मेरठ कोर्ट में वकीलों का 'जंग': चैंबर विवाद में लात-घूंसे और तोड़फोड़, कचहरी परिसर में मचा बवाल!

चैंबर नंबर 20 के लिए भिड़े अधिवक्ता, वायरल हुआ मारपीट का वीडियो; बार एसोसिएशन ने गठित की जांच कमेटी
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MRT
मेरठ की न्यायिक गरिमा उस समय तार-तार हो गई जब जिला बार एसोसिएशन के महात्मा गांधी लॉ चैंबर स्थित चैंबर नंबर 20 में वकीलों के दो गुटों के बीच भयंकर मारपीट हो गई। यह विवाद चैंबर में बैठने को लेकर शुरू हुआ और देखते ही देखते लात-घूंसे, तोड़फोड़ और फाइलों को फेंकने में बदल गया। इस घटना से कचहरी परिसर में भारी हंगामा मच गया और इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।READ ALSO:-मेरठ में रहस्यमयी ढंग से लापता हुई महिला: दवा लेने निकली रूबी का 48 घंटे बाद भी नहीं कोई सुराग

 

क्या है 'चैंबर नंबर 20' विवाद की जड़?
इस पूरे बवाल की जड़ चैंबर नंबर 20 का संयुक्त आवंटन है। जिलाधिकारी ने इस चैंबर को हरपाल सिंह भाटी, मोहित त्यागी, काजल और मनोज कुमार के नाम आवंटित किया हुआ है। ये चारों अधिवक्ता इसी चैंबर से अपना कामकाज करते हैं।

 

बताया जा रहा है कि गुरुवार को अधिवक्ता मनोज कुमार ने मोहित त्यागी और काजल को चैंबर में बैठने से मना कर दिया, जिसके बाद तीखी बहस हुई। इस मामले की शिकायत एसएसपी तक भी पहुंची थी। लेकिन, शुक्रवार को विवाद फिर भड़क उठा। जब काजल और मोहित त्यागी अपने चैंबर पर पहुंचे, तो अधिवक्ता रेखा और मनोज कुमार ने उनका जोरदार विरोध किया। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों में पहले कहासुनी और फिर खुलेआम मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान चैंबर में जमकर तोड़फोड़ की गई और वकीलों की फाइलें उठाकर फेंक दी गईं। कचहरी में मौजूद अन्य वकील और वादकारी इस अप्रत्याशित लड़ाई को देखकर दंग रह गए।

 

पुलिस और बार एसोसिएशन दोनों एक्शन में: होगी कड़ी कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने मारपीट में चोटिल हुए चारों वकीलों – काजल, रेखा, मोहित और मनोज कुमार – का मेडिकल परीक्षण कराया है। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि सिविल लाइन पुलिस को मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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इस बीच, जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया है। अध्यक्ष राजीव त्यागी और महामंत्री अमित राणा ने तत्काल एक आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की कड़ी निंदा की गई। बैठक में एक पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में पूर्व अध्यक्ष विक्रम सिंह तोमर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संतोष कुमारी, पूर्व महामंत्री पंडित आनंद कश्यप, विमल तोमर और रामगोपाल शर्मा जैसे अनुभवी अधिवक्ताओं को शामिल किया गया है। यह कमेटी इस पूरे प्रकरण की जांच कर पांच दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बार पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त नियम भी बनाए जाएंगे।

 

यह घटना न्याय के मंदिर में बढ़ती अनुशासनहीनता और आपसी कलह की ओर इशारा करती है। क्या बार एसोसिएशन इन बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगा पाएगा और वकीलों की गरिमा को बहाल कर पाएगा?
SONU

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