धामपुर में गूंजी 'हिन्दू हृदय सम्राट' पृथ्वीराज चौहान की जयकार: क्षत्रिय समाज ने हवन-पूजन के साथ मनाई 859वीं जयंती!
महाराणा प्रताप क्षत्रिय राजपूत सभा ने श्रीराम कॉलेज में किया हवन, कैम्प कार्यालय पर लगा शीतल जल शिविर; बड़ी संख्या में लोगों ने की सहभागिता
Updated: May 22, 2025, 19:43 IST
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बिजनौर जिला प्रभारी अनिल कुमार शर्मा खबरी लाल मीडियाI धामपुर, बिजनौर: भारत के वीर योद्धा और हिन्दू हृदय सम्राट पृथ्वीराज चौहान की 859वीं जयंती आज (22 मई, 2025) धामपुर में महाराणा प्रताप क्षत्रिय राजपूत सभा द्वारा बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई।Read also:-🚦बिजनौर में सड़क सुरक्षा पर DM सख्त: NHAI को लगाई फटकार, 15 जून तक सभी 'खतरनाक कट' बंद करने का अल्टीमेटम!
क्षत्रिय भवन में हवन और माल्यार्पण:
जयंती समारोह का आरंभ सुबह 9 बजे क्षत्रिय भवन, धामपुर में हुआ, जहाँ यजमान यशवीर सिंह गीतम जी के द्वारा विधि-विधान से हवन का आयोजन किया गया। हवन के पश्चात्, भगवान श्रीराम जी और हिन्दू हृदय सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया और दीप प्रज्वलित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
गर्मी से राहत के लिए शीतल जल शिविर:
जयंती समारोह के क्रम में, सुबह 11 बजे कैम्प कार्यालय (सूर्या टैंट हाऊस), जाकिर हुसैन रोड, धामपुर पर शीतल जल शिविर का आयोजन किया गया। इस भीषण गर्मी में राहगीरों को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से लगाए गए इस शिविर में भी कई लोगों ने अपनी सेवाएँ दीं।
कार्यक्रम में इन लोगों की रही सहभागिता:
इस अवसर पर यशवीर सिंह गीतम, हरिराज सिंह, नरेंद्र सिंह, नरेश कुमार वत्स, डॉ० ए.के. वत्स, रविन्द्र चौहान (पप्पू), अजय कुमार, बिशम्बर सिंह, अभय कुमार जी, डॉ० कमलेश चौहान, निर्दोष कुमार जी, देवेंद्र सिंह, दुष्यंत सिंह राणा, अशोक कुमार, लोकेंद्र सिंह, सुधीर कुमार, मदनपाल सिंह राणा, डॉ० शिशुपाल सिंह, महेश सिंह, राकेश चौहान, केशव सिंह, लक्ष्मी सिंह, बबिता चौहान, योगराज सिंह, कार्तिक राणा, हरि सिंह, अमित कुमार, सुनीता जी, नरेंद्र सिंह, जसवंत सिंह आदि सहित बड़ी संख्या में समाज के लोगों और गणमान्य व्यक्तियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
यह आयोजन पृथ्वीराज चौहान के शौर्य और बलिदान को याद करने तथा आने वाली पीढ़ियों को उनकी विरासत से अवगत कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
