मेरठ में कॉन्टिनेंटल टायर प्लांट बंद: 300 कर्मचारियों की नौकरी गई, सपा विधायक के साथ हंगामा; 'धमकी और धोखे' का आरोप
रातों-रात 300 कर्मचारी हुए सड़क पर, 'बिना लाभ के निकाला, अंग्रेजी एग्रीमेंट से धोखा' - गुस्साए मजदूरों का आरोप; कंपनी बोली - 'कारोबार बंद'
Jun 19, 2025, 19:06 IST
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मेरठ, उत्तर प्रदेश: मेरठ के मोदीपुरम में स्थित कॉन्टिनेंटल टायर कंपनी ने अचानक अपने प्लांट पर ताला जड़ दिया है, जिससे यहाँ काम करने वाले लगभग 300 कर्मचारियों की नौकरी छिन गई है। इस फैसले से भड़के कर्मचारियों ने कंपनी गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें उनके समर्थन में सरधना से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान भी शामिल हुए, जिसके बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई।READ ALSO:-5G की जंग में BSNL की धमाकेदार एंट्री: हैदराबाद में 'Q-5G' का सॉफ्ट लॉन्च, Jio-Airtel को मिल सकती है कड़ी टक्कर!
कर्मचारियों का फूटा गुस्सा: 'न रिटायरमेंट का लाभ, न पूरा वेतन'
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना या बातचीत के, और बिना किसी रिटायरमेंट लाभ के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उनका यह भी कहना है कि कंपनी ने वेतन भुगतान में भी भारी अनियमितताएं की हैं। अपनी शिकायत लेकर ये कर्मचारी उप श्रम आयुक्त कार्यालय पहुँचे हैं, जहाँ उन्होंने न्याय की गुहार लगाई है।
विधायक अतुल प्रधान ने कॉन्टिनेंटल के इस कदम को अन्यायपूर्ण और अमानवीय करार दिया। उन्होंने माँग की है कि कंपनी कम से कम दो से तीन महीने का वेतन कर्मचारियों को दे, ताकि वे इस मुश्किल दौर में अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। कुछ कर्मचारियों ने तो यहाँ तक आरोप लगाया है कि कंपनी के साथ किया गया एग्रीमेंट अंग्रेजी में था, जिसकी उन्हें पूरी जानकारी नहीं थी, और कंपनी के कुछ अधिकारियों ने उन्हें धमकी भी दी है।
कंपनी का तर्क: 'ट्रक और बस रेडियल टायर कारोबार बंद'
कॉन्टिनेंटल टायर कंपनी के अधिकारियों ने इस प्लांट बंदी पर अपनी सफाई दी है। उनका कहना है कि कंपनी ने पूरे देश में अपने ट्रक और बस रेडियल टायर कारोबार को बंद करने का फैसला किया है, और मेरठ का यह प्लांट भी उसी व्यावसायिक रणनीति का हिस्सा है।
हालात बिगड़ते देख, थाना पल्लवपुरम पुलिस मौके पर पहुँची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखने और शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी।
यह प्लांट बंदी ऐसे समय में हुई है जब पहले से ही नौकरियों का संकट गहरा रहा है, और इसने 300 परिवारों के सामने अचानक आजीविका का गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि श्रम विभाग और प्रशासन इस मामले में कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाते हैं।
