बिजनौर में 'गांव की समस्या - गांव में समाधान': DM जसजीत कौर ने कुआं खेड़ा में लगाई चौपाल, मौके पर ही सुलझीं ग्रामीणों की मुश्किलें!

 बिजनौर की डीएम जसजीत कौर ने कुआं खेड़ा गांव में लगाई चौपाल, समस्याओं का现场 समाधान!
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बिजनौर जिला प्रभारी अनिल कुमार शर्मा खबरी लाल मीडिया,धामपुर। धामपुर (बिजनौर)अफजलगढ़, बिजनौर: बिजनौर की जिलाधिकारी जसजीत कौर ने जिले में एक नई मिसाल कायम करते हुए 'गांव की समस्या - गांव में समाधान' अभियान के तहत अफजलगढ़ ब्लॉक के ग्राम कुआं खेड़ा में एक महत्वपूर्ण ग्रामीण चौपाल का आयोजन किया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों की समस्याओं को उनके द्वार पर ही सुनकर तुरंत उनका निवारण करना था, और यह चौपाल इस मकसद में पूरी तरह से कामयाब रही।Read also:-मेरठ: "मैं जिंदा हूँ साहब!" 11 साल की शादी का खौफनाक अंत, प्रेमी संग मिलकर पत्नी ने पति को कागजों में 'मारा', फिर बेच दिया घर

 

समस्याओं का ऑन-द-स्पॉट समाधान
सुबह से ही गांव में हलचल थी। जिलाधिकारी महोदया के आने की खबर से ग्रामीणों में उम्मीद की किरण जगी थी। चौपाल में ग्रामीणों ने अपनी विभिन्न समस्याएं रखीं, जिनमें मूलभूत सुविधाओं से लेकर सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहने तक के मुद्दे शामिल थे। जिलाधिकारी जसजीत कौर ने हर समस्या को गंभीरता से सुना और मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को त्वरित समाधान के निर्देश दिए। कई मामलों में तो समस्या का निराकरण तुरंत ही कर दिया गया, जिससे ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली।

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ग्राम कुआं खेड़ा: एक संक्षिप्त परिचय
लगभग 3000 की आबादी और 500 प्रवासी परिवारों वाले इस गांव में आयोजित यह चौपाल कई मायनों में खास थी। इतनी बड़ी आबादी वाले गांव में अधिकारियों का सीधे ग्रामीणों से संवाद करना जमीनी हकीकत को समझने और विकास कार्यों को गति देने में सहायक होता है।

 

वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी ने दी चौपाल को मजबूती
इस महत्वपूर्ण चौपाल में जिलाधिकारी महोदया के साथ जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे, जिनमें मुख्य विकास अधिकारी पूर्ण बोरा, एसडीएम नगीना आशुतोष जायसवाल, जिला पंचायत अधिकारी धननप्रीत सिंह, और डीसी मनरेगा प्रमुख थे। विभिन्न विभागों के अधिकारियों की एक साथ मौजूदगी ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी समस्या के समाधान के लिए अनावश्यक देरी न हो और विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सके।

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जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा और धरातलीय सत्यापन
चौपाल के दौरान केवल समस्याएं ही नहीं सुनी गईं, बल्कि सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं की स्थिति का भी विस्तृत सत्यापन किया गया।
  • खाद्य सुरक्षा कार्ड: गांव में कुल 532 खाद्य सुरक्षा कार्ड धारक पाए गए।
  • आंगनबाड़ी केंद्र: तीन आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें 56 बच्चों का पंजीकरण है, जो दर्शाता है कि बच्चों के पोषण और प्रारंभिक शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है।
  • शिक्षा और पेयजल: गांव में शिक्षा और पेयजल की स्थिति को संतोषजनक पाया गया, जो ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार का संकेत है।
पेंशन योजनाएं:
  • वृद्धावस्था पेंशन का लाभ 103 बुजुर्गों को मिल रहा है।
  • विधवा पेंशन 71 महिलाओं को मिल रही है।
  • दिव्यांग पेंशन 30 लाभार्थियों तक पहुंच रही है।
जिलाधिकारी ने अपनी पूरी टीम के साथ गांव में चल रहे सभी विकास कार्यों का धरातलीय सत्यापन भी किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि योजनाएं ठीक से लागू हो रही हैं और उनका लाभ सही लोगों तक पहुंच रहा है।

 

मातृशक्ति और पर्यावरण को समर्पित पहल
चौपाल के दौरान जिलाधिकारी बिजनौर ने गर्भवती महिलाओं की गोद भराई जैसे भावनात्मक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया, जिससे ग्रामीण महिलाओं को विशेष सम्मान और खुशी मिली। इसके साथ ही, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से पौधारोपण का कार्य भी किया गया।

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यह 'गांव की समस्या - गांव में समाधान' अभियान बिजनौर प्रशासन की ग्रामीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उम्मीद है कि इस तरह की पहल से गांव-गांव तक विकास की रोशनी पहुंचेगी और ग्रामीणों का जीवन और बेहतर बनेगा।
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