गाजियाबाद में आंधी-बारिश का कहर: ACP ऑफिस की छत गिरी, दरोगा की मलबे में दबकर मौत
आधी रात सो रहे थे 58 वर्षीय वीरेंद्र मिश्रा, परिजनों का आरोप- '24 घंटे काम करवाया जाता था'; दो साल पहले बने दफ्तर के निर्माण पर उठे सवाल, ठेकेदारों पर FIR
May 26, 2025, 11:42 IST
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गाजियाबाद में रविवार तड़के आई भयंकर आंधी और बारिश ने कहर बरपाया है। इस प्राकृतिक आपदा में एक दुखद घटना सामने आई, जहां एसीपी अंकुर विहार के ऑफिस की छत गिर गई। मलबे में दबकर ऑफिस के अंदर सो रहे दरोगा वीरेंद्र कुमार मिश्रा (58) की मौत हो गई। यह घटना सुबह तब सामने आई जब अन्य पुलिसकर्मी दफ्तर पहुंचे। इस हादसे ने दो साल पहले बने इस कार्यालय के निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।READ ALSO:-🚨गाजियाबाद में पुलिस पर 'घात': सिपाही की हत्या कर हिस्ट्रीशीटर को छुड़ा ले गए बदमाश, सिपाही सौरभ शहीद
कैसे हुआ हादसा?
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मौसम का मिजाज: शनिवार रात 2 बजे के बाद से ही गाजियाबाद में रुक-रुककर बारिश हो रही थी, जो सुबह तक जारी रही। पिछले हफ्ते भी ऐसी ही आंधी आई थी, जिससे शालीमार गार्डन एसीपी दफ्तर की फॉल सीलिंग गिर गई थी।
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काम निपटाकर सोए दरोगा: इटावा के रहने वाले दरोगा वीरेंद्र मिश्रा, जो परिवार के साथ दिल्ली के बसंत विहार में रहते थे, शनिवार रात को काम निपटाने के बाद एसीपी अंकुर विहार के ऑफिस में ही रुक गए थे। उन्होंने अपनी पत्नी सुधा मिश्रा से फोन पर बात कर बताया था कि सुबह मीटिंग है, इसलिए वह घर नहीं आएंगे। वीरेंद्र मिश्रा वर्तमान में एसीपी अंकुर विहार के रीडर के पद पर तैनात थे।
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छत गिरी, हुई मौत: देर रात चली तेज आंधी और बारिश के कारण लोनी इलाके के दिल्ली-सहारनपुर रोड पर स्थित इंद्रापुरी में बने एसीपी अंकुर विहार के पेशी कार्यालय की छत भरभराकर गिर गई। दरोगा वीरेंद्र मिश्रा मलबे में दब गए।
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सुबह चला पता: सुबह जब अन्य पुलिसकर्मी ऑफिस पहुंचे, तब उन्हें घटना का पता चला। पुलिसकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद वीरेंद्र कुमार मिश्रा को मलबे से बाहर निकाला और नाईपुरा स्थित संयुक्त अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों का आरोप और जांच के आदेश
दरोगा वीरेंद्र मिश्रा की मौत की खबर सुनते ही दिल्ली में रह रही उनकी पत्नी सुधा मिश्रा अपने बेटे प्रशांत और प्रदीप मिश्रा के साथ घटनास्थल पर पहुंचीं। पति का शव देखकर वह चीख-चीखकर रोने लगीं। पत्नी सुधा मिश्रा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति से '24 घंटे काम करवाया जाता था, जिसकी वजह से वह ज्यादातर घर भी नहीं आ पाते थे।'
इस घटना के बाद शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एसीपी अंकुर विहार का यह दफ्तर दो साल पहले ही बनकर तैयार हुआ था, और इसके निर्माण पर 5.30 लाख रुपए का खर्च आया था। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट को बने ढाई साल से ज्यादा हो चुका है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि निर्माण कार्य करने वाले दोनों ठेकेदारों, बल्लू चौधरी (निवासी धीरजपुरी, दिल्ली) और आशीष कुमार (निवासी मोदीनगर, गाजियाबाद) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। ठेकेदार आशीष कुमार के खिलाफ भी जांच बैठा दी गई है।
यह हादसा एक बार फिर सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या ठेकेदारों के खिलाफ सिर्फ एफआईआर दर्ज करना पर्याप्त होगा, या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे?
