मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मिली बड़ी सौगात, स्वीकृत हुई SPRIHA IPR चेयर, छात्रों और शोधार्थियों को होगा सीधा लाभ
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना SPRIHA (Scheme for Pedagogy & Research in IPRs for Holistic Awareness) के तहत IPR चेयर (बौद्धिक संपदा अधिकार अध्यक्षता) की स्वीकृति मिल गई है। यह विश्वविद्यालय के लिए शैक्षणिक और शोध क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
Apr 16, 2025, 15:13 IST
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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। विश्वविद्यालय को SPRIHA (Scheme for Pedagogy & Research in IPRs for Holistic Awareness) योजना के अंतर्गत IPR चेयर (बौद्धिक संपदा अधिकार अध्यक्षता) स्वीकृत की गई है। यह स्वीकृति विश्वविद्यालय के नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।READ ALSO:-सफाई व्यवस्था लचर, नगर आयुक्त सख्त: मेरठ के कई इलाकों में कूड़े के ढेर, सफाई अधिकारियों को नोटिस
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता शुक्ला ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि इस IPR चेयर की स्थापना से विश्वविद्यालय में नवाचार और अनुसंधान के कार्यों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा, जिससे छात्रों और शोधार्थियों को काफी लाभ होगा।
शोध निदेशक प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस IPR चेयर के तहत एक प्रोफेसर की नियुक्ति की जाएगी, जिन्हें प्रतिमाह एक लाख रुपये का समेकित मानदेय प्रदान किया जाएगा। इस प्रोफेसर की नियुक्ति पांच वर्षों के लिए होगी, जिसे आवश्यकतानुसार दो वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत दो रिसर्च असिस्टेंट (शोध सहायक) भी नियुक्त किए जाएंगे, जिन्हें अधिकतम 50 हजार रुपये प्रति माह तक का मानदेय दिया जाएगा। साथ ही, एक Ph.D. फेलोशिप (JRF/SRF - जूनियर रिसर्च फेलो/सीनियर रिसर्च फेलो) भी प्रदान की जाएगी, जो पांच वर्षों तक मान्य रहेगी।
विश्वविद्यालय को प्रति वर्ष लगभग पांच लाख रुपये की धनराशि भी स्वीकृत की गई है। इस धनराशि का उपयोग IPR से संबंधित पुस्तकों की खरीद, प्रोफेसर और शोधार्थियों के यात्रा भत्ते और विश्वविद्यालय में कार्यशालाओं, सेमिनारों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किया जाएगा।
कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री जयंत सिंह का विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि इस IPR चेयर से विश्वविद्यालय के छात्रों को बहुत अधिक लाभ मिलेगा। छात्रों और शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों, जैसे कि पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क आदि की गहरी समझ विकसित करने का अवसर मिलेगा।
विश्वविद्यालय में अब नियमित रूप से IPR पर आधारित कार्यशालाएं, सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे स्टार्टअप और नवाचार के क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र अपने आविष्कारों की सुरक्षा और पेटेंटिंग की पूरी प्रक्रिया को आसानी से समझ सकेंगे। इसके अलावा, शोध के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को विभिन्न शोध परियोजनाओं में भाग लेने, अनुभवी शिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त करने और फेलोशिप का लाभ उठाने का अवसर भी मिलेगा।
यह स्वीकृति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, जो बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को समझते हुए नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
