मासूमों पर 'आस्था का वार'? मेरठ के नामी स्कूल में बच्चों को कब्रिस्तान ले जाकर धर्मांतरण के गंभीर आरोप, प्रिंसिपल और अभिभावक आमने-सामने

 तीसरी कक्षा के छात्र के चौंकाने वाले खुलासे से मचा हड़कंप, हिंदू संगठनों का स्कूल में हंगामा, प्रशासन ने जांच का दिया आश्वासन
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MRT
मेरठ: शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले स्कूल में जब बच्चों की सुरक्षा और आस्था पर सवाल उठें, तो हड़कंप मचना स्वाभाविक है। उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में परतापुर थाना क्षेत्र स्थित प्रतिष्ठित सेंट पैट्रिक्स स्कूल इस वक्त ऐसे ही एक गंभीर आरोप के चलते सुर्खियों में है। यहां स्कूल के एक शिक्षक पर तीसरी कक्षा के मासूम छात्रों को कब्रिस्तान ले जाकर उन्हें गुमराह करने और ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने का सनसनीखेज आरोप लगा है। इस खुलासे के बाद अभिभावकों और हिंदू संगठनों में जबरदस्त आक्रोश है, जिसके चलते स्कूल परिसर में भारी हंगामा हुआ और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।READ ALSO:-"मर्दानगी पर सवाल, मोहब्बत में बगावत: मेरठ में भाभी-देवर की लव स्टोरी ने तोड़े रिश्तों के बंधन"

 

तीसरी कक्षा के छात्र के खुलासे से गरमाया माहौल
मामला तब सामने आया जब सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़ने वाले तीसरी कक्षा के एक छात्र ने घर लौटकर परिजनों को आपबीती सुनाई। बच्चे ने बताया कि कैसे स्कूल के एक शिक्षक उन्हें बस में बिठाकर कहीं दूर ले गए। बच्चे के मासूम शब्दों में यह 'कहीं दूर' एक कब्रिस्तान था। सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि कब्रिस्तान में बच्चों को ईसाई धर्म के बारे में बताया गया और उनसे कहा गया कि अब यीशु मसीह ही उनके भगवान हैं और उन्हें उन्हीं की पूजा करनी चाहिए। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि बच्चों की आंखों पर पट्टी बांधी गई थी और उनके शरीर पर कब्रिस्तान की मिट्टी लगाई गई थी। आरोपों में यह भी शामिल है कि बच्चों को इस घटना के बारे में किसी को भी बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने या डराए जाने की धमकी दी गई थी।READ ALSO:-"वक्फ कानून के विरोध में बत्ती गुल: मुस्लिम समाज का 15 मिनट का शांतिपूर्ण ब्लैकआउट प्रदर्शन"

 

परिजनों का आक्रोश और हिंदू संगठनों का दखल
बच्चे की बात सुनकर परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस स्कूल में वे अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए भेजते हैं, वहां इस तरह की घटना हो सकती है। आक्रोशित अभिभावकों ने तत्काल इस मामले की जानकारी स्थानीय भाजपा नेताओं और विभिन्न हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों को दी। सूचना मिलते ही भाजपा कार्यकर्ता गोपाल शर्मा के नेतृत्व में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अन्य हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सेंट पैट्रिक्स स्कूल के बाहर जमा हो गए। उन्होंने स्कूल प्रशासन और कथित रूप से धर्मांतरण का प्रयास करने वाले शिक्षक के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इसे बच्चों के भविष्य और आस्था के साथ खिलवाड़ बताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की। विहिप के प्रांतीय मंत्री राजकुमार डूंगर ने स्कूल प्रबंधन को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसी कोई घटना सामने आई तो हिंदू संगठन उग्र आंदोलन करेंगे।

 

पुलिस का हस्तक्षेप और स्कूल प्रशासन का खंडन
स्कूल के बाहर बढ़ते हंगामे और तनाव की सूचना मिलते ही परतापुर थाना प्रभारी दिलीप सिंह बिष्ट भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए प्रदर्शनकारियों को शांत कराने का प्रयास किया और उन्हें निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।

 

विरोध प्रदर्शन के दौरान, अभिभावकों और हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने स्कूल के प्रिंसिपल ब्रदर अर्नेस्ट से मुलाकात कर उन्हें अपनी शिकायत से अवगत कराया। उन्होंने कथित तौर पर घटना से जुड़े कुछ ऑडियो और वीडियो सबूत भी प्रिंसिपल को सौंपे। हालांकि, स्कूल प्रशासन ने इन सभी आरोपों और सबूतों को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रिंसिपल ब्रदर अर्नेस्ट का कहना है कि स्कूल पर लगाए गए धर्मांतरण के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठे हैं। उन्होंने दावा किया कि उस दिन की पूरी घटना सीसीटीवी कैमरों में कैद है और फुटेज देखने पर साफ पता चलता है कि बच्चे स्कूल परिसर में ही थे और सामान्य रूप से अपनी कक्षाओं में पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल प्रशासन किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है और पुलिस का पूरा सहयोग करेगा।

 

पुलिस जांच जारी, आरोपों की सच्चाई का इंतजार
परिजनों की लिखित शिकायत और हंगामे के बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू कर दी है। थाना पुलिस ने स्कूल पहुंचकर सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया है और उसकी गहनता से जांच कर रही है। पुलिस अधिकारियों ने बच्चे और उसके परिजनों से भी विस्तार से बातचीत की है ताकि घटना के हर पहलू को समझा जा सके।

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फिलहाल, पुलिस इस संवेदनशील मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। एक तरफ मासूम बच्चे और उसके परिजनों के गंभीर आरोप हैं, तो दूसरी तरफ स्कूल प्रशासन का स्पष्ट खंडन और सीसीटीवी फुटेज का दावा। पुलिस की जांच पूरी होने और तथ्यों के सामने आने के बाद ही इस पूरे विवाद की असलियत सामने आ पाएगी। इस घटना ने स्कूल के माहौल और बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
SONU

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