बिजनौर के चांदपुर में तेंदुए का आतंक, गन्ना छील रहे पिता-पुत्र पर हमला, एक महीने में पांच लोगों पर हमला
चौधेड़ी गांव में गन्ना छील रहे पिता-पुत्र गंभीर रूप से घायल, ग्रामीणों में वन विभाग के खिलाफ भारी आक्रोश
Mar 29, 2025, 15:43 IST
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बिजनौर: बिजनौर जिले के चांदपुर क्षेत्र में तेंदुए का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को गांव चौधेड़ी में उस समय दहशत फैल गई, जब गन्ना छील रहे 60 वर्षीय करतार सिंह और उनके 40 वर्षीय बेटे राहुल पर एक तेंदुए ने अचानक हमला कर दिया। इस हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए सीएचसी स्याऊ ले जाया गया, जहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।READ ALSO:-बिजनौर: राणा सांगा पर सपा सांसद की टिप्पणी से भड़के राजपूत संगठन, कलेक्ट्रेट पर किया जोरदार प्रदर्शन
यह घटना इलाके में तेंदुए द्वारा किया गया लगातार तीसरा हमला है, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल और भी गहरा गया है। इससे एक दिन पहले भी इसी इलाके में दो किसानों को तेंदुए ने हमला कर घायल कर दिया था। वहीं, 27 फरवरी को तेंदुए ने जंगल में चारा लेने गई एक महिला पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था, जिसका शव बाद में गन्ने के खेत से बरामद हुआ था।
लगातार हो रहे हमलों से ग्रामीणों में वन विभाग के खिलाफ भारी गुस्सा है। उनका आरोप है कि वन विभाग तेंदुए को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है और इस मामले में घोर लापरवाही बरत रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरों में तेंदुए को आकर्षित करने के लिए न तो कोई जीवित पशु रखा गया है और न ही पिंजरों और आसपास के इलाकों में लगाए गए जालों की ठीक से निगरानी की जा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार, पिछले एक महीने के भीतर इस तेंदुए ने एक महिला की जान ले ली है, जबकि चार अन्य लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया है। दो बार हुए हमलों के बाद जब घायल किसान सीएचसी स्याऊ पहुंचे तो वहां ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। स्थिति को बिगड़ता देख सीएचसी में पुलिस को भी बुलाना पड़ा ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस आदमखोर तेंदुए को पकड़ा जाए, ताकि उनके जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि वन विभाग ने जल्द ही कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। इस घटना ने एक बार फिर से मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते खतरे को उजागर किया है।
