धामपुर बना साहित्य का संगम: राष्ट्र प्रेम की गूँज और लेखनी का सम्मान!
'अनिल अभिव्यक्ति' के पाँच वर्ष पूरे होने पर भव्य समारोह, साहित्यकारों ने भरी हुंकार: लेखनी चले राष्ट्र हित में!
May 12, 2025, 00:15 IST
|

बिजनौर जिला प्रभारी अनिल कुमार शर्मा खबरी लाल मीडिया-बिजनौर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की माटी यूं तो हमेशा से ही शौर्य और संस्कृति की परिचायक रही है, लेकिन रविवार को बिजनौर के धामपुर नगर ने स्वयं को साहित्य और सृजन के एक जीवंत केंद्र के तौर पर स्थापित किया। 'अनिल अभिव्यक्ति' ई पत्रिका के पाँचवें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यहाँ एक अभूतपूर्व साहित्यकार सम्मान समारोह, पुस्तक लोकार्पण और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र के साहित्यिक परिदृश्य में नई ऊर्जा का संचार किया।READ ALSO:-उत्तर प्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी: मेरठ से 'सोना' उड़ाकर पश्चिम बंगाल में छिपे 'मास्टरमाइंड' को हुगली से दबोचा, 179 ग्राम गोल्ड किया बरामद
इस पावन अवसर पर जुटे देश के कोने-कोने से आए साहित्य साधकों और कला प्रेमियों ने वर्तमान समय में साहित्यकारों की भूमिका पर गहरा चिंतन किया। मंच से बार-बार यही उद्घोष हुआ कि अब समय आ गया है जब लेखनी केवल मनोरंजन या आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम न रहकर, राष्ट्र के उत्थान और समाज के कल्याण का सशक्त औजार बने। वक्ताओं ने राष्ट्र प्रेम की भावना से ओतप्रोत और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने वाले साहित्य के सृजन पर विशेष बल दिया।
कार्यक्रम का भव्य उद्घाटन दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ, जिसकी रोशनी ने ज्ञान और सृजन के पथ को आलोकित किया। तत्पश्चात, नरेंद्र जीत सिंह 'अनाम' द्वारा प्रस्तुत मनोहारी सरस्वती वंदना ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक और साहित्यिक ऊर्जा से भर दिया।
सृजनधर्मियों का सम्मान: 'अभिव्यक्ति रत्न' से अलंकृत हुई प्रतिभाएँ
समारोह का सर्वाधिक प्रतीक्षित पल था 'अभिव्यक्ति रत्न सम्मान २०२५' का वितरण। अनिल अभिव्यक्ति ई पत्रिका की पाँच वर्षों की सफल यात्रा का जश्न मनाते हुए, इस सम्मान से उन प्रतिभाओं को नवाजा गया जिन्होंने अपनी लेखनी और कार्यों से समाज और साहित्य जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुख्य अतिथि आनंद दीवान, पवन कुमार शर्मा (देहरादून), डॉ. पंकज भारद्वाज (बिजनौर), अमन कुमार त्यागी (नजीबाबाद) जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों के साथ ही विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इनमें सतेन्द्र शर्मा 'तरंग', हरीश रवि, संजय प्रधान, आनन्द सिंह 'आनंद', पवन कुमार 'सूरज' (देहरादून), संजीव शर्मा 'एकल' (जसपुर), डॉ. हितेन सिंह 'तड़प' (मेरठ) शामिल थे। धामपुर की अपनी विशिष्ट प्रतिभाओं - डॉ. राजेंद्र चौधरी, सुमित शर्मा और रोमियो मयूर को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। इन सभी विभूतियों को मुख्य वक्ता डॉ. शंकरलाल शर्मा 'क्षेम' और कार्यक्रम अध्यक्ष दिनेश चंद अग्रवाल 'नवीन' के कर कमलों से अंग वस्त्र, माला और सम्मान पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया, जो उनके समर्पण और साधना का प्रतीक था।
मुख्य वक्ता डॉ. शंकरलाल शर्मा 'क्षेम' ने अपने प्रेरक उद्बोधन में साफ शब्दों में कहा कि साहित्य रचते समय सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकारों को कदापि भुलाया नहीं जा सकता। यह साहित्यकार का पुनीत कर्तव्य है। मुख्य अतिथि आनंद दीवान ने तेजी से घट रही पठन संस्कृति पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे जीवन मूल्यों के ह्रास से जोड़ा। डॉ. पंकज भारद्वाज ने कविता की बारीकियों पर बात करते हुए कहा कि केवल भावनाएं ही नहीं, बल्कि उसमें चतुराई और सामाजिक संबंधों के प्रति गंभीरता का पुट होना भी आवश्यक है। देहरादून से पधारे पवन शर्मा ने धामपुर की साहित्यिक उर्वरता की प्रशंसा करते हुए यहाँ साहित्य और संस्कृति का अद्भुत मेल देखने को मिलने की बात कही। उन्होंने 'अनिल अभिव्यक्ति' ई पत्रिका के प्रयासों को 'साहित्यिक यज्ञ' बताकर उसकी महत्ता को स्थापित किया। फायकू विधा के प्रणेता और वरिष्ठ साहित्यकार-संपादक अमन कुमार त्यागी ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उसके प्रयोग में किसी भी तरह का संकोच न करने का आह्वान किया और दैनिक जीवन में अधिकाधिक हिंदी प्रयोग पर जोर दिया।
इस भव्य सम्मान समारोह में प्रोफेसर पूनम चौहान, शुचि शर्मा, श्रीमती आभा शर्मा, ज्योति रानी, डॉ. पंकज कुमार, नरेंद्र जीत 'अनाम', डॉ. सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'सरस', डॉ. भूपेन्द्र कुमार, राजकुमार सिंह, हरिकांत शर्मा, डॉ. सारंगा देश 'असीम', डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. अभिनव शर्मा, रामसिंह सैनी 'सुमन', विभोर अग्रवाल, अशोक कुमार, वीरेंद्र 'बेताब', मनोज कात्यायन, भूपेन्द्र शर्मा, डॉ. जितेन्द्र कौशिक, अभिषेक भारद्वाज, संजीव कौशिक, आफताब अहमद, मुकेश कुमार सहित अनेक साहित्यकारों को भी उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए 'अभिव्यक्ति रत्न सम्मान' प्रदान किया गया।
एक विशेष सम्मान के तौर पर, मित्र लोक देहरादून की ओर से आनंद दीवान, पवन शर्मा, सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' आदि ने इस पूरे आयोजन की धुरी रहे और कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल' को 'साहित्य प्रहरी सम्मान' से नवाजा, जो साहित्य के प्रति उनके अथक समर्पण का प्रतीक था।
कृति का लोकार्पण: साहित्य कोष में एक नया अध्याय
समारोह के दूसरे महत्वपूर्ण चरण में साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र कुमार द्वारा रचित नवीन कृति 'अखिल जग में गीत गूंजते' का विधिवत लोकार्पण किया गया। मंचासीन सभी प्रतिष्ठित अतिथियों ने संयुक्त रूप से इस पुस्तक का विमोचन किया, जिसके साथ ही यह कृति साहित्य प्रेमियों के अध्ययन के लिए उपलब्ध हो गई।
कवि सम्मेलन: जब राष्ट्र प्रेम की लहरों पर झूमे श्रोता
कार्यक्रम का तीसरा और सबसे रोमांचक चरण था कवि सम्मेलन। विभिन्न प्रदेशों से आए ख्याति प्राप्त कवियों ने जब माइक संभाला तो मानों शब्दों के शर बरसने लगे। विशेष रूप से राष्ट्र प्रेम, देश भक्ति और राष्ट्रीय गौरव पर केंद्रित रचनाओं ने श्रोताओं के हृदय को आंदोलित कर दिया। तालियों की गड़गड़ाहट और 'भारत माता की जय' के उद्घोष से पूरा पंडाल गूँज उठा। कवियों ने अपनी ओजस्वी वाणी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
अंत में, हाल ही में दिवंगत हुए साहित्य जगत के स्तंभ, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण' को दो मिनट का मौन रखकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिसने सभी को गमगीन कर दिया।
पूरे कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल' ने अत्यंत कुशलता और गरिमा के साथ किया, जिसकी सभी उपस्थित लोगों ने भूरी-भूरी प्रशंसा की। यह आयोजन धामपुर ही नहीं, बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साहित्यिक इतिहास में एक अविस्मरणीय अध्याय के रूप में दर्ज हो गया।
