देश का पहला हाईटेक एक्सप्रेसवे बनेगा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, लागू होगा बिना रुके टोल वसूली सिस्टम

देश का पहला ऐसा हाईवे बनने जा रहा है जहां अब गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवेपर जल्द ही ANPR (Automatic Number Plate Recognition)तकनीक आधारित नई टोल कलेक्शन प्रणालीशुरू होने जा रही है। यह सिस्टम पूरी तरह ऑटोमैटिक होगा और वाहन की नंबर प्लेट स्कैन कर फास्टैग अकाउंट से सीधे टोल काट लेगा।
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DELHI-MEERUT EXP TOLL
नई दिल्ली, 25 अप्रैल: राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतारें जल्द ही बीती बात हो सकती हैं। भारत सरकार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने टोल कलेक्शन प्रक्रिया में क्रांति लाने के उद्देश्य से एक नया और अत्यधिक एडवांस सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। इस 'ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन' (ANPR) सिस्टम की शुरुआत देश के पहले एक्सप्रेस-वे के तौर पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर होने जा रही है। इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अब किसी भी वाहन - चाहे वह कार हो या ट्रक - को टोल प्लाजा पर शुल्क भुगतान के लिए रुकना नहीं पड़ेगा।READ ALSO:-बिजनौर: मॉर्निंग वॉक कर रहे दो फुफेरे भाइयों को बेकाबू कार ने रौंदा, एक की दर्दनाक मौत, दूसरा गंभीर घायल

 

कैसे काम करेगा ANPR सिस्टम?
ANPR सिस्टम पूरी तरह से वाहन की नंबर प्लेट को पहचानने की तकनीक पर आधारित है। इस नए सिस्टम के तहत, टोल प्लाजा के दोनों ओर उच्च-रिजॉल्यूशन वाले कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे एक्सप्रेसवे पर निर्धारित टोलिंग पॉइंट से गुजरने वाले प्रत्येक वाहन की नंबर प्लेट को ऑटोमेटिक तरीके से कैप्चर और रीड करेंगे। नंबर प्लेट की पहचान होते ही, वाहन के मालिक के फास्टैग अकाउंट से टोल शुल्क अपने आप कट जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि अब वाहन चालकों को टोल पर रुककर फास्टैग दिखाने या स्कैन कराने की आवश्यकता नहीं होगी। यह सिस्टम मौजूदा फास्टैग तकनीक से जुड़ा होगा और ANPR और फास्टैग साथ मिलकर काम करेंगे, जिससे बिना रुके टोल कलेक्शन संभव हो पाएगा।

 

ANPR सिस्टम के फायदे और भविष्य की योजना
इस ANPR सिस्टम को लागू करने का प्राथमिक लक्ष्य टोल प्लाजा पर वाहनों के लिए लगने वाले वेटिंग टाइम को पूरी तरह से खत्म करना है। बिना रुके वाहनों के गुजरने से यातायात का प्रवाह सुगम होगा, जिससे यात्रियों के समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। इसके अलावा, यह सिस्टम टोल कलेक्शन प्रक्रिया को और अधिक कुशल, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने में मदद करेगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय टोल बैरियर को पूरी तरह से हटाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम मान रहा है, जिसका अंतिम उद्देश्य पूरे देश में ड्राइवरों के लिए यात्रा को निर्बाध बनाना है।

 

पूरे देश भर में होगा लागू
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर ANPR टोल कलेक्टिंग सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने अब इस सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश के सभी एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू करने का ऐलान किया है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर यह सिस्टम जल्द ही पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

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क्यों नहीं लागू हो रहा GPS आधारित सिस्टम?
भविष्य में टोल कलेक्शन के लिए जीपीएस (GPS) तकनीक के इस्तेमाल की भी चर्चाएं थीं, लेकिन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल देश में टोल कलेक्शन के लिए जीपीएस तकनीक का उपयोग नहीं किया जा रहा है। जीपीएस-आधारित टोल कलेक्टिंग मॉडल को वर्तमान में उसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। हाल ही में एक विशेषज्ञ समिति ने जीपीएस सिस्टम के साथ संभावित समस्याओं और चुनौतियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए थे, जिसके बाद मंत्रालय ने ANPR जैसे वैकल्पिक और अधिक ठोस समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।

 

कुल मिलाकर, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर शुरू होने जा रहा यह नया ANPR टोल सिस्टम भारतीय राजमार्गों पर यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
SONU

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