मेरठ में खुला 'हाई-प्रोफाइल' कार फ्रॉड का राज़: STF ने दबोचा करोड़ों की लग्जरी गाड़ियों का 'फर्जी फाइनेंस' मास्टरमाइंड

 बैंकों को फर्जी पते, नकली आधार और 'उद्यम-यूनिट' से चूना लगा रहा था अनंगपाल नागर; 40 लाख की फॉर्च्यूनर समेत कई गाड़ियां बरामद
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मेरठ, उत्तर प्रदेश: मेरठ में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने एक ऐसे शातिर जालसाज को गिरफ्तार किया है, जिसने लग्जरी गाड़ियों को फर्जी कागजातों पर फाइनेंस कराकर करोड़ों रुपये का फ्रॉड किया। इस गिरोह का मास्टरमाइंड, अनंगपाल नागर, अब तक विभिन्न बैंकों को बड़ा चूना लगा चुका था। एसटीएफ ने नागर के पास से धोखाधड़ी से फाइनेंस कराई गई 40 लाख रुपये की फॉर्च्यूनर समेत कई अहम सुराग बरामद किए हैं। यह गिरफ्तारी एसटीएफ के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो ऐसे संगठित आर्थिक अपराधों पर लगाम लगाने में जुटी है।READ ALSO:-गाजियाबाद में बकरीद से पहले धधका आक्रोश! 'गोमांस' के शक में भीड़ ने पुलिस के सामने फूंक दिया ट्रक, ड्राइवर-क्लीनर को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

 

कैसे चलता था 'फर्जी फाइनेंस' का यह खेल?
एसटीएफ के एसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें लगातार सूचना मिल रही थी कि एक गैंग सक्रिय है जो महंगी गाड़ियां खरीदने के लिए बैंकों से लोन लेता है। ये अपराधी किराए के मकानों के पते का इस्तेमाल करते थे और आधार कार्ड में गलत पता बदलकर बैंकों को गुमराह करते थे। गाड़ी फाइनेंस हो जाने के बाद, वे लोन की किस्तें भरना बंद कर देते थे और फिर उन गाड़ियों को बाजार में मुनाफे में बेच देते थे।

 

बुधवार को एसटीएफ टीम ने इसी सिलसिले में अनंगपाल नागर को किला परीक्षितगढ़ रोड स्थित कृष्णा पब्लिक स्कूल के पास से गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि वह अपने साथियों के साथ मिलकर अलग-अलग बैंकों में फर्जीवाड़ा कर रहा था। फाइनेंस मिलने के बाद, वे बैंक में दिए गए पते को छोड़कर दूसरी जगह रहने लगते थे, ताकि बैंक उन्हें ट्रैक न कर पाए और किस्तों का भुगतान न करना पड़े। कुछ महीनों बाद, वे इन फाइनेंसशुदा गाड़ियों को किसी और को बेच देते थे।

 

फर्जी 'उद्यम-यूनिट' और अकाउंट्स का जाल
जांच में सामने आया कि अनंगपाल नागर ने अपनी महिला मित्र के नाम पर 'प्रीति डेयरी' नामक एक फर्जी उद्यम-यूनिट का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसके लिए अंसल टाउन, मोदीपुरम, मेरठ का एक फर्जी पता दिखाया गया था।

 

इतना ही नहीं, आरोपी ने अपने साथियों के नाम से बैंकों में ऐसे खाते खुलवाए थे, जिनमें गलत पते दर्ज थे। इन खातों का उपयोग फाइनेंस की गई गाड़ियों की रकम प्राप्त करने और आईटीआर में हेराफेरी करके एक खाते से दूसरे खाते में पैसा भेजकर बैंकों में बेहतर 'सिविल स्कोर' दिखाने के लिए किया जाता था। यह सब बैंकों को विश्वास में लेने और धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।

 

करोड़ों का घोटाला: कई लग्जरी गाड़ियां निशाने पर
एसटीएफ ने बताया कि नागर के पास से जो फॉर्च्यूनर मिली है, उसे उसने मार्च 2025 में अपने गांव के ही एक साथी के नाम से एसबीआई की ब्रह्मपुरी शाखा, मेरठ से 40 लाख रुपये में फाइनेंस कराया था।

 

इसके अलावा, आरोपी ने इंडियन बैंक की यूनिवर्सिटी शाखा, मेरठ से वर्ष 2024 में अपनी महिला मित्र के नाम पर एक स्कॉर्पियो गाड़ी 18 लाख 50 हजार रुपये में फाइनेंस कराई थी, जिसमें भी फर्जी पते के दस्तावेज लगाए गए थे। इस स्कॉर्पियो को फरवरी 2025 में 11 लाख रुपये में बेच दिया गया था।

 

नागर ने वर्ष 2024 में टोयोटा फाइनेंस कंपनी से एक हाई-राइडर कार 18 लाख रुपये में फाइनेंस कराई थी। एक और हाई-राइडर कार आईसीआईसीआई बैंक, गुड़गांव से अपने एक साथी के फर्जी पते पर 18 लाख रुपये में फाइनेंस कराई थी, जिसे बाद में राजनगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद स्थित एक कंपनी को 16 लाख रुपये में बेच दिया गया।

 OMEGA

एसटीएफ के एसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर इस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जाएगा। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो फर्जीवाड़े से बैंकों को चूना लगाने की कोशिश करते हैं।
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