बिजनौर: धामपुर में जयकारों और अखाड़ों के दमखम के साथ निकली 25वीं भव्य भगवान परशुराम शोभायात्रा, भक्ति और उत्साह का संगम
ब्राह्मण सभा धामपुर के तत्वावधान में निकाली गई शोभायात्रा में देशभर से जुटे श्रद्धालु, अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम हुआ भव्य
May 4, 2025, 13:33 IST
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बिजनौर जिला प्रभारी अनिल कुमार शर्मा खबरी लाल मीडिया। बिजनौर: धर्म, संस्कृति और शौर्य के प्रतीक भगवान परशुराम जी की 25वीं विशाल शोभायात्रा ने हाल ही में बिजनौर के धामपुर नगर को भक्तिमय माहौल से भर दिया। ब्राह्मण सभा धामपुर पंजीकृत के तत्वावधान में आयोजित यह भव्य शोभायात्रा नगर के श्री राधा कृष्ण मंदिर से प्रारंभ हुई और पूरे उत्साह के साथ नगर के विभिन्न मार्गों से गुजरी, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।READ ALSO:-खेत के पास घात लगाए गुलदार का हमला: बिजनौर के उमरपुर नत्थन में दो ग्रामीण घायल, जिला अस्पताल रेफर
इस ऐतिहासिक 25वीं शोभायात्रा का उद्घाटन समारोह बेहद खास रहा। परम पूज्य श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश जी महाराज के पावन सानिध्य में, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, उत्तराखंड के पूर्व मंत्री अरविंद पांडे, और सर्वब्राह्मण महासभा पंजीकृत दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी शर्मा जैसे प्रमुख अतिथियों ने शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाई। इनके साथ ही, पूर्व एमएलसी सुबोध पाराशर, उत्तर प्रदेश ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा एडवोकेट, नगर पालिका परिषद धामपुर के अध्यक्ष चौधरी रवि कुमार सिंह, सर्व ब्राह्मण महासभा उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र पराशर, प्रसिद्ध उद्योगपति जितेंद्र शर्मा, एमडी स्वाति गार्डन सूची शर्मा, और दिल्ली से पधारीं राजश्री शर्मा ने विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित होकर फीता काटकर और रंगीन गुब्बारे हवा में छोड़कर शोभायात्रा का संयुक्त रूप से शुभारंभ किया, जिसने कार्यक्रम की भव्यता को और बढ़ा दिया।
@khabreelal_news बिजनौर जनपद के धामपुर नगर में रविवार को ब्राह्मण सभा धामपुर पंजीकृत के तत्वावधान में 25वीं विशाल भगवान परशुराम शोभायात्रा का आयोजन अत्यंत भव्यता और श्रद्धा के साथ किया गया। शोभायात्रा श्री राधा कृष्ण मंदिर, धामपुर से विधिवत रूप से प्रारंभ हुई। pic.twitter.com/GxbM0yvLc7
— MK Vashisth-Managing Editor-Khabreelal Media & PR (@vadhisth) May 4, 2025
पूरे कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिल शर्मा ने कुशलतापूर्वक किया। शोभायात्रा में पधारे सभी मुख्य और विशेष अतिथियों का धामपुर के ब्राह्मण समाज द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। अनिल कुमार शर्मा इंजीनियर, नव चेतन शर्मा, संदीप शर्मा हलवाई, आर्यन दिक्षित, संजीव शर्मा कैटर्स, विवेक शर्मा मोनू, शिवांश शर्मा, लाला शर्मा, विनोद शर्मा रानी बाग, प्रमोद मिश्रा, विनोद शर्मा चंदूलाल, उमाशंकर शर्मा एडवोकेट, यतींद्र एडवोकेट, महेश मिश्रा, मुकेश शर्मा हलवाई, राशि चमोली, प्रदेश भारद्वाज, तुषार शर्मा, धर्मवीर शर्मा, राजेंद्र वशिष्ठ, आकाश शर्मा, दीपक शर्मा सहित अनेक सदस्यों ने अतिथियों को फूल मालाएं पहनाईं, पटका ओढ़ाया, पगड़ी बांधी और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया। इस आयोजन को सफल बनाने में परितोष शास्त्री, दाऊ शर्मा, दिनेश चंद्र अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, विजय जैन, और हरिद्वार से आए तीर्थ प्रकाश लोदी का भी विशेष सहयोग रहा।
शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण इसका विविध स्वरूप था। सबसे आगे चल रहे भगवान परशुराम अखाड़े ने दर्शकों में जोश भर दिया। अखाड़े में पुरुषों और महिलाओं ने अपनी शारीरिक क्षमता और पारंपरिक शस्त्र कला का प्रदर्शन करते हुए हैरतअंगेज करतब दिखाए। तलवारबाजी, लाठी संचालन और अन्य प्राचीन युद्ध कलाओं के प्रदर्शन ने लोगों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। अखाड़े में भाग लेने वालों में सरस्वती कौशिक, मिथलेश शर्मा, संजय कात्यायन एडवोकेट, मनोज कात्यायन, आदित्य शर्मा, सोनू शर्मा, बिट्टू शर्मा, संयम जैन आदि के करतब विशेष रूप से सराहे गए।
पूरे रास्ते शोभायात्रा के साथ बज रहे भक्ति संगीत और भगवान परशुराम के जयकारों ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। श्रद्धालुओं ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया। शोभायात्रा के अंतिम छोर पर सुसज्जित और आकर्षक ढंग से सजाया गया भगवान परशुराम का भव्य सिंहासन और नन्हे लड्डू गोपाल का मनमोहक डोला शोभायात्रा के प्रमुख आकर्षण रहे। इनकी सुंदरता और पालकी की सजावट श्रद्धालुओं के बीच विशेष चर्चा का विषय बनी रही।
इस 25वीं विशाल शोभायात्रा में केवल धामपुर नगर के ही नहीं, बल्कि स्योहारा, शेरकोट, हरिद्वार और आसपास के अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के लोगों ने सपरिवार भाग लिया, जिससे यह आयोजन क्षेत्र की एकता और धार्मिक आस्था का प्रतीक बन गया। शोभायात्रा का सफल आयोजन धामपुर के ब्राह्मण समाज के अथक प्रयासों और सामूहिक भावना का परिणाम था, जिसने एक बार फिर भगवान परशुराम के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और गौरवशाली परंपरा को प्रदर्शित किया।
