मेरठ में अवैध निर्माणों पर "विकास" का बुलडोजर: सेंट्रल मार्केट में 60 भूखंडों का आवंटन रद्द, लटकी कार्रवाई की तलवार!

 सेंट्रल मार्केट में हड़कंप, शास्त्रीनगर में व्यापारियों की नींद उड़ी, आवास विकास परिषद का एक्शन मोड जारी
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CENTRAL MARKET MRT
मेरठ: शहर के पॉश इलाकों में आवासीय भूखंडों पर कुकुरमुत्तों की तरह उग आए अवैध व्यावसायिक निर्माणों पर आवास विकास परिषद ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए भू-माफियाओं और नियमों को ताक पर रखने वालों को कड़ा संदेश दिया है। सेंट्रल मार्केट में जहां 60 भूखंडों का आवंटन रद्द कर दिया गया है, वहीं शास्त्रीनगर, जागृति विहार और माधवपुरम में हजारों निर्माणों पर ध्वस्तीकरण और सीलिंग की तलवार लटक रही है। परिषद के इस रौद्र रूप से व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है, जबकि दोषी अधिकारियों पर भी शिकंजा कसता जा रहा है।READ ALSO:-🏠यूपी में पर्यटन का नया अध्याय: योगी सरकार ने होम स्टे नीति को दी हरी झंडी, अब घर से होगी कमाई!

 

"ऑपरेशन क्लीन": परिषद का चौतरफा प्रहार:-
 
भूखंडों का मालिकाना हक समाप्त, अब कब्जे की तैयारी
आवास विकास परिषद ने सेंट्रल मार्केट में उन 60 भूखंडों का आवंटन तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है, जिनका भू-उपयोग बदलकर आवासीय से व्यावसायिक कर दिया गया था। इस कार्रवाई के बाद इन भूखंडों पर आवंटियों का मालिकाना हक समाप्त हो गया है, और अब वे इन संपत्तियों को किसी भी सूरत में बेच नहीं पाएंगे। परिषद के नियमानुसार, इन बेशकीमती संपत्तियों को जल्द ही कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

 

शास्त्रीनगर 661/6: नोटिस अवधि समाप्त, ध्वस्तीकरण का काउंटडाउन शुरू
सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद शास्त्रीनगर 661/6 स्थित विवादित कॉम्प्लेक्स के 22 व्यापारियों को दिए गए नोटिस की मियाद खत्म हो चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि किसी भी व्यापारी ने अब तक अपना प्रतिष्ठान खाली नहीं किया है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 17 दिसंबर 2024 को तीन महीने के भीतर इस कॉम्प्लेक्स को खाली कराकर ध्वस्त करने का स्पष्ट निर्देश दिया था। परिषद अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए पूरी तरह कमर कस चुका है।

 

दोषी अफसरों पर FIR, भू-उपयोग परिवर्तन का "खेल" पड़ेगा महंगा
इस पूरे प्रकरण में सबसे अहम कड़ी वे अधिकारी हैं, जिनके कार्यकाल में आवासीय भूखंडों का भू-उपयोग बदलकर अवैध व्यावसायिक निर्माणों को हरी झंडी दी गई। आवास विकास परिषद ने ऐसे 52 दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कार्रवाई उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो अपने पद का दुरुपयोग कर शहर की सूरत बिगाड़ने में लगे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और व्यापारियों की गुहार:-
अवमानना का शिकंजा, जुलाई में होगी कानूनी लड़ाई
परिषद का विधिक प्रभाग उन व्यापारियों पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का वाद दायर करने की तैयारी में है, जो न्यायालय के आदेशों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हालांकि, ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते यह कानूनी कार्रवाई जुलाई में अमल में लाई जाएगी। यह कदम व्यापारियों की मुश्किलें और बढ़ा सकता है।

 

शमन नीति की आस, मुख्यमंत्री दरबार में दस्तक
ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से बचने के लिए व्यापारी अब प्रदेश सरकार से शमन नीति (कंपाउंडिंग पॉलिसी) के तहत अपने निर्माणों को नियमित करने की गुहार लगा रहे हैं। राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के नेतृत्व में व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात कर चुका है, ताकि कोई बीच का रास्ता निकल सके।

 

हजारों निर्माण रडार पर, आगे क्या?
शास्त्रीनगर, जागृति विहार, माधवपुरम में भी नोटिसों की बौछार
कार्रवाई का यह सिलसिला सिर्फ सेंट्रल मार्केट और शास्त्रीनगर तक ही सीमित नहीं है। शास्त्रीनगर योजना संख्या दो और तीन में 1,682 ऐसे अवैध निर्माण चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से 523 को अंतिम नोटिस थमाया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, जागृति विहार और माधवपुरम में भी अवैध व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।

 

अल्टीमेटम: खाली करो या...
जिन व्यापारियों ने नोटिस के बावजूद अपने प्रतिष्ठान खाली नहीं किए हैं, उनके खिलाफ आवास विकास परिषद और भी सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए परिषद किसी भी हद तक जाने को तैयार दिख रहा है। यह मामला न केवल मेरठ बल्कि प्रदेश के अन्य शहरों के लिए भी एक नजीर बन सकता है, जहां आवासीय क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियां धड़ल्ले से चल रही हैं। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि शहर का "विकास" किस दिशा में करवट लेता है – नियमों के अनुसार या दबाव के आगे झुककर।

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