बिजनौर के नांगलसोती क्षेत्र में वन विभाग ने रोका प्राचीन गंगा मंदिर में निर्माण कार्य, पुजारी और ग्रामीणों ने जताया विरोध
नांगलसोती के गंगा खादर इलाके में स्थित प्राचीन मंदिर वन आरक्षित क्षेत्र में होने का दावा, मरम्मत कार्य बाधित, ग्रामीणों ने जताई नाराजगी।
Mar 25, 2025, 12:06 IST
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बिजनौर: बिजनौर जिले के नांगलसोती क्षेत्र में वन विभाग की एक कार्रवाई से श्रद्धालुओं में नाराजगी फैल गई है। दरअसल, वन विभाग की टीम ने गंगा खादर इलाके में स्थित एक प्राचीन गंगा मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य को रोक दिया है। विभाग का कहना है कि यह मंदिर क्षेत्र वन आरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसके कारण यहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य करना नियमों का उल्लंघन है।READ ALSO:-बिजनौर: खेत पर गए चाचा-भतीजों पर हथियारों से हमला, एक की धारदार हथियार से हत्या, दो भतीजे गंभीर घायल
क्षतिग्रस्त बरामदे का हो रहा था निर्माण:
बताया जा रहा है कि हाल ही में हुई बारिश के कारण मंदिर परिसर का बरामदा क्षतिग्रस्त हो गया था। श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने मिलकर चंदा इकट्ठा किया और सोमवार को बरामदे की मरम्मत का कार्य शुरू कराया। इसी दौरान वन विभाग के डिप्टी रेंजर राम मुसाफिर यादव अपनी सात सदस्यीय टीम के साथ मौके पर पहुंचे और उन्होंने तत्काल निर्माण कार्य रुकवा दिया।
पुजारी और ग्रामीणों ने किया विरोध:
वन विभाग की इस कार्रवाई का मंदिर के पुजारी रामप्रसाद ने पुरजोर विरोध किया। मौके पर मौजूद स्थानीय निवासी जग्गू, राहुल और आकाश भी पुजारी के समर्थन में उतर आए और उन्होंने भी वन विभाग के अधिकारियों से कार्रवाई पर आपत्ति जताई। पुजारी रामप्रसाद ने बताया कि मंदिर सदियों पुराना है और इसका निर्माण कार्य श्रद्धालुओं द्वारा दान किए गए धन से कराया जा रहा था। उन्होंने वन विभाग के इस कदम को अनुचित बताया।
वन विभाग ने दी नियमों की दुहाई:
हालांकि, वन विभाग के अधिकारी अपनी कार्रवाई पर अडिग हैं। राजगढ़ के रेंजर कपिल कुमार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि गंगा मंदिर जिस क्षेत्र में स्थित है, वह वन आरक्षित क्षेत्र है। वन संरक्षण अधिनियम के तहत इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य या पुराने निर्माण में बदलाव प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि विभाग नियमों का पालन कराने के लिए बाध्य है और इसीलिए निर्माण कार्य को रोका गया है।
श्रद्धालुओं में नाराजगी, शिकायत की तैयारी:
वन विभाग की इस कार्रवाई से स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं में काफी रोष है। उनका कहना है कि यह एक प्राचीन मंदिर है और इसकी मरम्मत कराना आवश्यक था। उन्होंने वन विभाग के इस रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए विभाग के उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है। श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर की मरम्मत जैसे धार्मिक कार्य में वन विभाग को इस तरह से बाधा नहीं डालनी चाहिए। अब देखना यह होगा कि इस मामले में वन विभाग और स्थानीय लोगों के बीच कोई समझौता हो पाता है या नहीं।