मेरठ: बागेश्वर धाम सरकार ने फिर छेड़ी हिंदू राष्ट्र बनाने की बात, बोले-सरकार कह रही बच्चे दो ही अच्छे, लेकिन चच्चे के तीस बच्चे क्यों?

 धीरेंद्र शास्त्री बोले-मेरठ से शुरू हो हिंदू राष्ट्र की क्रांति, जातिवाद देश तोड़ने की साजिश, चच्चे के तीस बच्चे क्यों?, सौरभ हत्याकांड पर भी बोले
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Dhirendra Shastri
मेरठ में आयोजित 'हनुमंत कथा' में प्रवचन दे रहे बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बुधवार को एक बार फिर हिंदू राष्ट्र की आवाज बुलंद की। जागृति विहार में चल रही पांच दिवसीय हनुमंत कथा के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी।READ ALSO:-मुरादाबाद मंडल के आयुक्त आंजनेय कुमार ने बिजनौर कलेक्ट्रेट का किया निरीक्षण, कार्यालयों में सुधार के दिए निर्देश

 

सनातन धर्म से तृतीय विश्व युद्ध से बचाव की बात:
धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए मेरठ से क्रांति शुरू होनी चाहिए। उन्होंने कुछ साल पहले मेरठ में दिए गए एक बयान का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि कुछ लोग 42 या 45 फीसदी होकर एकजुट हो जाएं तो 'बोटी बोटी' कर देंगे, जिससे उन्हें दुख हुआ था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह देश संविधान, हनुमान और सनातन धर्म से चलेगा। उनके अनुसार, पूरे विश्व में सनातन धर्म ही एकमात्र ऐसा है जो तीसरे विश्व युद्ध को टाल सकता है। उन्होंने जातिवाद को देश को तोड़ने वाली सबसे बड़ी साजिश बताया और राष्ट्रवाद को अपनाने का आह्वान किया।

 

हिंदू राष्ट्र में जातिवाद और छुआ-छूत पर नहीं होगी राजनीति​​​​​​​:
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि हिंदू राष्ट्र बनने के बाद सनातन धर्म पर उंगली उठाना राष्ट्रद्रोह माना जाएगा और दंड की प्रक्रिया में बदलाव होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू राष्ट्र में सभी को रहने का अधिकार होगा, लेकिन जिस प्रकार दुबई जैसे मुस्लिम देशों में मुस्लिमों को प्राथमिकता मिलती है, उसी प्रकार हिंदू राष्ट्र में सनातन धर्म के अनुयायियों को प्रथम प्राथमिकता मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू राष्ट्र में गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाएगा और जात-पात, छुआ-छूत के नाम पर होने वाली राजनीति पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, हिंदू राष्ट्र में कोई भी तिरंगे का अपमान नहीं कर पाएगा और 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगाने की हिम्मत नहीं करेगा। 'वंदे भारत' बोलने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी।

 

पदयात्रा के माध्यम से हिंदुओं को जगाने की योजना:
अपनी प्रस्तावित दिल्ली से वृंदावन तक की पदयात्रा के बारे में धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि इसका उद्देश्य हिंदुओं को जगाना, उन्हें एकजुट करना और समाज को भेदभाव से मुक्त करके विचारों की क्रांति लाना है। उन्होंने कहा कि यह उनकी दूसरी पदयात्रा होगी और इसका मुख्य लक्ष्य ब्रज क्षेत्र में मांस और मदिरा पर प्रतिबंध लगवाना है, जिसके लिए वे सरकार के साथ-साथ लोगों के मन में भी संकल्प स्थापित करना चाहते हैं।

 

सरकार के बच्चों पर नियमों पर सवाल उठाना:
जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी राय रखते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सरकार 'बच्चे दो ही अच्छे' का नारा देती है, लेकिन 'चच्चे' के तीस बच्चे क्यों होते हैं? उन्होंने मांग की कि यह नियम सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही बच्चे चार हों, लेकिन वे कट्टर हिंदू होने चाहिए। उन्होंने तलवारों से लड़ाई लड़ने की बातों पर विश्वास न करने और इतिहास मिटाने की बात न करने की बात कही। उनकी क्रांति का उद्देश्य केवल इंसानों में इंसानियत लाना है। उन्होंने कहा कि देश शस्त्र और शास्त्र दोनों से चलेगा। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज द्वारा गाय माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के प्रयासों की उन्होंने सराहना की।

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सौरभ हत्याकांड पर प्रतिक्रिया​​​​​​​:
चर्चित सौरभ हत्याकांड पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उस नीले ड्रम की घटना से हर पति सदमे में है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि भगवान की कृपा है कि उनकी तो अभी शादी ही नहीं हुई है। उन्होंने इस घटना को अत्यंत निंदनीय बताते हुए कहा कि वर्तमान समाज में बढ़ती पश्चिमी सभ्यता और 'लव' के चक्कर में पड़कर लोग अपने परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने पश्चिमी सभ्यता, टीवी सीरियलों को महिलाओं के लिए हानिकारक बताया और लोगों से अपने बच्चों को रामचरितमानस पढ़ाने का आग्रह किया ताकि उनके जीवन में सुधार हो सके। उन्होंने संतानों को संस्कारवान बनाने के लिए प्रत्येक भारतीय को रामचरितमानस को आधार बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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काशी और मथुरा पर बयान:​​​​​​​ औरंगजेब के बारे में बात करते हुए शास्त्री ने कहा कि देश को तोड़ने वाला कभी महान नहीं हो सकता, महान वही है जो देश को जोड़ता है। उन्होंने मांग की कि भारत को तोड़ने वाले सभी विदेशी विधर्मियों के नामोनिशान मिटा दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरठ में भी कई ऐसे मार्ग और जगह हैं जिनके नाम बदले जाने चाहिए। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि कानून और संविधान पर पत्थर फेंककर मांग की जाएगी, तो अभी तो यही कहा जा रहा है कि काशी और मथुरा बाकी हैं, लेकिन फिर यही कहा जाएगा कि संभल, काशी और मथुरा बाकी हैं।

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