बिजनौर: शेरकोट में सेल्फी और स्टंट के चक्कर में मौत को गले लगा रहे हैं युवा! खो बैराज बना 'खूनी' नहर, ऊँचाई से छलांग लगाना यहाँ फैशन, हर साल जा रही हैं जानें!
रोकने वाले कर्मचारियों से होती है बदसलूकी, प्रशासन अब जागा, क्या रुकेगा 'मौत का खेल'?
May 15, 2025, 00:05 IST
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शेरकोट (बिजनौर): गर्मी का मौसम आते ही बिजनौर के शेरकोट स्थित खो बैराज का नज़ारा बदल जाता है। जहाँ नहर का पानी राहत देने वाला एहसास कराता है, वहीं कुछ युवाओं की जानलेवा हरकतें इस जगह को खूनी बना रही हैं। यहाँ 'गर्मी से राहत' के नाम पर 'मौत का खेल' खेला जा रहा है। बैराज की ऊँचाई से नहर के तेज़ और गहरे पानी में छलांग लगाना यहाँ के किशोरों और युवकों के लिए एक खतरनाक फैशन बन गया है, जिसका खामियाजा उन्हें अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ता है।READ ALSO:-मेरठ: बिजली के तार या बीड़ी की चिंगारी? चार तेल टैंकरों में लगी भीषण आग, दो घंटे की मशक्कत के बाद पाया काबू, लाखों का नुकसान!
गर्मी का 'जोश', मौत का फंदा!:
जैसे ही तापमान बढ़ता है, खो बैराज पर युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। ये युवक अपनी जान की परवाह किए बिना, बैराज के किनारों और पुलिया से, जो काफी ऊँचे हैं, सीधे नहर में छलांग लगाते हैं। कई बार तो वे एक-दूसरे को देखकर या वीडियो बनाने के चक्कर में और भी ज़्यादा खतरनाक स्टंट करते हैं। उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं होता कि नहर के पानी का बहाव कितना तेज़ है, गहराई कितनी है या नीचे कोई अवरोध तो नहीं है। गर्मी का यह जोश अक्सर मौत के फंदे में बदल जाता है।
ऊँचाई से छलांग: एक खतरनाक खेल:
यह सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि सीधे-सीधे मौत को दावत देना है। बैराज की ऊँचाई से गिरने की गति और पानी के तेज़ बहाव का मेल बेहद घातक हो सकता है। कई बार छलांग लगाते समय गंभीर चोटें आ जाती हैं या युवक बहाव में बह जाते हैं। सुरक्षा के यहां कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण यह खतरा और भी बढ़ जाता है। न तो कोई चेतावनी बोर्ड पर्याप्त संख्या में लगे हैं और न ही कोई सुरक्षाकर्मी लगातार निगरानी करते हैं।
रोकने वालों को दबंगई का जवाब:
बैराज पर सिंचाई विभाग के कुछ कर्मचारी तैनात रहते हैं जिनका काम यहां की व्यवस्था देखना है। जब वे इन युवकों को ऊँचाई से कूदने या खतरनाक तरीके से नहाने से रोकने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें युवाओं की दबंगई का सामना करना पड़ता है। जोश में चूर युवक कर्मचारियों की बात सुनने के बजाय उनसे बहस करते हैं, गाली-गलौज करते हैं और कई बार तो मारपीट की धमकी भी देते हैं। ऐसी स्थिति में बेचारे कर्मचारी भी अपनी जान बचाने के लिए पीछे हट जाते हैं और चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते।
हर साल काल का ग्रास बन रहे हैं कई:
स्थानीय लोगों के लिए यह नजारा अब आम हो गया है, लेकिन इसके अंजाम बेहद दुखद हैं। उन्होंने बताया कि खो बैराज पर स्टंट करते हुए या नहाते समय डूबने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है। ये मौतें अक्सर गर्मी के मौसम में होती हैं जब यहाँ ज़्यादा भीड़ होती है। इन हादसों के बाद कुछ दिनों तक चर्चा होती है और फिर स्थिति सामान्य हो जाती है, अगले साल फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है।
सिर्फ स्थानीय नहीं, बाहर से भी आते हैं शौकीन:
खो बैराज पर आने वाले जोखिम भरे शौकीन सिर्फ शेरकोट के ही नहीं हैं। बिजनौर जिले के धामपुर, अफजलगढ़ और स्योहारा जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में किशोर और युवक यहाँ आते हैं। सोशल मीडिया पर स्टंट के वीडियो देखकर या दोस्तों से सुनकर वे यहां खिंचे चले आते हैं, जिससे इस जानलेवा खेल का दायरा बढ़ता जा रहा है।
प्रशासन जागा: क्या रुकेगा मौत का खेल?
खो बैराज पर होने वाली लगातार मौतों और असुरक्षित माहौल से परेशान होकर नगरवासियों ने अब प्रशासन से कड़े कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने सिंचाई विभाग और स्थानीय पुलिस से बैराज पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने, खतरनाक स्थानों पर बैरिकेडिंग लगाने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।
इस संबंध में सीओ राजेश सोलंकी ने मामले का संज्ञान लिया है और लोगों को भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा है कि खो बैराज पर नदी में नहाने और ऊँचाई से कूदने जैसी खतरनाक गतिविधियों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाएगा। अब देखना यह है कि प्रशासन इस बार कितनी मुस्तैदी दिखाता है और क्या खो बैराज पर होने वाले इस 'मौत के खेल' को रोकने में सफल हो पाता है। उम्मीद है कि समय रहते ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे ताकि किसी और घर का चिराग बुझने से बचाया जा सके।
