मेरठ: कनोहर लाल गर्ल्स पीजी कॉलेज में प्राचार्य पद पर 'निलंबन-बहाली' का 'ड्रामा', कुलपति ने किया बहाल, 3 घंटे बाद प्रबंध समिति ने फिर लौटाया सस्पेंड!

 कॉलेज में प्राचार्य की कुर्सी को लेकर घमासान तेज, डॉ. अलका चौधरी को लेकर विश्वविद्यालय और प्रबंध समिति आमने-सामने; सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
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KANORARLAL
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) से संबद्ध मेरठ के कनोहर लाल गर्ल्स पीजी कॉलेज में प्राचार्य पद पर तैनाती को लेकर अप्रत्याशित और चौंकाने वाली स्थिति पैदा हो गई है। बुधवार को जहां विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कॉलेज की निलंबित प्राचार्य डॉ. अलका चौधरी को बहाल कर दिया, वहीं इस फैसले के ठीक तीन घंटे के भीतर कॉलेज की प्रबंध समिति ने डॉ. चौधरी को एक बार फिर से निलंबित कर दिया। प्रबंध समिति ने डॉ. अलका चौधरी से 15 दिन के भीतर नोटिस का जवाब मांगा है।READ ALSO:-मेरठ: महिला मित्र के साथ होटल गए दारोगा पर हिस्ट्रीशीटर और उसके साथियों का जानलेवा हमला, हाईवे पर दौड़ाकर पीटा; एक बदमाश मुठभेड़ में गिरफ्तार

 

कॉलेज में प्राचार्य की कुर्सी का यह विवाद काफी समय से चला आ रहा है। डॉ. अलका चौधरी को उच्च शिक्षा आयोग द्वारा कनोहर लाल कॉलेज में प्राचार्य नियुक्त किया गया था। उन्होंने 23 अक्तूबर 2021 को कॉलेज में कार्यभार ग्रहण किया था। नियमानुसार, नियुक्ति के एक साल तक प्रिंसिपल का प्रोबेशन पीरियड होता है। इस अवधि के बाद ही प्रबंध समिति के पदाधिकारियों और प्राचार्य अलका चौधरी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था।

 

विवाद बढ़ने पर प्रबंध समिति ने डॉ. अलका चौधरी को प्राचार्य पद से हटा दिया था। इस फैसले के खिलाफ डॉ. अलका चौधरी ने विश्वविद्यालय की कुलपति से शिकायत की थी। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए डॉ. अलका चौधरी को बहाल करते हुए उन्हें दोबारा प्राचार्य पद पर ज्वाइन करने के आदेश जारी किए थे।

 

कुलपति के आदेश के बाद डॉ. अलका चौधरी ने कॉलेज में प्राचार्य का कार्यभार ग्रहण कर लिया था। हालांकि, प्रबंध समिति कुलपति के इस आदेश से संतुष्ट नहीं थी और उन्होंने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। लेकिन हाईकोर्ट से भी फैसला डॉ. अलका चौधरी के पक्ष में आया। इसके बाद प्रबंध समिति ने डबल बेंच में अपील की, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। हार न मानते हुए प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और याचिका दायर की।

 

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की फाइनल सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही प्रबंध समिति ने अक्टूबर 2024 में एकतरफा कार्रवाई करते हुए डॉ. अलका चौधरी को दोबारा निलंबित कर दिया। प्रबंध समिति के इस निलंबन आदेश के खिलाफ डॉ. अलका चौधरी ने एक बार फिर कुलपति से अपील की।

 

कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति में डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर भूपेंद्र चौधरी के निर्देशन में आरजी कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर निवेदिता मलिक, डीएन कॉलेज गुलावठी के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार और आरएसएस कॉलेज पिलखुवा की प्राचार्य प्रोफेसर प्रेमलता शामिल थीं।

 

जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में डॉ. अलका चौधरी को क्लीन चिट दे दी। समिति ने पाया कि डॉ. अलका चौधरी ने प्रबंध समिति की "अनुचित वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्यप्रणाली" को विभिन्न माध्यमों से उजागर किया था। इसी कारण प्रबंध समिति के पदाधिकारियों और प्राचार्य के बीच विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके चलते प्रबंध समिति ने डॉ. अलका चौधरी को निलंबित किया। समिति ने प्रबंध समिति द्वारा डॉ. चौधरी पर लगाए गए वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को भी निराधार पाया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि अस्थाई शिक्षिकाओं के वेतन वाउचर पर प्रबंध समिति के सचिव के हस्ताक्षर हैं। समिति ने डॉ. अलका चौधरी द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को उनकी "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार" माना।

 

जांच समिति की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने प्रबंध समिति द्वारा डॉ. अलका चौधरी के निलंबन के आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया। सीसीएसयू ने आधिकारिक तौर पर डॉ. अलका चौधरी को एक बार फिर से कनोहर लाल गर्ल्स पीजी कॉलेज में प्राचार्य पद पर नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए।

 

सीसीएसयू से आदेश मिलने के बाद डॉ. अलका चौधरी बुधवार दोपहर को कॉलेज पहुंचीं और प्राचार्य पद पर ज्वाइन करने का प्रयास किया। हालांकि, डॉ. चौधरी के अनुसार, प्राचार्या का ऑफिस बंद मिला। उन्होंने अपनी ज्वाइनिंग रिपोर्ट क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को सौंप दी है।

 

लेकिन, कुलपति के ज्वाइन कराने के आदेश के जारी होने के महज तीन घंटे के भीतर ही कॉलेज की प्रबंध समिति ने एक बार फिर से डॉ. अलका चौधरी को निलंबित कर दिया। कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज सिंघल का इस संबंध में कहना है कि उन्होंने एक रिटायर्ड जज के माध्यम से प्राचार्य के आरोपों की जांच कराई थी। उस रिपोर्ट में डॉ. अलका चौधरी द्वारा वित्तीय अनियमितताएं किए जाने की बात सामने आई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर उन्हें फिर से निलंबित किया जा रहा है। नीरज सिंघल ने कहा कि यदि प्राचार्य अपनी जगह सही हैं तो वे प्रबंध समिति द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब 15 दिन के भीतर दे सकती हैं।

 OMEGA

फिलहाल, कनोहर लाल गर्ल्स पीजी कॉलेज में प्राचार्य पद को लेकर विश्वविद्यालय और प्रबंध समिति के बीच खींचतान जारी है, और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर 'निलंबन और बहाली' के नाटकीय घटनाक्रम से गुजर रहा है। इस स्थिति से कॉलेज के शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों पर भी असर पड़ने की आशंका है।
SONU

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