गाजियाबाद पुलिस ने ओमान का उच्चायुक्त बनकर VIP प्रोटोकॉल लेने वाले जालसाज को किया गिरफ्तार

 कौशांबी पुलिस ने 66 वर्षीय डॉ. कृष्ण शेखर राणा को धर दबोचा, नीली बत्ती लगी मर्सिडीज, फर्जी दस्तावेज बरामद, कई राज्यों में VIP सुविधाएँ लेने का खुलासा
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गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे शातिर जालसाज को गिरफ्तार किया है जो खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताकर वीवीआईपी प्रोटोकॉल और सरकारी सुविधाएँ प्राप्त कर रहा था। कौशांबी थाना पुलिस ने इस आरोपी को धर दबोचा और उससे गहन पूछताछ कर रही है। यह आरोपी अधिकारियों और आम नागरिकों को धोखा देकर सरकारी विभागों से गैरकानूनी लाभ उठा रहा था। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से कई हैरान करने वाली चीजें बरामद की हैं, जिनमें एक नीली बत्ती लगी मर्सिडीज कार, नकली डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट, फर्जी पहचान पत्र, विजिटिंग कार्ड और कई अन्य दस्तावेज शामिल हैं।READ ALSO:-उत्तर प्रदेश में मेरठ समेत इन शहरों में नई आवासीय योजनाओं का शुभारंभ, 2 साल में होगा घर का सपना पूरा

 

जालसाजी का तरीका और आरोपी की पहचान:
पुलिस जांच में पता चला कि यह जालसाज फोन पर खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताता था और इस झूठे दावे के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों से विशेष सुविधाएँ और सुरक्षा प्राप्त करता था। पुलिस पूछताछ में आरोपी के चौंकाने वाले कारनामों का खुलासा हुआ है। गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान 66 वर्षीय डॉ. कृष्ण शेखर राणा के रूप में हुई है। वह पहले कई निजी विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर (VC) के पद पर भी रह चुका है। अपनी उच्च पद की पूर्व भूमिका का फायदा उठाकर, उसने खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा राज्यों में कई बार वीआईपी प्रोटोकॉल का आनंद उठाया।

 


फर्जी दस्तावेज और VIP प्रोटोकॉल का दुरुपयोग:
आरोपी डॉ. राणा पुलिस और प्रशासन को फर्जी लेटरहेड पर अपने कार्यक्रमों की जानकारी भेजता था। इन फर्जी पत्रों का उपयोग करके, वह विभिन्न सरकारी विभागों से वीआईपी स्तर की सुविधाएँ और सुरक्षा प्राप्त करने में सफल रहा। उसने गाजियाबाद के अलावा मथुरा और फरीदाबाद जैसे शहरों में भी खुद को नकली उच्चायुक्त बताकर वीआईपी प्रोटोकॉल हासिल किया था। अपनी धोखेबाजी को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए, आरोपी ने अपनी मर्सिडीज कार पर '88 सीडी 01' नंबर की नीली डिप्लोमैटिक प्लेट लगा रखी थी। इतना ही नहीं, उसने अपनी कार पर ओमान देश का झंडा और 'विश्व मानवाधिकार संरक्षण आयोग' (World Human Rights Protection Commission) का स्टीकर भी लगा रखा था, ताकि लोगों को उस पर आसानी से विश्वास हो जाए। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

जिलाधिकारियों को भेजे फर्जी पत्र और दिल्ली में कार्यक्रम में भागीदारी:
पूछताछ के दौरान, आरोपी ने स्वीकार किया कि वह वास्तव में उच्चायुक्त नहीं है। उसने बताया कि वीआईपी सुविधाएँ और सम्मान पाने की लालसा में, उसने यह पूरी जालसाजी की योजना बनाई और फर्जी दस्तावेज तैयार किए। उसने यह भी कबूल किया कि वह विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को फर्जी पत्र भेजकर वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त करता था। हद तो तब हो गई जब फरवरी 2025 में, उसने खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताकर दिल्ली के एक बड़े होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भी भाग लिया।

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गिरफ्तारी और आगे की जांच:
फिलहाल, आरोपी डॉ. कृष्ण शेखर राणा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हिंडन, निमिष पाटिल के अनुसार, पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह जालसाज किसी बड़े संगठित गिरोह का हिस्सा है या नहीं। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि आरोपी ने अब तक कितने लोगों को और किस प्रकार से ठगा है, और इस जालसाजी में उसके साथ और कौन-कौन लोग शामिल हैं।

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अभी तक क्या हुआ?
आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और मामले की जांच जारी है। डीसीपी हिंडन निमिष पाटिल के अनुसार पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या आरोपी का यह कृत्य किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था।

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