मेरठ : इस कॉम्प्लेक्स पर चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 10 साल पुराने फैसले पर लगाई मुहर; मचा हड़कम

 मेरठ में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल बाद बड़ा फैसला सुनाया है। अब बाजार में 1500 अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलेगा। इससे व्यापारियों में हड़कंप मच गया है।
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CENTRAL MARKET MEERUT
मेरठ के शास्त्री नगर स्थित सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माणों को लेकर 10 साल पहले दिए गए हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल मार्केट 661/6 कॉम्प्लेक्स को तीन माह में अवैध निर्माण खाली कराने और दो सप्ताह में ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इसी तरह की कार्रवाई भू-उपयोग बदलकर किए गए 1400 से अधिक निर्माणों पर भी की जाएगी। उधर, आदेश के बाद व्यापारियों में हड़कंप मच गया है। READ ALSO:-UP : संभल की तरह मेरठ में भी मिला 42 साल पुराना मंदिर, इतने साल से पड़ा है बंद; मुस्लिम पक्ष का कहना है-यह मजा

 

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 से लंबित मामले की सुनवाई करते हुए 19 नवंबर 2024 को शास्त्री नगर स्थित सेंट्रल मार्केट में भू-उपयोग बदलकर किए गए निर्माणों की यथास्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। आवास विकास ने सर्वे कर करीब 1400 निर्माणों की सूची दाखिल की थी, जिसके बाद व्यापारियों ने व्यापार बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर आवासीय संपत्तियों पर बनी दुकानों को नियमित करने की मांग की थी। मंगलवार को आदेश की जानकारी मिलते ही सेंट्रल मार्केट 661/6 के दुकानदारों की बैठक हुई। 

 

वहीं, व्यापारी बचाओ संघर्ष समिति के सह संयोजक जितेंद्र अग्रवाल अट्टू ने अधिवक्ताओं से संपर्क किया। आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता मोहम्मद आफताब ने बताया कि 36 पेज के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने परिषद के आवास आयुक्त और मेरठ के कमिश्नर को कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 

 

क्या था मामला? 
हाईकोर्ट ने पांच दिसंबर 2014 को सेंट्रल मार्केट शास्त्रीनगर में आवास विकास परिषद द्वारा किए गए निर्माण और भू उपयोग परिवर्तन के संबंध में आदेश दिए थे। परिषद की भूमि विकास गृह स्थान योजना संख्या सात के सेक्टर छह में भवन संख्या 661/6 का आवंटन 1986 में 2,95,795 रुपये में वीर सिंह को किया गया था। शर्त थी कि भूखंड का उपयोग आवासीय उद्देश्य से किया जाएगा। लेकिन वर्ष 2011 में बिना नक्शा स्वीकृत कराए उक्त भूखंड पर व्यवसायिक निर्माण कर लिया गया।

 

परिषद अधिकारियों ने पुलिस बल की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने में असमर्थता जताते हुए न्यायालय को बताया। 15 वर्ष के अंतराल में भूखंड पर 23 दुकानें बना दी गईं। हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ ने मेरठ के तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी को 31 दिसंबर 2014 से पहले 661/6 पर बने अवैध निर्माण को बल प्रयोग कर ध्वस्त करने का आदेश दिया था। जिन अधिकारियों के कार्यकाल में निर्माण हुआ, उनके खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए थे।

 

पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी इस मामले की सुनवाई कर चुके हैं। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 661/6 की दुकानों के मालिक सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पांच जनवरी 2015 को मामले में स्टे दे दिया था। तब से मामला लंबित है।

 

वर्ष 2017 में शास्त्री नगर निवासी राहुल राणा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें स्टे के अलावा जमीन का उपयोग कर किए गए अन्य निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने 27 जुलाई को आदेश दिया था कि आवास विकास परिषद के सक्षम अधिकारी सेंट्रल मार्केट मामले पर आठ सप्ताह में निर्णय लेकर विधिक कार्रवाई करें! 

 

30 दिसंबर 2017 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 5 जनवरी 2015 को दिए गए आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि शास्त्री नगर सेक्टर छह फेस वन स्थित 661/6 के सात दुकानदारों को स्टे मिल गया है। यह स्टे हाईकोर्ट के 5 दिसंबर 2014 के आदेश के संबंध में दिया गया है।

 

पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार
सेंट्रल मार्केट 661/6 कॉम्प्लेक्स के व्यापारियों ने बैठक कर आगामी रणनीति पर चर्चा की। कॉम्प्लेक्स की पांच दुकानों के मालिक किशोर वाधवा ने कहा कि देखना यह है कि कोर्ट के आदेश का किस तरह से पालन होता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी और प्रार्थना की जाएगी कि कॉम्प्लेक्स की दुकानों से 60 से अधिक परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं। ऐसे निर्माण बड़ी संख्या में हैं, अगर उन्हें रियायत दी जा रही है तो हमें भी मिलनी चाहिए। बैठक में सरदार जी साड़ी के मंदीप वाधवा, रजत गोयल, रजत अरोड़ा, राजेंद्र बड़जात्या आदि मौजूद रहे। 

 

हजारों लोग प्रभावित होंगे 
आवास विकास परिषद ने शास्त्री नगर में भू उपयोग बदलकर किए गए निर्माणों की सूची तैयार की है। माधवपुरम, जागृति विहार, मंगल पांडे नगर समेत सभी योजनाओं पर नजर डालें तो ये निर्माण ढाई हजार के आसपास हैं।

 

आवासीय भूखंडों को व्यावसायिक प्रतिष्ठान में तब्दील करने वाले ऐसे लोग इस आदेश के दायरे में आ रहे हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन के लिए भी आदेश को लागू कराना टेढ़ी खीर साबित होगा। इससे पहले 2015 में आदेश लागू होने के समय भारी विरोध हुआ था।
SONU

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