मेरठ के पॉश मार्केट में 'बुलडोजर' गरजने को तैयार: एक करोड़ से ज़्यादा का खर्च, 52 व्यापारियों पर FIR की तलवार!
सेंट्रल मार्केट में अवैध कॉम्प्लेक्स पर सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला, आज टेंडर की लास्ट डेट; योगी सरकार से 'चमत्कार' की आस में व्यापारी
May 24, 2025, 08:57 IST
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मेरठ, [24/05/2025]: मेरठ के दिल, सेंट्रल मार्केट में स्थित 661/6 नंबर के अवैध कमर्शियल कॉम्प्लेक्स पर अब अंततः बुलडोजर चलने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के कड़े आदेश के बाद, आवास विकास परिषद ने इसे गिराने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है. इस बड़े ध्वस्तीकरण अभियान के लिए टेंडर डालने की आज (24 मई) आखिरी तारीख है, जबकि 26 मई को टेंडर खोले जाएंगे. इस कार्रवाई ने उन 52 व्यापारियों की नींद उड़ा दी है जिन पर अब FIR दर्ज होने की तलवार भी लटक रही है.READ ALSO:-🌧️🌪️UP में प्री-मॉनसून की जोरदार दस्तक! इन 61 जिलों में आंधी-बारिश का अलर्ट, गर्मी से मिलेगी राहत!
करोड़ों का खर्च, पुलिस और प्रशासन की फुलप्रूफ तैयारी
अवैध निर्माण को गिराने में 1 करोड़ 67 लाख रुपये का अनुमानित खर्च आएगा. आवास विकास के अधिशासी अभियंता आफताब अहमद ने बताया कि इस टेंडर में कॉम्प्लेक्स संख्या 661/6 के साथ-साथ 31 अन्य अवैध निर्माणों को भी ध्वस्त किया जाना है. इन सभी के ध्वस्तीकरण का मूल्यांकन करने के बाद ही टेंडर निकाला गया है.
ध्वस्तीकरण अभियान से पहले, आवास विकास परिषद ने पुलिस के साथ गहन मंथन किया है और सुरक्षा व्यवस्था की पूरी प्लानिंग तैयार कर ली गई है. किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. इसके अलावा, विद्युत विभाग और जल विभाग को भी बिल्डिंग के बिजली और पानी के कनेक्शन काटने के लिए पत्र लिखा गया है, ताकि काम शुरू होने से पहले सभी आवश्यक तैयारियां पूरी की जा सकें.
अवैधता का लंबा इतिहास: 1989 से चल रहा था खेल
इस अवैध निर्माण की कहानी काफी पुरानी है. आवास विकास परिषद के इंजीनियर आफताब अहमद ने बताया कि यह जगह 1989 में शास्त्रीनगर में आवासीय उपयोग के लिए आवंटित की गई थी. लेकिन, 1990 में यहां अवैध रूप से कमर्शियल दुकानें बना दी गईं. तब से लेकर अब तक, यह मामला विभिन्न अदालती स्तरों से गुज़रता रहा.
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2005 में पहली बार ध्वस्तीकरण का आदेश हुआ.
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2011 में फिर नोटिस जारी किए गए.
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2013 में मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां से भी व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिली, बल्कि 5 दिसंबर 2014 को हाईकोर्ट ने भी ध्वस्तीकरण का आदेश दिया.
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मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने भी ध्वस्तीकरण का आदेश दिया. हालांकि, 2014 में व्यापारी सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेने में सफल रहे.
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बाद में आवास विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वहां और भी कई अवैध प्रॉपर्टी हैं.
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17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम निर्णय सुनाया.
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एक पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई, जिसे 28 अप्रैल को खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने साफ कर दिया कि इमारत का लैंड यूज गलत तरीके से किया गया है, इसलिए इसे गिराया जाएगा.
52 व्यापारियों पर FIR और योगी सरकार से 'चमत्कार' की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह भी निर्देश है कि अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज कराई जाए. आफताब अहमद ने बताया कि अवैध कमर्शियल कॉम्प्लेक्स 661/6 के 21 व्यापारी और बाकी 31 अवैध निर्माणों से जुड़े व्यापारी, कुल 52 व्यापारियों के खिलाफ जल्द ही रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी. इसके लिए पुलिस अधिकारियों से संपर्क साधा गया है.
वहीं, इस गंभीर संकट के बीच व्यापारी नेता अजय गुप्ता का कहना है कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की उम्मीद कर रहे हैं. उनकी आशा है कि सरकार इस मामले में कोई रहमनदिली दिखाएगी. दो दिन पहले लखनऊ में प्रमुख सचिव आवास पी गुरुप्रसाद और आवास आयुक्त डॉ. बलकार सिंह के साथ इस मामले पर एक समीक्षा बैठक भी हुई थी, जिससे व्यापारियों में कुछ चमत्कार की उम्मीद जगी है. हालांकि, कानूनी प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है और प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर गंभीर है.
