मेरठ में हेड कांस्टेबल की सेटिंगबाजी का पर्दाफाश, दो साल तक तबादले के बाद भी पेशी में करता रहा ड्यूटी

 गुप्त पत्र से हुआ खुलासा, जांच में खाते में मिले 10 लाख रुपये, SSP ने दी बड़ी कार्रवाई के संकेत
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मेरठ पुलिस विभाग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एसपी सिटी कार्यालय में पेशी पर तैनात एक हेड कांस्टेबल ने कथित तौर पर सिस्टम को ताक पर रखकर दो साल तक अपने तबादले के आदेश को टाले रखा। इतना ही नहीं, कप्तान द्वारा लाइन हाजिर किए जाने के बाद भी उसने सेटिंग करके फिर से एसपी सिटी कार्यालय में अपनी पैठ बना ली। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक गुमनाम पत्र वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा, जिसके बाद शुरू हुई जांच में हेड कांस्टेबल के बैंक खाते में दस लाख रुपये की संदिग्ध रकम का पता चला है।READ ALSO:-मेरठ में मौसम का पलटवार: 18 अप्रैल को आंधी-बारिश का अलर्ट, किसानों पर संकट

 

पूरा घटनाक्रम:
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) विपिन ताडा ने 30 जनवरी को एसपी सिटी की पेशी में तैनात हेड कांस्टेबल अजीत सिंह को लाइन हाजिर कर दिया था। यह कार्रवाई तब हुई जब एसपी सिटी कार्यालय से एक पुलिसकर्मी अवकाश पर चला गया था। इसी बीच, अजीत सिंह ने पुलिस लाइन में कथित तौर पर सेटिंग करके अपनी रवानी (तैनाती आदेश) फिर से एसपी सिटी कार्यालय के लिए करा ली।

 

कुछ दिनों तक ड्यूटी करने के बाद, पुलिस विभाग के डीआईजी, एडीजी और एसएसपी को डाक के माध्यम से एक गुमनाम पत्र मिला। इस पत्र में बताया गया था कि लाइन हाजिर किया गया हेड कांस्टेबल अभी भी एसपी सिटी की पेशी में ड्यूटी कर रहा है। इस सूचना के बाद कप्तान ने तत्काल इसकी जांच एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा को सौंपी।

 

जांच में हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि अजीत सिंह पिछले छह वर्षों से लगातार एसपी सिटी की पेशी में ड्यूटी कर रहा था। दो साल पहले उसका स्थानांतरण एसपी देहात की पेशी में हो गया था, लेकिन अजीत ने अपनी रवानगी (रिलीविंग) नहीं कराई और वह लगातार एसपी सिटी कार्यालय में ही तैनात रहा।

 

एसएसपी विपिन ताडा ने जब सभी कार्यालयों में तैनात पुलिसकर्मियों की जांच कराई, तब अजीत का यह कारनामा पकड़ में आया। इसके बाद अजीत को दोबारा एसपी सिटी कार्यालय से लाइन हाजिर कर दिया गया। लेकिन, अपनी पुरानी आदतों के अनुसार, उसने पुलिस लाइन में फिर से सेटिंग करके एसपी सिटी की पेशी में आकर बैठना शुरू कर दिया था, जिसके बाद गुमनाम पत्र के जरिए यह मामला उजागर हुआ।

 

जांच में यह भी पाया गया कि अजीत सिंह के बैंक खाते में विभिन्न बैंक खातों से दस लाख रुपये से अधिक की रकम जमा हुई है। माना जा रहा है कि यह रकम अवैध धंधों में शामिल लोगों के खातों से आई है। एसपी यातायात ने अपनी जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी है, और हेड कांस्टेबल पर जल्द ही कड़ी कार्रवाई होने की संभावना है।

 

एसपी सिटी का बयान:
वर्तमान एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अजीत सिंह उनकी तैनाती से पहले भी पेशी में तैनात था। उन्होंने बताया कि जब भी गलत कार्यों की सूचनाएं मिलती थीं, तो अजीत सिंह को ही जांच के लिए भेजा जाता था और उसने कई बार सेटिंग करके वहां से भी रकम वसूली की थी। बाद में जांच में पता चला था कि उसकी तैनाती एसपी देहात के कार्यालय में है, लेकिन रवानगी न होने के कारण वह एसपी सिटी कार्यालय में ही जमा हुआ था। लाइन हाजिर होने के बाद वह दोबारा से कार्यालय में बैठने लगा था, जबकि जीडी (जनरल डायरी) में उसकी कोई एंट्री नहीं थी। इसी शिकायत पर एसपी यातायात को जांच सौंपी गई थी।

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अधिकारी बदलते रहे, पर अजीत की रवानगी नहीं हुई:
आमतौर पर स्थानांतरण होने के बाद तत्काल ही संबंधित कार्यालय या थाने से रवानगी हो जाती है। लेकिन, अजीत सिंह ने कथित तौर पर सेटिंग के दम पर दो साल तक बिना रवानगी कराए एसपी सिटी की पेशी में ड्यूटी करता रहा, जबकि इस दौरान कई अधिकारी बदले गए। माना जा रहा है कि शहर के अवैध धंधों की जानकारी होने के कारण वह अधिकारियों को भी गुमराह करता रहता था। अंततः एक गुमनाम पत्र ने अधिकारियों को अजीत सिंह की हकीकत से अवगत कराया।
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