मेरठ: सेना का जवान AK-47 कारतूसों के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार: आतंक विरोधी ऑपरेशन से मिले हथियार बेचने की फिराक में था सिपाही!
रैपिड स्टेशन के पास ATS और पुलिस के संयुक्त अभियान में पकड़ा गया आरोपी; दोस्त को सप्लाई करने की थी तैयारी, अब कानूनी शिकंजे में
Updated: Jun 19, 2025, 10:28 IST
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मेरठ, उत्तर प्रदेश – एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में, मेरठ के रैपिड स्टेशन के पास एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) और स्थानीय पुलिस ने सेना के एक सिपाही को AK-47 राइफल के 70 जिंदा कारतूसों के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह सिपाही, जिसकी पहचान राहुल के रूप में हुई है और जो नगली आजड़ का निवासी है, कथित तौर पर इन कारतूसों को बेचने की फिराक में था। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ये कारतूस उसे जम्मू-कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों के दौरान मिले थे, जिन्हें उसने छिपा लिया था।READ ALSO:-मेरठ: प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत-परिवार की बेरुखी ने ली दो जिंदगियां! प्रेम की आग में जल गया 'प्रवीण', प्रेमिका 'सोनी' ने फांसी लगाकर तोड़ा दम
मुखबिर की सूचना पर बिछाया जाल
मामले का खुलासा तब हुआ जब एटीएस के उप निरीक्षक अमित कुमार भाटी को एक विश्वसनीय मुखबिर से सूचना मिली कि एक व्यक्ति अवैध कारतूसों के साथ एक कार में आ रहा है। इस अहम जानकारी पर तुरंत कार्रवाई करते हुए, अमित कुमार भाटी मोदीपुरम चौकी पहुंचे, जहां चौकी प्रभारी पहले से ही वाहन चेकिंग कर रहे थे। उन्होंने पल्लवपुरम पुलिस को इसकी जानकारी दी और दोनों टीमों ने मिलकर रैपिड स्टेशन के पास घेराबंदी कर दी।
आईडी कार्ड पहने दिखा फौजी, कार से निकले घातक कारतूस
जैसे ही संदिग्ध कार रैपिड स्टेशन के पास पहुंची, पुलिस और एटीएस ने उसे रोक लिया। कार चला रहे व्यक्ति ने अपने गले में सेना का पहचान पत्र (ID Card) पहन रखा था। पूछताछ करने पर उसने अपना नाम राहुल बताया और पुष्टि की कि वह भारतीय सेना में सिपाही है। राहुल की कार की तलाशी लेने पर पुलिस टीम दंग रह गई – कार के अंदर से एके-47 के 70 कारतूस बरामद हुए। तत्काल प्रभाव से कारतूसों और कार को जब्त कर राहुल को पल्लवपुरम थाने ले जाया गया, जहां उप निरीक्षक अमित कुमार भाटी ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
'ऑपरेशन' में मिले कारतूस छिपाए, अब अहमदनगर में है तैनाती
पूछताछ के दौरान, सिपाही राहुल ने खुलासा किया कि ये घातक कारतूस उसे जम्मू-कश्मीर में अपनी तैनाती के दौरान एक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में मिले थे। उसने बताया कि उसने इन्हें तब छिपा लिया था। वर्तमान में, राहुल की तैनाती महाराष्ट्र के अहमदनगर में सीटी बटालियन एमआईसी एंड एस ट्रेनिंग सेंटर में है। जब एटीएस अधिकारियों ने उससे इन कारतूसों को रखने का वैध लाइसेंस मांगा, तो वह कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका।
दोस्त को देने आया था 'जान बचाने' वाले कारतूस, जाल में खुद फंसा
जांच में सामने आया है कि राहुल छुट्टी पर अपने एक दोस्त को ये कारतूस देने आया था, जो शास्त्रीनगर का रहने वाला है। राहुल ने बताया कि उसके दोस्त ने उसे बताया था कि वह एसटीएफ में तैनात है और उसके कुछ कारतूस गुम हो गए हैं, जिससे उसकी नौकरी खतरे में पड़ गई है। दोस्त ने राहुल से मदद मांगी थी। इसी के बाद राहुल ने छुट्टी पर आने पर उसे कारतूस लाकर देने का वादा किया था।
मेरठ पहुंचने के बाद राहुल ने अपने दोस्त को फोन किया और उसे एक कॉलेज के पास बुलाया। राहुल तो तय जगह पर पहुंच गया, लेकिन उसका दोस्त नहीं आया। इसी बीच एटीएस और पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई। खबरों के अनुसार, जैसे ही एक युवक राहुल के पास पहुंचा, राहुल ने कारतूस उसके ऊपर फेंक दिए और भागने की कोशिश करने लगा। बताया गया है कि इस दौरान राहुल की कार पर पुलिस ने फायरिंग भी की। आखिरकार, पुलिस ने राहुल को पकड़ लिया। घटना स्थल पर सेना के कमांडिंग ऑफिसर पुनीत शर्मा भी पहुंचे और उन्होंने राहुल से पूछताछ की।
यह घटना सेना के जवानों द्वारा अवैध गतिविधियों में शामिल होने की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। मामले की आगे की जांच जारी है।
