मेरठ : सेंट्रल मार्केट के व्यापारी की दिल का दौरा पड़ने से मौत...ध्वस्तीकरण नोटिस से तनाव में थे सुरेंद्र सिंघल
मेरठ के सेंट्रल मार्केट में रिहायशी इमारतों में व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्तीकरण किया जाना है। व्यापारियों का आरोप है कि इसी नोटिस के तनाव में एक व्यापारी की मौत हो गई।
Mar 2, 2025, 20:10 IST
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सेंट्रल मार्केट में शनिवार को एक व्यापारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उसकी मौत से व्यापारियों में रोष व्याप्त है। व्यापारियों का आरोप है कि आवास एवं विकास परिषद द्वारा भेजे गए ध्वस्तीकरण के नोटिस से व्यापारी कुछ दिनों से अवसाद में थे। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। READ ALSO:-मेरठ : लिसाड़ी गेट में बुजुर्ग की चाकू घोंपकर हत्या, बहन के घर आया था, घटना के खुलासे में पुलिस ने लगाई 3 टीमें
सेंट्रल मार्केट के पूर्व अध्यक्ष किशोर वाधवा ने बताया कि सुरेंद्र सिंघल का सिंघल जनरल स्टोर 146/6 सेंट्रल मार्केट शास्त्री नगर में है। उन्होंने बताया कि आवास एवं विकास परिषद ने नोटिस भेजा था। तब से वह परेशान थे। परिजनों और मार्केट के व्यापारियों ने उन्हें काफी समझाया था। शनिवार सुबह 10 बजे हार्ट अटैक आने पर उन्हें आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।
कई व्यापारी अवसाद में व्यापारी नेता जितेंद्र अग्रवाल अट्टू का कहना है कि विभाग के नोटिस से व्यापारी बेचैन हैं। सुरेंद्र सिंघल की उम्र करीब 52 वर्ष थी। कई दुकानदार अवसाद में आ गए हैं। पिछले तीस-चालीस वर्षों में खड़ा किया गया व्यापार एक झटके में खत्म हो गया तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। उन्होंने सरकार से व्यापारियों को राहत देने की मांग की।
दूसरी ओर, कुछ व्यापारियों का कहना है कि यदि आवास विकास द्वारा व्यापारियों के हित में बाजार के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया तो यह कई व्यापारियों के लिए घातक होगा। जनप्रतिनिधि भी उनका साथ नहीं दे रहे हैं।
सेंट्रल मार्केट के 600 से अधिक दुकानदारों को नोटिस
सेंट्रल मार्केट में आवासीय भवनों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर आवास विकास लगातार व्यापारियों को नोटिस भेज रहा है। अब तक 600 से अधिक दुकानदारों को नोटिस भेजे जा चुके हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को 661/6 आवासीय भवन में बनी दुकानों को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। अब तक 600 से अधिक दुकानदारों को अवैध निर्माण हटाने के नोटिस दिए जा चुके हैं। दूसरी ओर, विभाग के नोटिस से व्यापारियों में हड़कंप मच गया है। आवास विकास के नोटिस के बाद कई दुकानदारों ने अपनी दुकानें खुद ही बंद कर दी हैं।
सेंट्रल मार्केट में आवासीय भवनों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर आवास विकास लगातार व्यापारियों को नोटिस भेज रहा है। अब तक 600 से अधिक दुकानदारों को नोटिस भेजे जा चुके हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को 661/6 आवासीय भवन में बनी दुकानों को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। अब तक 600 से अधिक दुकानदारों को अवैध निर्माण हटाने के नोटिस दिए जा चुके हैं। दूसरी ओर, विभाग के नोटिस से व्यापारियों में हड़कंप मच गया है। आवास विकास के नोटिस के बाद कई दुकानदारों ने अपनी दुकानें खुद ही बंद कर दी हैं।
तनाव और स्वास्थ्य:
- यह घटना दिखाती है कि कानूनी नोटिस और ध्वस्तीकरण की संभावना व्यापारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर कितना गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
- अधिकारियों को ऐसी स्थितियों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और व्यापारियों के तनाव को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
कानूनी प्रक्रिया और मानवीय पहलू:
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन अधिकारियों को व्यापारियों के पुनर्वास और उनकी आजीविका के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने पर भी विचार करना चाहिए।
- अधिकारियों को व्यापारियों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए और उन्हें अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का अवसर देना चाहिए।
व्यापारियों की चिंताएं:
- व्यापारियों का अवसाद में होना और अपनी आजीविका खोने का डर स्वाभाविक है।
- सरकार और स्थानीय प्रशासन को व्यापारियों की समस्याओं को समझना चाहिए और उन्हें राहत प्रदान करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
पुनर्वास और वैकल्पिक व्यवस्था:
- ध्वस्तीकरण की स्थिति में, व्यापारियों के पुनर्वास और उनके लिए वैकल्पिक व्यापारिक स्थानों की व्यवस्था करना आवश्यक है।
- सरकार को व्यापारियों के लिए आर्थिक सहायता और ऋण प्रदान करने पर भी विचार करना चाहिए।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका:
- व्यापारियों का यह आरोप कि जनप्रतिनिधि उनका साथ नहीं दे रहे हैं, गंभीर है।
- जनप्रतिनिधियों को व्यापारियों की समस्याओं को सरकार और प्रशासन के सामने उठाना चाहिए और उनके समाधान के लिए प्रयास करना चाहिए।
यह घटना दिखाती है कि कानूनी प्रक्रियाओं को लागू करते समय मानवीय पहलुओं को भी ध्यान में रखना कितना महत्वपूर्ण है।