानदारों द्वारा सड़क पर सामान रखने से दिन में 10-15 फीट ही बचती है.
  • कचहरी रोड: मेरठ कॉलेज, कचहरी और आरजी कॉलेज जैसे महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ने वाली 80-100 फीट चौड़ी यह सड़क भी अतिक्रमण के चलते दिन में 50-60 फीट तक ही उपलब्ध रहती है, जिससे यहां लगातार जाम की स्थिति बनी रहती है.
  • बेगमपुल: 80-100 फीट चौड़ी बेगमपुल पर भी वाहन रेंगते नज़र आते हैं क्योंकि ईव्ज चौराहे से बेगमपुल तक सड़क के दोनों ओर अवैध पार्किंग ने इसे 30-50 फीट तक संकरा कर दिया है.
  • घंटाघर रोड: लगभग 30 फुट चौड़ी यह सड़क अतिक्रमण के कारण दिन में मात्र 20 फुट रह जाती है, जिससे यहां आए दिन जाम लगता है.

 

पार्किंग का अभाव, जाम का दबाव
खैरनगर, वैली बाजार, सदर बाजार, सराफा बाजार, नील गली, खंदक, सुभाष बाजार, लालकुर्ती, शारदा रोड और कबाड़ी बाजार जैसे प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में पार्किंग की पर्याप्त सुविधा न होने से लोग सड़कों पर ही वाहन खड़े कर देते हैं, जिससे जाम की समस्या और भी गंभीर हो जाती है. फुटपाथ और नालों पर भी अतिक्रमण ने पैदल चलने वालों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं और जल निकासी को भी बाधित कर दिया है.

 

नगर निगम का 'ऑपरेशन अतिक्रमण': कितना असरदार?
मंगलवार को नगर निगम ने गढ़ रोड, भगत सिंह मार्केट और मंगल पांडे नगर जैसे इलाकों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया. अतिक्रमण करने वालों को चेतावनी दी गई कि दोबारा अतिक्रमण करने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

 

जनता और व्यापारियों की आवाज़:
  • कैफ कुरैशी (दुकानदार, बेगमपुल): "कुछ लोगों की वजह से सभी दुकानदार और व्यापारी अतिक्रमण करने के लिए बदनाम होते हैं. नगर निगम को सख्ती से अतिक्रमण हटाना चाहिए."
  • संभव पटेल (दुकानदार, घंटाघर): "अतिक्रमण के कारण हमारी दुकानदारी पर भी असर पड़ता है. जाम से ग्राहक दुकान पर आने से कतराते हैं."
  • समीर जैन (व्यापारी नेता): "नगर निगम और व्यापारिक संगठनों को आपस में बात करनी चाहिए. बातचीत से समस्या हल हो सकती है."
  • कुशान गोयल (दुकानदार, जली कोठी): "नगर निगम की लापरवाही के कारण अतिक्रमण बढ़ता है. अगर सख्ती से अभियान चलाया जाए तो शहर अतिक्रमण मुक्त हो सकता है."

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नगर निगम का दावा:
प्रवर्तन प्रभारी शरदपाल का कहना है कि पहले अतिक्रमण को चिह्नित किया जाता है, फिर अतिक्रमणकारी को सूचना दी जाती है. यदि वह नहीं हटाता है, तो टीम द्वारा अतिक्रमण हटाया जाता है. उनका दावा है कि पूरे शहर में अभियान चल रहा है और शहर को जल्द ही अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा.

 

मेरठ के विकास का सपना तभी साकार हो पाएगा जब अधिकारी अतिक्रमण के इस गंभीर मुद्दे को पूरी गंभीरता से लेंगे और इसे जड़ से खत्म करने के लिए ठोस और निरंतर प्रयास करेंगे. क्या मेरठ का भविष्य जाम और अतिक्रमण के इस चक्रव्यूह से निकल पाएगा, और मुख्यमंत्री के विकास के सपने को उड़ान मिल पाएगी?
SONU

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