पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की बड़ी 'सफाई'! राजस्व वसूली में फिसड्डी और उपभोक्ता शिकायतों की अनदेखी पर 4 इंजीनियर सस्पेंड, 16 को चार्जशीट

एमडी की सख्ती: 19 वाणिज्यिक पैरामीटर्स की समीक्षा बनी कार्रवाई का आधार, मेरठ, कैराना समेत कई जिलों के अधीक्षण और अधिशासी अभियंताओं पर गिरी गाज 
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मेरठ। उपभोक्ताओं की लगातार शिकायतें, बिजली व्यवस्था में खामियां और राजस्व वसूली में फिसड्डी प्रदर्शन अब पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) के अधिकारियों पर भारी पड़ रहा है। निगम प्रबंधन ने मनमाने ढंग से काम करने और अपने दायित्वों के प्रति गंभीर न रहने वाले 20 अभियंताओं के खिलाफ बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है। निगम के प्रबंध निदेशक ने कड़ा रुख अपनाते हुए दो अधीक्षण अभियंताओं और दो अधिशासी अभियंताओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके अलावा, 4 अधीक्षण अभियंताओं और 12 अधिशासी अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस (चार्जशीट) जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस कार्रवाई से पूरे पश्चिमांचल डिस्कॉम में हड़कंप मच गया है।

 

समीक्षा में खुली पोल, सामने आई खामियां
निगम प्रबंध निदेशक द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले कार्यों के मूल्यांकन और हाल ही में आयोजित 19 वाणिज्यिक पैरामीटर्स पर आधारित समीक्षा बैठकें इस बड़ी कार्रवाई का मुख्य आधार बनीं। इन बैठकों और मूल्यांकन रिपोर्ट्स में यह बात खुलकर सामने आई कि कुछ मंडलों और खंडों के अधिकारी अपने तैनाती क्षेत्रों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर रहे थे।

 

प्रमुख खामियों में सबसे ऊपर राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा न कर पाना था, जिसके चलते निगम को वित्तीय नुकसान हो रहा था। इसके अलावा, बिजली चोरी और वितरण प्रणाली की तकनीकी कमियों के कारण लाइन हानि का उच्च स्तर बना हुआ था, जिस पर लगाम कसने में अधिकारी नाकाम रहे थे। फील्ड में लगे ट्रांसफार्मरों के क्षतिग्रस्त होने या जलने की दर भी चिंताजनक रूप से ज़्यादा पाई गई। लेकिन सबसे गंभीर बात यह थी कि आम उपभोक्ता बिजली बिलिंग, मीटर रीडिंग, खराब ट्रांसफार्मर बदलने जैसी अपनी समस्याओं को लेकर लगातार निगम के दफ्तरों के चक्कर काटते रहते थे, लेकिन उनकी शिकायतों पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई नहीं होती थी। अधिकारियों और फील्ड स्टाफ का उपभोक्ताओं के प्रति उदासीन और कई बार अनुचित व्यवहार भी सामने आया।

 

इन मंडलों/खंडों के अधिकारी बने कार्रवाई का निशाना
प्रबंध निदेशक द्वारा निर्धारित 19 वाणिज्यिक पैरामीटर्स पर किए गए प्रदर्शन मूल्यांकन में विद्युत वितरण खंड-हस्तिनापुर (मेरठ), विद्युत वितरण खंड-मेरठ (संबंधित क्षेत्र), और विद्युत वितरण खंड-कैराना की रैंकिंग सबसे निचले पायदान पर पाई गई। इन खंडों का कुल प्रदर्शन निगम द्वारा तय मानकों से बहुत नीचे था। इसी तरह, मेरठ मंडल द्वितीय और शामली मंडल का प्रदर्शन भी अधीक्षण अभियंता स्तर पर बेहद असंतोषजनक पाया गया।

 

निलंबित होने वालों में ये शामिल
लगातार दिए गए निर्देशों और चेतावनियों के बावजूद जिन अधिकारियों के रवैये और प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं आया, उन पर निलंबन की गाज गिरी। निलंबित होने वाले अधिशासी अभियंताओं (Executive Engineers) में विद्युत वितरण खंड हस्तिनापुर के भूपेंद्र सिंह और विद्युत वितरण खंड कैराना के पुनीत कुमार निगम शामिल हैं। वहीं, जिन अधीक्षण अभियंताओं (Superintending Engineers) को निलंबित किया गया है, उनमें विद्युत वितरण मंडल द्वितीय, मेरठ के धर्म विजय और शामली मंडल के राजेश तोमर हैं। इन अधिकारियों के क्षेत्रों में उपरोक्त सभी वाणिज्यिक और उपभोक्ता सेवा से जुड़े पैरामीटर्स पर प्रदर्शन बेहद खराब पाया गया था।

 

16 अभियंताओं से मांगा जवाब
निलंबन के अलावा, निगम प्रबंधन ने प्रदर्शन में पिछड़ रहे 4 अधीक्षण अभियंताओं और 12 अधिशासी अभियंताओं को चार्जशीट जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। इन अभियंताओं से उनके संबंधित क्षेत्रों में राजस्व वसूली में कमी, लाइन हानि पर नियंत्रण न रख पाने, और उपभोक्ता सेवाओं में लापरवाही बरतने के कारणों के बारे में लिखित जवाब देने को कहा गया है।

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जिन मंडलों के अधीक्षण अभियंताओं को चार्जशीट मिली है, उनमें अमरोहा, मुरादाबाद, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर शामिल हैं। इसके अलावा, जिन विद्युत वितरण खंडों के अधिशासी अभियंताओं से जवाब-तलब किया गया है, उनमें खुर्जा, चांदपुर, रामपुर मनीहारन, सयाना, गजरौला, मेरठ, बिजनौर, मुरादाबाद, जहांगीराबाद, शामली और अमरोहा शामिल हैं। इन अधिकारियों द्वारा दिए गए स्पष्टीकरणों की समीक्षा के बाद आगे और भी कठोर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।

 

सख्त संदेश: 'परफॉर्म करो या बाहर जाओ'
निगम प्रबंध निदेशक की इस बड़ी कार्रवाई से पूरे पश्चिमांचल डिस्कॉम में एक कड़ा संदेश गया है कि अब लापरवाही और खराब प्रदर्शन बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रबंध निदेशक ने स्पष्ट कर दिया है कि हर अधिकारी को अपने तैनाती क्षेत्र में राजस्व वसूली और लाइन हानि नियंत्रण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा सुनिश्चित करनी होगी। जो अधिकारी इन मानकों पर खरा उतरेंगे, उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा, लेकिन जो लापरवाही बरतेंगे, उनके खिलाफ इसी प्रकार की कार्रवाई जारी रहेगी। इस कदम को निगम के कामकाज में पारदर्शिता लाने और उपभोक्ताओं के प्रति जवाबदेही तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है, जिसका सीधा असर बिजली सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ने की उम्मीद है।
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