बिजनौर में गुलदार का आतंक जारी: अब तक 28 मौतें, फतेहपुर में मिला शावक, वन विभाग ने किया रेस्क्यू

 जंगल से भटके गुलदार के शावक को वन विभाग ने सुरक्षित रेंज कार्यालय पहुंचाया, ग्रामीणों में दहशत का माहौल, गुलदार पकड़ने को लगाए जा रहे पिंजरे
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SHAVAK
बिजनौर, 15 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश का बिजनौर जिला वर्तमान में गंभीर मानव-वन्यजीव संघर्ष का सामना कर रहा है, जहां गुलदार (तेंदुए) का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक जिले में गुलदार के हमलों में 28 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। जंगल के आसपास के गांवों में लगातार गुलदार और उनके शावकों की मौजूदगी से ग्रामीणों में भारी दहशत व्याप्त है। इस चिंताजनक माहौल के बीच, वन विभाग की टीम ने जिले के फतेहपुर गांव से एक मां से बिछड़े गुलदार शावक को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया है।READ ALSO:-सोशल मीडिया पर तमंचा लहराना पड़ा महंगा, बिजनौर पुलिस ने वायरल वीडियो से पहचान कर युवक को दबोचा

 

खेत में मिला मां से बिछड़ा शावक
घटना बिजनौर जिले के फतेहपुर गांव की है, जहां ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले एक खेत में अकेले घूमते हुए एक छोटे गुलदार शावक को देखा। इसकी सूचना तत्काल वन विभाग को दी गई। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। वन क्षेत्र अधिकारी (रेंजर) महेश गौतम ने बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा था कि शावक अपनी मां से बिछड़ गया है।

 


दो दिन निगरानी, फिर रेस्क्यू का निर्णय
वन विभाग की टीम ने मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए तत्काल शावक को कब्जे में नहीं लिया। इसके बजाय, टीम ने दो दिनों तक उसी खेत में और आसपास के क्षेत्र में शावक की दूर से निगरानी की। इसका उद्देश्य यह देखना था कि क्या शावक की मां उसे लेने वापस आती है। रेंजर महेश गौतम के अनुसार, "हमने दो दिन इंतजार किया, इस उम्मीद में कि मां गुलदार अपने बच्चे को ढूंढते हुए वहां आएगी। लेकिन दुर्भाग्यवश, दो दिनों तक कोई वयस्क गुलदार उस क्षेत्र में नहीं देखा गया।"

 

जब यह स्पष्ट हो गया कि मां गुलदार वापस नहीं आ रही है और अकेले शावक की जान को खतरा हो सकता है, तो टीम ने उसे सुरक्षित रूप से रेस्क्यू करने का निर्णय लिया। शावक को सावधानीपूर्वक रेंज कार्यालय ले जाया गया।

 

रेंज कार्यालय में देखभाल, स्वास्थ्य परीक्षण
रेंज कार्यालय लाने के बाद शावक का पशु चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। जांच में शावक पूरी तरह से स्वस्थ पाया गया। फिलहाल, वन विभाग की टीम शावक की पूरी देखभाल कर रही है। उसे नियमित रूप से दूध पिलाया जा रहा है और उसके खाने-पीने का विशेष ध्यान रखा जा रहा है, ताकि वह स्वस्थ रहे।

 

बड़ा होने पर जंगल में छोड़ा जाएगा
रेंजर महेश गौतम ने भविष्य की योजना के बारे में बताते हुए कहा, "अभी शावक बहुत छोटा है और जंगल में अकेले जीवित रहने में सक्षम नहीं है। हम उसे रेंज कार्यालय में तब तक पालेंगे जब तक वह थोड़ा बड़ा और आत्मनिर्भर नहीं हो जाता। जैसे ही वह जंगल में रहने लायक होगा, उच्च अधिकारियों से प्राप्त निर्देशों के अनुसार उसे किसी सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा।"

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संघर्ष प्रबंधन के प्रयास जारी
यह बचाव कार्य ऐसे समय में हुआ है जब बिजनौर का वन विभाग गुलदार के बढ़ते हमलों को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में गुलदारों को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर पिंजरे लगाए गए हैं। साथ ही, ग्रामीणों को गुलदारों से बचाव के तरीकों और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं। यह घटना वन विभाग के सामने दोहरी चुनौती पेश करती है - एक तरफ आदमखोर हो रहे गुलदारों से निपटना और दूसरी तरफ ऐसे बेसहारा शावकों का संरक्षण करना।
SONU

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