बिजनौर में 'ग्रीन' क्रांति की दस्तक: मक्का और चावल से बनेगा एथनॉल, 100 करोड़ का प्लांट देगा बंपर रोजगार!
खेती को मिलेगी नई दिशा, किसानों की आय बढ़ेगी; पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण से घटेगा प्रदूषण, मिलेगा स्थानीय युवाओं को काम
Updated: May 30, 2025, 20:43 IST
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बिजनौर जिला अब कृषि-आधारित उद्योगों के एक नए युग में प्रवेश करने को तैयार है। यहां मक्का और टूटे चावलों से एथनॉल बनाने का एक अत्याधुनिक प्लांट स्थापित होने जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल स्थानीय युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगी, बल्कि किसानों को मक्का की खेती के लिए एक मजबूत बाजार भी उपलब्ध कराएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।READ ALSO:-मेरठ में 'प्यार का धोखा': बीए छात्रा का आरोप - बीसीए छात्र ने शादी का झांसा देकर किया दुष्कर्म, अश्लील वीडियो बनाकर धमकाया!
पेट्रोल का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प
वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने की दिशा में एथनॉल एक महत्वपूर्ण विकल्प बनकर उभरा है। इसे पेट्रोल में मिलाकर उपयोग किया जाता है, जिससे जीवाश्म ईंधन की खपत कम होती है और प्रदूषण पर लगाम लगती है। पहले चीनी मिलें मुख्य रूप से चीनी उत्पादन पर केंद्रित थीं, लेकिन अब वे कच्चे चीनी (रा शुगर), बी-हैवी शीरा और एथनॉल जैसे उत्पादों का भी उत्पादन कर रही हैं। यह विविधीकरण न केवल मिलों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि चीनी की कीमतों को भी स्थिर रखने में मदद कर रहा है। अब चीनी मिलों के अलावा, अन्य औद्योगिक समूह भी एथनॉल उत्पादन के क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं।
मोहित पेट्रो केमिकल के मालिक कुलदीप जैन इस नई पहल का नेतृत्व कर रहे हैं। नगीना रोड पर 100 किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला यह अनाज-आधारित एथनॉल प्लांट 100 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। वर्तमान में पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक एथनॉल मिलाया जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एथनॉल केवल गन्ने के रस से ही नहीं, बल्कि विभिन्न अनाजों से भी बनाया जा सकता है। चांगीपुर चीनी मिल के पास पहले से ही डिस्टलरी प्लांट मौजूद है, और अब इसमें आवश्यक बदलाव करके अनाज से भी एथनॉल का उत्पादन किया जाएगा। जिले की अन्य चीनी मिलें भी इस नई तकनीक को अपनाने पर विचार कर रही हैं।
किसानों के लिए 'डबल फायदा': सहफसली खेती से बढ़ेगी आय
यह प्लांट बिजनौर के किसानों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, खासकर उन किसानों के लिए जो सहफसली खेती करते हैं। गन्ने के साथ मक्का की सहफसली खेती को एक नया और लाभकारी विकल्प माना जा रहा है। ट्रेंच विधि का उपयोग करके, किसान एक ही खेत में गन्ने के साथ मक्का भी उगा सकेंगे। इससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, क्योंकि गन्ना कटने के बाद वे मक्का बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, मक्का पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोगी होगा, जिससे किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा।
बिजनौर में 'उद्योगों के लिए अच्छा माहौल': उपायुक्त उद्योग
उपायुक्त उद्योग, अमित कुमार सिंह ने इस परियोजना पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "जिले में उद्योगों के लिए एक बहुत ही अनुकूल माहौल बना हुआ है। खेती से जुड़े उद्योग बिजनौर की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जो क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है।" उन्होंने यह भी बताया कि युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता अपनाने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है।
यह एथनॉल प्लांट बिजनौर के आर्थिक और पर्यावरणीय परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है। क्या यह परियोजना वाकई बिजनौर को विकास के एक नए पथ पर ले जाएगी?
