बिजनौर में डरावनी रात: मेरठ-पौड़ी हाईवे पर निर्माणाधीन पुल का लेंटर भरभरा कर गिरा!

माउंट लिटेरा ज़ी स्कूल के पास हुई दर्दनाक घटना, कई मजदूर घायल; घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप, जांच की मांग तेज
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बीती रात, बिजनौर में मेरठ-पौड़ी हाईवे 119 पर बन रहे एक पुल का लेंटर अचानक ढह गया. यह भयावह हादसा माउंट लिटेरा ज़ी स्कूल के ठीक पास हुआ, जहाँ रात में ही पुल का लेंटर डाला गया था. स्थानीय लोगों के अनुसार, रात करीब 9 बजे तेज आवाज़ के साथ लेंटर गिर गया, जिससे वहाँ काम कर रहे कई मजदूर इसकी चपेट में आ गए. बताया जा रहा है कि कुछ मजदूरों को चोटें आई हैं, हालांकि घायलों की सटीक संख्या और उनकी स्थिति के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.Read also:-Video: हरिद्वार में 'ट्रिपल सवारी' का खौफनाक अंजाम: दो नाले में गिरे, तीसरा फिल्मी स्टाइल में मौत के मुंह से बचा!

 

"कमीशनखोरी और घटिया सामग्री का नतीजा!" - दिगंबर सिंह का फूटा गुस्सा
इस घटना ने निर्माण कार्य में बरती जा रही घोर लापरवाही और अनियमितताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. युवा भारतीय किसान अराजनीतिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने इस हादसे के लिए सीधे तौर पर पुल निर्माण में इस्तेमाल की जा रही घटिया सामग्री और उसमें की गई मिलावट को जिम्मेदार ठहराया है.

 


दिगंबर सिंह ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "पुल के अंदर जो सामग्री लगाई जा रही है, उसमें साफ तौर पर मिलावट नजर आती है. इसकी गहन जांच होनी चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि इस तरह से पुल क्यों गिर रहे हैं." उन्होंने जोर देकर कहा कि कमीशनखोरी और घटिया सामग्री ही ऐसे हादसों की मुख्य वजह है, जिसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए.

 

उन्होंने आगे कहा, "अगर 10-12 घंटे में भी पुल का लेंटर सेट नहीं हुआ, तो समझा जा सकता है कि इसमें किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल हुआ होगा." दिगंबर सिंह ने याद दिलाया कि कुछ दिन पहले कोतवाली में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जो दर्शाता है कि यह कोई इकलौती घटना नहीं है. उन्होंने इस तरह के निर्माण कार्यों को लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करार दिया और मांग की कि इसका ठोस हल निकाला जाए.

 

जांच के दायरे में निर्माण कंपनी, क्या बख्शे जाएंगे दोषी?
इस दर्दनाक घटना के बाद, अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या निर्माण कंपनी पर कार्रवाई होगी? क्या इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा जाएगा? बिजनौर प्रशासन और संबंधित अधिकारियों की चुप्पी कई संदेह पैदा कर रही है. घायल मजदूरों की स्थिति और उन्हें मिली सहायता के बारे में भी अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है.

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यह घटना न केवल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है, बल्कि उन नियामक निकायों की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है, जिन्हें ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स की निगरानी करनी चाहिए. स्थानीय लोगों में इस हादसे को लेकर भारी रोष है और वे निष्पक्ष जांच तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

 

क्या यह घटना सरकारी ठेकों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का एक और उदाहरण है? प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है, यह देखने वाली बात होगी.
SONU

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