बिजनौर: मुर्दाघर बना 'भूल भुलैया'! डेढ़ माह तक लावारिस पड़ी रही इंसानियत, CMO की फटकार के बाद जागा सिस्टम
संवेदनहीनता की इंतहा: सड़क हादसे में जान गंवाने वाले 45 वर्षीय अज्ञात शख्स को अपनों का इंतजार रहा, पर पुलिस और अस्पताल ने आंखें मूंद लीं
Updated: Jun 4, 2025, 14:14 IST
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बिजनौर, उत्तर प्रदेश: मानवता को झकझोर देने वाली एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पुलिस और अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिजनौर जिला अस्पताल की मोर्चरी में एक अज्ञात व्यक्ति का शव डेढ़ महीने तक लावारिस पड़ा रहा और जिम्मेदार विभाग उसे 'भूल' गए। यह तब सामने आया जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के एक पत्र ने सोए हुए सिस्टम को जगाया।Read also:-सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने दिव्यांगों को दी 'उड़ने' की शक्ति: 10 लोगों को मिली इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर!
कैसे हुई ये शर्मनाक लापरवाही?
लगभग डेढ़ महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में करीब 45 वर्षीय एक अज्ञात व्यक्ति की मौत हो गई थी। नियमानुसार, शव को पहचान और आगे की कार्रवाई के लिए बिजनौर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया। लेकिन, इसके बाद जो हुआ वह बेहद चौंकाने वाला है। पुलिस और अस्पताल के कर्मचारियों ने इस शव को मोर्चरी में रखने के बाद उसकी सुध लेना ही छोड़ दिया। न तो उसकी पहचान के लिए कोई गंभीर प्रयास हुए, न ही उसके अंतिम संस्कार की दिशा में कोई कदम उठाया गया। शव मोर्चरी के भीतर डेढ़ महीने तक धूल फांकता रहा, मानो उसकी कोई पहचान ही न हो।
सीएमओ का पत्र और पुलिस की 'जागी' नींद
यह पूरी घटना तब उजागर हुई जब सीएमओ ने पुलिस विभाग को इस संदर्भ में एक पत्र भेजा। इस पत्र के बाद ही पुलिस विभाग के आला अधिकारियों की नींद खुली और उन्हें अपनी इस बड़ी चूक का अहसास हुआ। आनन-फानन में मामले की जांच शुरू की गई।
गाज गिरी हेड मोहर्रिर पर, शव का हुआ अंतिम संस्कार
मामले की गंभीरता को देखते हुए, बिजनौर के पुलिस अधीक्षक (SP) ने तत्काल कार्रवाई की। इस गंभीर लापरवाही के लिए हेड मोहर्रिर चेतन को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने आखिरकार कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए, इस अज्ञात शव को लावारिस मानते हुए उसका अंतिम संस्कार करवाया।
यह घटना न केवल विभागीय अक्षमता को दर्शाती है, बल्कि मानवीय संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कब तक इस तरह की लापरवाही आम जनजीवन को प्रभावित करती रहेगी और जिम्मेदार विभागों की जवाबदेही कब तय होगी?
