मेरठ और बागपत में बिजली आपूर्ति सुधार में देरी, गर्मी में बढ़ेगी समस्याएं

 तापमान 38 डिग्री पार करने का अनुमान, जर्जर तार और अधूरे ट्रांसफार्मर बढ़ा सकते हैं बिजली कटौती का खतरा, आरडीएसएस योजना की डेडलाइन फिर बढ़ी।
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BIJLI
मेरठ, 25 मार्च 2025: मेरठ में गर्मी ने दस्तक दे दी है और तापमान में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, इस महीने के अंत तक तापमान 38 डिग्री सेल्सियस को पार कर सकता है। ऐसे में बिजली की खपत बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन शहर की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए शुरू की गई रीवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर योजना (RDSS) का काम अभी भी 40 प्रतिशत तक अधूरा है। यह अधूरा काम गर्मी के मौसम में शहरवासियों के लिए बिजली कटौती का बड़ा कारण बन सकता है।READ ALSO:-पत्नी के साथ की रुह कंपा देने वाली हैवानियत: बिजनौर में साली से शादी के लिए पति ने दोस्त से पत्नी की कार से कुचलवाकर करवा दी हत्या

 

जर्जर केबल और ट्रांसफार्मर बने चिंता का कारण:
ओवरलोड होने पर बिजली फाल्ट का सबसे बड़ा कारण बनने वाले जर्जर केबल, पुराने ट्रांसफार्मर और फीडर बाईफरकेशन का कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है। मेरठ और बागपत की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को जोन वन और जोन टू में बांटा गया है। इन दोनों जोन में बिजली के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने का काम धीमी गति से चल रहा है।

 

ठेकेदार की सुस्ती और बढ़ती डेडलाइन:
आरडीएसएस के तहत बिजली आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने का ठेका सालासर टेक्नो इंजीनियर्स नामक कंपनी को दिया गया था। इस कार्य को पूरा करने की मूल समय सीमा दिसंबर 2024 निर्धारित की गई थी। हालांकि, काम की धीमी प्रगति के कारण इस तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च 2025 कर दिया गया। अब यह तिथि भी नजदीक है, लेकिन अभी तक केवल 60 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है। ऐसे में, कार्य पूरा न होता देख, अब इसकी समय सीमा को एक बार फिर अप्रैल के अंत तक बढ़ा दिया गया है।

 

600 किलोमीटर जर्जर लाइनें अब भी बाकी:
बिजली फाल्ट का एक प्रमुख कारण पुरानी और जर्जर केबलें हैं। मेरठ और बागपत में कुल 3300 सर्किट किलोमीटर जर्जर केबलों को बदला जाना था, जिसमें से अभी भी 600 सर्किट किलोमीटर केबल बदलने का काम शेष है। वर्तमान में खंदक बाजार और सराफा बाजार जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में यह कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा, रामलीला मैदान, घंटाघर और कंकरखेड़ा जैसे इलाकों में कई ऐसे फीडर हैं, जिन पर उपभोक्ताओं की संख्या काफी बढ़ गई है। गर्मी में बिजली की मांग बढ़ने पर इन फीडरों के ओवरलोड होने की संभावना है, जिससे बिजली गुल हो सकती है।

 

फीडर बाईफरकेशन और ट्रांसफार्मर लगाने का काम भी धीमा:
शहर में 19 और ग्रामीण क्षेत्रों में 29 फीडरों को चिन्हित किया गया था, जिनका बाईफरकेशन किया जाना था। लेकिन अभी तक शहर में केवल 12 और ग्रामीण क्षेत्रों में 28 फीडरों का ही बाईफरकेशन हो पाया है। शहर के सात महत्वपूर्ण फीडर अभी भी इस कार्य से वंचित हैं। जोन वन और टू में कुल 620 फीडरों पर कार्य होना था, लेकिन अभी तक केवल 54 प्रतिशत कार्य ही संपन्न हुआ है। इसी तरह, जोन टू में 180 नए ट्रांसफार्मर लगाए जाने थे, जिनमें से अब तक केवल 70 ट्रांसफार्मर ही स्थापित किए जा सके हैं।

 

अधिकारियों का आश्वासन और कार्रवाई:
जोन प्रथम के अधीक्षण अभियंता प्रशांत कुमार ने बताया कि ठेकेदार कंपनी द्वारा धीमी गति से कार्य करने के कारण उन पर जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने कहा कि वे प्रतिदिन कार्य की समीक्षा कर रहे हैं और ठेकेदार को तेजी से काम करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। वहीं, जोन टू के मुख्य अभियंता यदुनाथ राम ने बताया कि कंपनी के अधिकारियों से कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम को देखते हुए तेजी से कार्य पूरा करने के लिए कंपनी को पत्र लिखा गया है और इस मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया है।

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अधूरे कार्यों का विस्तृत विवरण:-
यहां बिजली आपूर्ति सुदृढ़ीकरण के तहत विभिन्न श्रेणियों में अधूरे कार्यों का विवरण दिया गया है:
श्रेणी
कुल कार्य
शेष कार्य
खंभे लगाना
       59200
3150
जर्जर केबल बदलना
3300 सर्किट किमी
  600
फीडरों पर कार्य
          620
  260
ट्रांसफार्मर (जोन टू)
          180
  110

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गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ, मेरठ के बिजली विभाग पर जल्द से जल्द इन अधूरे कार्यों को पूरा करने का दबाव बढ़ गया है ताकि शहरवासियों को इस गर्मी में संभावित बिजली संकट से बचाया जा सके। हालांकि, वर्तमान गति को देखते हुए यह देखना होगा कि क्या विभाग अप्रैल के अंत तक सभी शेष कार्यों को पूरा कर पाएगा या नहीं।

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