बिजनौर में सिस्टम की 'सांसें' थमीं, 26 साल के युवक ने तोड़ा दम: परिजनों का चीख-चीखकर आरोप, "लापरवाही ने ली जान!"
डायलिसिस के दौरान बिजली गुल, जनरेटर में तेल नहीं, बिलखते परिवार ने उठाया सवाल: क्या जान बचाने वाले अस्पताल में ही मौत का खेल?
Jun 14, 2025, 00:57 IST
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बिजनौर, [14 June 2025] – बिजनौर जिला अस्पताल में शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहाँ महज 26 वर्षीय सरफराज ने डायलिसिस के दौरान दम तोड़ दिया। फूलसांदा, नहटौर के रहने वाले सरफराज की मौत ने अस्पताल की व्यवस्थाओं और स्टाफ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का आरोप है कि यह मौत महज एक हादसा नहीं, बल्कि घोर लापरवाही का नतीजा है, जिसने एक हंसते-खेलते परिवार को उजाड़ दिया।Read also:-अहमदाबाद प्लेन क्रैश: 241 जिंदगियों का अंत, पिता को अंतिम विदाई देने आया बेटा नहीं रहा; आखिरी सेल्फी बनी याद; ये दर्दनाक कहानियाँ
आँखों के सामने बिगड़ती हालत, परिजन बेबस!
सरफराज को शुक्रवार सुबह 8 बजे डायलिसिस के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों का दावा है कि उस वक्त उनकी तबीयत बिल्कुल ठीक थी। लेकिन, कुछ ही देर बाद स्थिति बिगड़ने लगी। मृतक की मां सलमा ने रुंधे गले से बताया कि स्टाफ ने उनसे बाहर से दवाइयां और इंजेक्शन मंगवाए। इसके बाद सरफराज को तेज बुखार आया और उनकी हालत नाजुक होने लगी।
सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि बिजली गुल होने पर जनरेटर में तेल नहीं था! सलमा ने दर्द भरे लहजे में कहा, "समय पर इलाज न मिलने से मेरे बेटे की मौत हो गई। अगर समय पर बिजली और इलाज मिलता, तो शायद आज मेरा बेटा जिंदा होता।" यह आरोप सीधा-सीधा अस्पताल प्रशासन की मूलभूत सुविधाओं के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।
अस्पताल में हंगामा, पुलिस और अधिकारी मौके पर
सरफराज की मौत के बाद अस्पताल में कोहराम मच गया। आक्रोशित परिजनों ने स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सीएमएस डॉ. मनोज सेन और सीएमओ कौशलेंद्र सिंह भी जिला अस्पताल पहुंचे। सीएमओ कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा एक निजी कंपनी द्वारा संचालित की जाती है। उन्होंने इस पूरे मामले की गहन जांच के आदेश दे दिए हैं। यह देखना होगा कि इस जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और क्या दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है।
दो बच्चों का पिता, पत्नी का सहारा छिन गया
सरफराज की शादी पाँच साल पहले हुई थी। वह दो छोटे-छोटे बच्चों का पिता था। पिछले एक साल से वह किडनी की बीमारी से जूझ रहा था और नियमित रूप से डायलिसिस पर था। इस घटना ने उसके परिवार को गहरा सदमा पहुँचाया है। पत्नी का सहारा छिन गया और मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया।
परिजनों ने फिलहाल बिना पोस्टमार्टम कराए ही शव को अपने साथ ले जाने का फैसला किया है। यह फैसला उनके गहरे दर्द और सिस्टम से टूट चुके भरोसे को दर्शाता है।
फिर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और जवाबदेही पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या एक निजी कंपनी के हाथों में लोगों की जान की जिम्मेदारी सुरक्षित है? और क्या हमारे अस्पतालों में इतनी मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है कि एक जान बचाने वाले उपकरण के लिए भी समय पर ईंधन उपलब्ध न हो? यह प्रश्न अनुत्तरित हैं और शायद सरफराज के परिवार को इनका जवाब मिलने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
