मेरठ: रिश्वत की महिला 'दारोगा' पर गिरी गाज! 20 हजार के लालच में गई वर्दी, 7 साल की सज़ा के बाद अब 'बर्खास्त'
मेरठ में महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव सेवा से पदच्युत; डीआईजी ने 2017 के भ्रष्टाचार मामले में लिया सख्त एक्शन, जेल में है 'रिश्वतखोर' दारोगा
May 5, 2025, 13:23 IST
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मेरठ: भ्रष्टाचार दीमक की तरह पुलिस विभाग को खोखला करता है, और मेरठ में ऐसे ही एक मामले में अब एक रिश्वतखोर महिला उपनिरीक्षक को उसकी करनी की अंतिम सज़ा मिली है। साल 2017 में 20 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ी गईं महिला दारोगा अमृता यादव को डीआईजी ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है। अदालत से सज़ा मिलने के महीनों बाद हुई यह कार्रवाई पुलिस महकमे में एक कड़ा संदेश है।READ ALSO:-रोडरेज का वो भयानक 'पल' और इंसाफ़ का 'पहला कदम': मेरठ के प्रियांशु हत्याकांड की अहमदाबाद कोर्ट में सुनवाई शुरू
मामला करीब आठ साल पुराना, यानि जून 2017 का है। मोदीनगर, गाजियाबाद के रहने वाले समीर ने मेरठ कोतवाली थाने में एक शिकायत के संबंध में संपर्क किया था। समीर की शादी मेरठ निवासी एक युवती से हुई थी, लेकिन शादी के बाद पत्नी मायके चली गई और उसने समीर के खिलाफ कोर्ट के ज़रिए कोतवाली थाने में दहेज उत्पीड़न, रेप समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया। इस संवेदनशील मुकदमे की जांच की ज़िम्मेदारी तत्कालीन बुढ़ाना गेट चौकी प्रभारी महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव को सौंपी गई थी।
विवेचना के दौरान, आरोप है कि महिला दारोगा अमृता यादव ने अपनी posición का फायदा उठाते हुए समीर से फ़ोन पर संपर्क साधा और मुकदमे से गंभीर धाराओं को कम करने के एवज में मोटी रकम की डिमांड की। शुरुआती तौर पर उन्होंने एक लाख रुपये मांगे, लेकिन बाद में 20 हज़ार रुपये में समीर की मदद करने की बात कही।
दारोगा की इस डिमांड से परेशान समीर ने सीधे भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एंटी करप्शन) से संपर्क किया और पूरे मामले की शिकायत की। एंटी करप्शन टीम ने शिकायत की पुष्टि के बाद महिला दारोगा को रंगेहाथ पकड़ने का जाल बिछाया। 13 जून 2017 को एंटी करप्शन टीम की छह सदस्यों की टीम ने पूरी तैयारी के साथ समीर को 20 हज़ार रुपये (2-2 हज़ार के 10 नोट, जिन पर केमिकल लगा था) देकर बुढ़ाना गेट पुलिस चौकी भेजा।
जैसे ही समीर ने पुलिस चौकी के अंदर बैठकर महिला दारोगा अमृता यादव को रिश्वत की रकम दी, पहले से घात लगाए बैठी एंटी करप्शन टीम ने धावा बोल दिया। टीम ने महिला दारोगा अमृता यादव को 20 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया। उनके हाथों से रिश्वत के नोट बरामद किए गए और केमिकल टेस्ट में पुष्टि हो गई। गिरफ्तारी के बाद हुई विभागीय जांच में भी अमृता यादव पर लगे रिश्वत के आरोप सही पाए गए। एंटी करप्शन टीम की ओर से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।
इस मामले में अदालत में ट्रायल चला और आखिरकार पिछले साल 5 सितंबर 2024 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने महिला दारोगा अमृता यादव को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें सात साल के कठोर कारावास और 75 हज़ार रुपये के भारी जुर्माने की सज़ा सुनाई। अदालत से सज़ा मिलने के बाद से ही अमृता यादव पुलिस सेवा से निलंबित थीं और जेल में बंद हैं। वर्तमान में वह बागपत जेल में अपनी सज़ा काट रही हैं।
अदालत से सज़ा मिलने के बाद सेवा से बर्खास्तगी एक अपेक्षित कदम था, लेकिन इसमें समय लगा। अब, मेरठ रेंज के डीआईजी कलानिधि नैथानी ने इस लंबित मामले का निस्तारण करते हुए सख्त फैसला लिया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली-1991 के नियम-8 (2) (क) में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए, राजहित और पुलिस मुख्यालय की मंशानुसार, 4 मई 2025 को अमृता यादव को तत्काल प्रभाव से 'सेवा से पदच्युत' यानि बर्खास्त कर दिया।
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने एक बार फिर दोहराया है कि पुलिस फोर्स में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या गलत आचरण स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई पुलिसकर्मी अपराध करता है या कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया जाता है, तो उसे निश्चित रूप से नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। अमृता यादव की बर्खास्तगी इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि पुलिस विभाग अपने भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
