सेवा और समर्पण की पूंजी पल भर में स्वाहा: बिजनौर में सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी से दो करोड़ रुपये की साइबर ठगी
वाट्सएप ग्रुप पर शेयर मार्केट का सुनहरा सपना दिखाकर फंसाया, जीवन भर की कमाई विदेशी खातों में ट्रांसफर; पुलिस जांच में जुटी
May 3, 2025, 17:29 IST
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बिजनौर: डिजिटल युग में ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और इसका ताजा उदाहरण बिजनौर में सामने आया है, जहाँ साइबर जालसाजों ने भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त एक अधिकारी को अपना शिकार बनाया है। वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शेयर मार्केट में निवेश पर भारी मुनाफे का लालच देकर ठगों ने उनसे दो करोड़ रुपये से अधिक की मोटी रकम हड़प ली। इस घटना ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होने वाली धोखाधड़ी के खतरों को एक बार फिर उजागर किया है।READ ALSO:-चारधाम यात्रा से पहले खतरे की घंटी: बिजनौर में इक्वाइन इनफ्लूएंजा के दो नए मामले, पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर
देश सेवा के बाद धोखे का शिकार:
गांव लालपुर निवासी भूपेंद्र सिंह भारतीय नौसेना में एक लंबा और समर्पित कार्यकाल पूरा करने के बाद लगभग एक साल पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे। रिटायरमेंट के बाद वे बिजनौर में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। उनकी जमा पूंजी, जो उन्होंने लगभग साढ़े तीन दशक की सेवा के दौरान पाई-पाई जोड़कर बचाई थी, उनके और उनके परिवार के भविष्य के लिए एक सुरक्षित आधार थी।
वाट्सएप ग्रुप बना ठगी का जरिया:
भूपेंद्र सिंह साइबर ठगों के जाल में तब फंसे जब उनका मोबाइल नंबर अज्ञात तरीके से ठगों द्वारा संचालित एक वाट्सएप ग्रुप में जोड़ दिया गया। इस ग्रुप में लगातार शेयर मार्केट में निवेश करने पर कम समय में कई गुना मुनाफा कमाने के आकर्षक और बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए जा रहे थे। निवेश के जरिए अपनी पूंजी बढ़ाने का यह सुनहरा अवसर सेवानिवृत्त अधिकारी को लुभावना लगा।
एप के माध्यम से शुरू हुआ 'निवेश':
ग्रुप के संदेशों से प्रभावित होकर जब भूपेंद्र सिंह ने निवेश में रुचि दिखाई, तो ठगों ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए एक खास रणनीति बताई। उन्होंने अधिकारी को एक लिंक भेजकर एक ट्रेडिंग एप डाउनलोड करने का निर्देश दिया। ठगों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस एप के माध्यम से किया जाने वाला निवेश पूरी तरह सुरक्षित और अत्यंत लाभदायक है। भोले-भाले अधिकारी ने ठगों के निर्देशों का पालन करते हुए एप डाउनलोड कर लिया और उनके मार्गदर्शन में 'शेयर ट्रेडिंग' शुरू कर दी।
किस्तों में लुटाई गई करोड़ों की पूंजी:
एप के माध्यम से 'ट्रेडिंग' के नाम पर, भूपेंद्र सिंह से ठगों द्वारा उपलब्ध कराए गए विभिन्न बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। 10 मार्च से लेकर 23 अप्रैल तक की अवधि में, उन्होंने अपने एक बैंक खाते से 51 अलग-अलग ट्रांजेक्शन के जरिए 84 लाख 90 हजार रुपये भेजे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने दूसरे बैंक खाते से भी 32 बार में एक करोड़ 23 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर की। कुल मिलाकर, उन्होंने 17 विभिन्न बैंक खातों में कुल दो करोड़ सात लाख नब्बे हजार रुपये (₹2,07,90,000) की भारी भरकम रकम भेज दी। स्थिति यहाँ तक पहुँच गई कि जब उनके पास अपनी बचत के पैसे कम पड़ने लगे, तो इस धोखेबाजी वाली स्कीम में और पैसा लगाने और उम्मीदों को बनाए रखने के लिए उन्होंने अपनी पेंशन पर 50 लाख रुपये का लोन भी ले लिया।
मुनाफा नदारद, ठग हुए गायब:
इतनी बड़ी रकम निवेश करने और एक निश्चित अवधि बीत जाने के बाद भी भूपेंद्र सिंह को कथित ट्रेडिंग से कोई वास्तविक लाभ या रिटर्न दिखाई नहीं दिया। जब उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने वाट्सएप ग्रुप या सीधे ठगों से संपर्क करने की कोशिश की, तो जिस वाट्सएप ग्रुप के जरिए उन्हें फंसाया गया था, उसे अचानक बंद कर दिया गया और ठगों से उनका सारा संपर्क टूट गया। तब जाकर उन्हें पूरी तरह से एहसास हुआ कि वे एक बड़े और सुनियोजित साइबर फ्रॉड का शिकार हो गए हैं।
साइबर थाने में मुकदमा दर्ज, जांच शुरू:
इस भीषण ठगी का शिकार होने के बाद, पीड़ित सेवानिवृत्त अधिकारी ने तत्काल बिजनौर के साइबर थाने में संपर्क किया और आपबीती सुनाते हुए अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की। साइबर थाने के प्रभारी अर्जुन सिंह ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है और मामले की गहनता से जांच शुरू कर दी गई है।
विदेशी कनेक्शन और खातों की पड़ताल:
पुलिस की प्रारंभिक जांच में इस साइबर ठगी के अंतरराष्ट्रीय तार जुड़े होने के संकेत मिले हैं। जांच में यह सामने आया है कि जिस मोबाइल नंबर से वाट्सएप ग्रुप का एडमिन ऑपरेट हो रहा था, वह नंबर भारत का नहीं, बल्कि विदेश का है। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि पीड़ित द्वारा जिन 17 बैंक खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर की गई थी, उन खातों से भी पैसा बहुत तेजी से निकालकर भारत से बाहर, विदेशी खातों में भेज दिया गया है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस ठगी को अंजाम देने के पीछे कोई संगठित अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध गिरोह सक्रिय है।
जीवन भर की पूंजी का नुकसान:
35 साल की कड़ी मेहनत और सेवा के बाद जोड़ी गई जीवन भर की कमाई का इस तरह साइबर ठगी की भेंट चढ़ जाना भूपेंद्र सिंह के लिए एक असहनीय आघात है। वे इस घटना के कारण गहरे सदमे और मानसिक पीड़ा में हैं, क्योंकि यह रकम उनके और उनके परिवार के भविष्य की गारंटी थी।
यह घटना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मिलने वाले किसी भी आकर्षक निवेश प्रस्ताव या अज्ञात स्रोतों से आने वाले संदेशों के प्रति आम जनता को अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। साइबर ठग लगातार नए और अधिक परिष्कृत तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। पुलिस इस जटिल मामले को सुलझाने और अंतरराष्ट्रीय ठगों तक पहुँचने के लिए तकनीकी और अन्य माध्यमों से जांच कर रही है, लेकिन यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
