⚡मेरठ में बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही: शटडाउन के बाद भी दौड़ा करंट, लाइनमैन की दर्दनाक मौत!
🛑 काम के दौरान अचानक चालू हुई लाइन, करंट लगने से बिट्टू की मौत — परिजनों का आक्रोश, मुआवजे की मांग पर हंगामा
May 23, 2025, 14:04 IST
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मेरठ, उत्तर प्रदेश: मेरठ के कंकरखेड़ा में बुधवार को बिजली विभाग की एक शर्मनाक लापरवाही ने एक हंसते-खेलते परिवार से उसका सहारा छीन लिया। झिंझोखर निवासी 35 वर्षीय बिट्टू, जो संविदा पर कंकरखेड़ा बिजली घर में लाइनमैन के तौर पर कार्यरत था, की करंट लगने से दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब बिट्टू सरधना रोड पर नगला तहसील शिवपुरम के पास आंधी-तूफान से क्षतिग्रस्त हुई बिजली लाइन की मरम्मत कर रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि बिट्टू ने नियमानुसार शटडाउन ले रखा था, लेकिन इसके बावजूद अचानक बिजली आपूर्ति शुरू हो गई और वह 'मौत के करंट' की चपेट में आ गया।READ ALSO:-बिजनौर में बेखौफ बदमाश: मोबाइल रिचार्ज कराने गए किशोर को लगी गोली, नूरपुर रोड पर पसरा सन्नाटा!
खंभे से गिरा, अस्पताल पहुंचने से पहले ही थम गईं सांसें
करंट का तेज़ झटका इतना भयावह था कि बिट्टू बुरी तरह झुलस गया और खंभे से नीचे आ गिरा। मौके पर मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत बिट्टू को कैलाशी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया, जिससे घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। यह मंजर हर किसी की आँखों में आँसू ला गया।
गुस्साए परिजन सड़क पर, मुआवजे और कार्रवाई की मांग
इस हृदयविदारक घटना की खबर मिलते ही मृतक बिट्टू के परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। उन्होंने तुरंत सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिला पंचायत सदस्य सम्राट मलिक ने इस मामले में बिजली विभाग की घोर लापरवाही को उजागर करते हुए गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने मांग की कि शटडाउन के बावजूद बिजली आपूर्ति शुरू करने वाले दोषी कर्मचारी की तुरंत पहचान कर उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, उन्होंने बिट्टू के परिवार के लिए 15 लाख रुपये के उचित मुआवजे की भी मांग की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ दौराला पीसी अग्रवाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने आक्रोशित परिजनों को समझा-बुझाकर शांत करने का प्रयास किया और उन्हें आर्थिक मदद का आश्वासन दिया। देर रात मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन यह घटना एक बार फिर बिजली विभाग की सुरक्षा प्रोटोकॉल और कर्मचारियों की जान की कीमत पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
