मेरठ में बजेगा 'खतरे' का सायरन, रात को छाएगा घना अंधेरा: घबराएं नहीं, युद्ध जैसे हालात से निपटने का है ये सिर्फ बड़ा 'अभ्यास'!

पहलगाम आतंकी घटना के बाद सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच मेरठ में प्रशासन और आम जनता मिलकर करेंगे हवाई हमले से बचाव का बड़ा पूर्वाभ्यास; जानिए कब, कहाँ और कैसे होगी ये 'जंग' की तैयारी, और आपातकाल में आपको क्या करना होगा...
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मेरठ (उत्तर प्रदेश): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुई कायराना आतंकी घटना और उसके बाद भारत द्वारा सीमा पर बढ़ाई गई चौकसी ने पूरे देश को अलर्ट मोड पर ला दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते तनाव और संभावित खतरों के मद्देनजर, आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के प्रयासों के तहत, उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला भी हाई अलर्ट पर है। इसी क्रम में, मेरठ में जल्द ही एक बड़े पैमाने पर नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल (अभ्यास) का आयोजन किया जा रहा है, जिसका मकसद युद्ध जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए शहर को तैयार करना है।READ ALSO:-लहूलुहान पहलगाम की चीखें बनीं 'ऑपरेशन सिंदूर' की ज्वाला: भारत के प्रहार से काँपा आतंक का दिल, सरहद पर बारूद का तांडव! बंकरों में सिमटी ज़िंदगी!

 

इस अभ्यास के दौरान, शहर में आपको तेज सायरन की आवाजें सुनाई दे सकती हैं, कुछ इलाकों में अफरा-तफरी जैसा माहौल दिख सकता है और रात को बिजली भी जा सकती है (ब्लैक आउट)। लेकिन, प्रशासन ने साफ किया है कि घबराने की जरूरत बिल्कुल नहीं है! यह सब असली खतरा नहीं, बल्कि युद्ध या हवाई हमले जैसी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए किया जा रहा एक पूर्व नियोजित और बड़ा पूर्वाभ्यास है।

 आरएएफ बटालियन में दी रही ट्रेनिंग

क्यों हो रहा है यह महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल?
गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए समय-समय पर इस तरह के आपातकालीन अभ्यासों का आयोजन करता रहता है। मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से हवाई हमले, मिसाइल हमले और ड्रोन अटैक जैसे आधुनिक खतरों को देखते हुए यह अभ्यास विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों, प्रशासनिक विभागों और आम जनता के बीच समन्वय को जांचना और आपातकाल में उनकी प्रतिक्रिया समय को बेहतर बनाना है। साथ ही, इसका बड़ा मकसद आम जनता को ऐसे हालात में घबराने के बजाय सतर्क रहने और अधिकारियों द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने के लिए जागरूक करना और प्रशिक्षित करना है।

 


अभ्यास में कौन-कौन शामिल होगा?
यह एक बहु-एजेंसी अभ्यास है जिसमें कई महत्वपूर्ण विभाग और संगठन हिस्सा लेंगे:
  • जिला प्रशासन (जिलाधिकारी के नेतृत्व में)
  • पुलिस विभाग (एसएसपी के नेतृत्व में)
  • सिविल डिफेंस
  • डिजास्टर मैनेजमेंट की टीमें
  • अग्निशमन विभाग
  • स्वास्थ्य विभाग (CMO की टीमें आपातकालीन सेवाओं का अभ्यास करेंगी)
  • NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) बचाव कार्यों का पूर्वाभ्यास करेगी
  • बम डिस्पोजल यूनिट और डॉग स्क्वॉड (संदिग्ध वस्तुओं से निपटने का अभ्यास)
  • सिविल डिफेंस के प्रशिक्षित वार्डन
  • स्काउट, एनसीसी, एनएसएस के स्वयंसेवक
  • विद्युत विभाग (ब्लैक आउट का प्रबंधन करेगा)
  • RAF (रैपिड एक्शन फोर्स) के जवान भीड़ नियंत्रण प्रशिक्षण में शामिल हैं

 

मॉक ड्रिल का कार्यक्रम: कब और कहाँ क्या होगा?
जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह और एसएसपी विपिन ताडा की देखरेख में इस अभ्यास की रूपरेखा तैयार की गई है।

 

  • बुधवार (अभ्यास का दिन):
    • दिन भर: शहर के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों के साथ-साथ प्रमुख सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और विकास भवन पर मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। यहाँ सिविल डिफेंस के सदस्य और पुलिसकर्मी आम जनता को हवाई हमले के दौरान खुद को बचाने के बुनियादी तरीके सिखाएंगे, जैसे सही ढंग से जमीन पर लेटना, सुरक्षित स्थान पर जाना या खाई में छुपना।
    • शाम 4 बजे: लालकुर्ती स्थित सेंट जोसफ इंटर कॉलेज में सभी प्रतिभागी विभागों का एक बड़ा संयुक्त मॉक ड्रिल होगा।
    • शाम 7 बजे के बाद: शहर के कुछ चिन्हित इलाकों में ब्लैक आउट किया जाएगा। इस दौरान, संभावित खतरे का संकेत देने के लिए तेज सायरन बजेंगे। यह नागरिकों को अपनी लाइटें बंद करने का संकेत होगा ताकि दुश्मन के लिए निशाना लगाना मुश्किल हो जाए।

 

समझिए आपातकाल के सायरन और प्रशासन के संकेत:
सिविल सुरक्षा कोर के उप नियंत्रक रविन्द्र प्रताप ने आपातकाल में बजने वाले सायरन और प्रशासन द्वारा जारी किए जाने वाले संकेतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है:
  • सायरन ऊंची नीची आवाज में बजे: इसका मतलब है कि पाकिस्तान की ओर से या कहीं और से हवाई हमला हो सकता है, खतरा मंडरा रहा है।
  • सायरन एक सुर में बजे: इसका मतलब है कि हमला या खतरा टल गया है, स्थिति सामान्य हो रही है।
प्रशासन के कंट्रोल रूम को हवाई हमले के संबंध में अलग-अलग सिग्नल (संदेश) मिलते हैं, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई होती है:
  • पीला संदेश (Yellow Signal): हवाई हमले की चेतावनी मिली है। जिला प्रशासन और नागरिक सुरक्षा कोर अपनी तैयारी शुरू करेंगे। सुरक्षित स्थानों (जैसे भूमिगत स्थान या खाई खोदना) की पहचान की जाएगी।
  • लाल संदेश (Red Signal): हमला आसन्न है (संभवतः अगले 5 मिनट में)। खतरे वाला सायरन बजेगा। प्रशासन, पुलिस और सिविल डिफेंस तुरंत लोगों को अलर्ट करेंगे और सुरक्षित स्थानों पर पहुँचने में मदद करेंगे।
  • हरा सिग्नल (Green Signal): खतरा टाल गया है। एक सुर में सायरन बजेगा। लोग शेल्टर से बाहर निकलना शुरू करेंगे। रेस्क्यू और राहत कार्य शुरू होंगे।
  • व्हाइट सिग्नल (White Signal): युद्ध समाप्त हो गया है। जिला प्रशासन विभिन्न माध्यमों से जनता को सूचित करेगा कि अब कोई खतरा नहीं है।

 

मॉक ड्रिल में होंगी ये प्रमुख गतिविधियां:
इस अभ्यास में युद्ध जैसी स्थिति के कई पहलुओं को कवर किया जाएगा:
  • त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था: संभावित सुरक्षा परिदृश्यों का अभ्यास।
  • हवाई हमलों से बचाव: लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना और छुपने के तरीके सिखाना।
  • आपात स्वास्थ्य सेवाएं: नकली घायलों (mock casualties) को प्राथमिक उपचार देना और अस्पतालों तक पहुंचाना।
  • ब्लैक आउट में प्रतिक्रिया: अंधेरे में सुरक्षित संचालन का अभ्यास।
  • बम निष्क्रिय करना: संदिग्ध वस्तुओं से निपटने के लिए बम स्क्वॉड का अभ्यास।
  • राहत और बचाव कार्य: मलबे से लोगों को निकालना और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना (इसमें NDRF की भूमिका महत्वपूर्ण होगी)।
  • सूचना तंत्र: रेडियो संचार और कंट्रोल रूम के माध्यम से जानकारी का आदान-प्रदान। सूचना के त्वरित प्रवाह के लिए तहसील, ब्लॉक और जिला स्तर पर वॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए हैं।
  • भीड़ नियंत्रण: आपात स्थिति में भगदड़ को रोकने और भीड़ को नियंत्रित करने का अभ्यास। इसके लिए पुलिसकर्मियों को आरएएफ बटालियन में विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

 

आम लोगों को क्या करना होगा? महत्वपूर्ण निर्देश:
यह मॉक ड्रिल नागरिकों की सुरक्षा के लिए है। आप इसमें सहयोग करके खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने की तैयारी कर सकते हैं। प्रशासन ने नागरिकों से विशेष अपील की है कि वे इन निर्देशों का पालन करें:

 

  • घबराएं नहीं: सायरन बजने या ब्लैक आउट होने पर बिलकुल भी घबराएं नहीं। याद रखें, यह सिर्फ एक अभ्यास है।
  • सुरक्षित स्थान पर जाएं: यदि सायरन बजता है (विशेषकर ऊंची नीची आवाज में), तो तुरंत अपने घर के अंदर रहें या किसी मजबूत इमारत के निचले हिस्से, बेसमेंट या ऐसे कमरे में जाएं जहाँ खिड़कियाँ कम हों। मजबूत मेज या पलंग के नीचे भी छुप सकते हैं। यदि रास्ते में हों तो गाड़ी साइड में लगाकर किसी सुरक्षित इमारत में चले जाएं।
  • अफवाहों से बचें: किसी भी अपुष्ट जानकारी या अफवाहों पर बिलकुल ध्यान न दें। केवल सरकारी रेडियो, टीवी या आधिकारिक सूत्रों से मिलने वाली जानकारी पर ही विश्वास करें।
  • ब्लैक आउट में सहयोग करें: शाम 7 बजे के बाद ब्लैक आउट होने पर अपने घरों और प्रतिष्ठानों की लाइटें बंद कर दें। खिड़कियों पर मोटे पर्दे डाल दें।
  • निर्देशों को सुनें: प्रशासन या सुरक्षाकर्मियों द्वारा दिए जा रहे निर्देशों को ध्यान से सुनें और उनका पालन करें।
  • भीड़ न लगाएं: आपातकाल के संकेत मिलने पर भगदड़ न मचाएं और अनावश्यक रूप से भीड़ इकट्ठा न करें।
  • बच्चों को जागरूक करें: घर के बच्चों को भी इस अभ्यास और आपात स्थिति में सुरक्षित रहने के तरीके समझाएं ताकि वे घबराएं नहीं।
  • तैयारी रखें: एक आपातकालीन किट तैयार रखें जिसमें पीने का पानी (कम से कम 3 दिन का), सूखा भोजन, प्राथमिक चिकित्सा किट, टॉर्च और अतिरिक्त सेल, पोर्टेबल रेडियो, जरूरी दस्तावेज (आईडी, मेडिकल रिपोर्ट), और मोबाइल चार्जर/पावर बैंक जैसी चीजें हों।
  • सुरक्षित स्थानों को जानें: अपने घर के पास के संभावित सुरक्षित स्थानों (जैसे कोई भूमिगत संरचना या सार्वजनिक आश्रय स्थल) की जानकारी रखें।
  • संदिग्ध वस्तु की सूचना दें: यदि कोई संदिग्ध वस्तु या बम जैसा कुछ दिखे, तो उसे छुएं नहीं और तुरंत पुलिस को सूचित करें।

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निष्कर्ष:
मेरठ में होने वाला यह मॉक ड्रिल एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि शहर किसी भी अप्रत्याशित आपात स्थिति, खासकर हवाई हमले, के लिए तैयार रहे। जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य एजेंसियां अपनी तैयारियों को परखेंगी, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आम जनता आपातकाल में सुरक्षित रहने के तरीकों को सीखेगी। इसलिए, जब सायरन बजे, लाइटें जाएं, या अभ्यास से संबंधित कोई गतिविधि दिखे, तो घबराएं नहीं, बल्कि इसे अपनी सुरक्षा के लिए एक प्रशिक्षण मानें और दिए गए निर्देशों का पालन करें। आपकी सतर्कता और सहयोग ही किसी भी आपदा से निपटने में सबसे बड़ा हथियार है।
SONU

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