बिजनौर में 'तूफान का ब्रेक'! हावड़ा-जम्मूतवी रूट पर थमे ट्रेनों के पहिए, हजारों यात्री फंसे; घंटों बाद रेलवे ने संभाली कमान
चंदक स्टेशन के पास बिजली लाइन पर गिरा विशाल पेड़, भीषण आंधी-बारिश ने बिगाड़ी व्यवस्था; राहत कार्य में जुटी रेलवे की टीमें
May 28, 2025, 21:35 IST
|

28 मई 2025: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मंगलवार देर शाम आई तेज आंधी और मूसलाधार बारिश ने बिजनौर समेत आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा का सीधा असर रेल यातायात पर पड़ा, जब बिजनौर के चंदक स्टेशन के पास एक विशाल पेड़ रेलवे ट्रैक पर और बिजली लाइन पर जा गिरा। इस अप्रत्याशित घटना से देश के सबसे व्यस्ततम रेल मार्गों में से एक, हावड़ा-जम्मूतवी रेल मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही घंटों तक पूरी तरह से ठप हो गई। कई ट्रेनें रास्ते में ही फंस गईं, जिससे हजारों यात्री भीषण गर्मी और असुविधा के बीच घंटों परेशान होते रहे।READ ALSO:-Airtel का 'OTT महाबंडल' लॉन्च: ₹279 में Netflix, JioCinema, ZEE5 समेत 25+ OTTs! Jio को मिलेगी कड़ी टक्कर?
चंदक में 'ब्लेकआउट': यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंगलवार शाम करीब 6:30 बजे अचानक मौसम ने करवट ली। तेज आंधी के साथ मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। हवा इतनी तेज थी कि चंदक स्टेशन के निकट एक विशाल पेड़ अपनी जड़ों से उखड़कर सीधे रेल ट्रैक पर आ गिरा। पेड़ के गिरने से न केवल ट्रैक अवरुद्ध हुआ, बल्कि रेलवे की ओवरहेड इलेक्ट्रिक (OHE) लाइनें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे पूरे खंड में बिजली आपूर्ति ठप हो गई।
हावड़ा-जम्मूतवी मार्ग पर ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह से रुक जाने से हावड़ा-जम्मूतवी एक्सप्रेस, सियालदह-अमृतसर एक्सप्रेस और अन्य कई यात्री तथा मालगाड़ियाँ जहां-तहां रुक गईं। ट्रेनों में फंसे यात्रियों को घंटों तक बिना बिजली और पानी के इंतजार करना पड़ा। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा।
रेलवे का 'मिशन बहाली': युद्धस्तर पर हुई कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया। तुरंत ही रेलवे इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल विभाग की टीमें मौके पर भेजी गईं। अंधेरे और बारिश के बावजूद, युद्धस्तर पर राहत और बहाली का काम शुरू किया गया। कर्मचारियों ने कटर और अन्य उपकरणों की मदद से ट्रैक पर गिरे विशालकाय पेड़ को टुकड़ों में काटा और हटाया। साथ ही, क्षतिग्रस्त हुई बिजली लाइनों की मरम्मत का काम भी समानांतर रूप से चलता रहा।
कई घंटों की कड़ी मशक्कत और अथक प्रयासों के बाद, देर रात करीब 11 बजे तक ट्रैक को ट्रेनों की आवाजाही के लिए सुरक्षित घोषित कर दिया गया और बिजली आपूर्ति भी बहाल कर दी गई। इसके बाद ही फंसी हुई ट्रेनों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया गया।
इस घटना ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं के सामने रेलवे के मजबूत तंत्र और कर्मचारियों की मुस्तैदी को साबित किया है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी तुरंत कार्रवाई कर हजारों यात्रियों को राहत पहुंचाई। हालांकि, इस दौरान यात्रियों को हुई परेशानी को कम करने के लिए रेलवे को भविष्य में ऐसी आपातकालीन स्थितियों के लिए और भी बेहतर रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
