बिजनौर: हाईवे पर डंप की गई गंगा की रेत, अब उसमें निकल रहे कछुए; हजारों की मौत; जानें क्या है वजह
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में खनन माफिया ने गंगा की रेत से सड़क को पाट दिया है। जिसकी वजह से रेत के साथ हजारों कछुओं के अंडे भी आ गए। अब अंडों से बच्चे निकलकर हाईवे पर मर रहे हैं।
Updated: Jan 20, 2025, 17:58 IST
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उत्तर प्रदेश के बिजनौर में फोरलेन हाईवे के निर्माण के लिए पोकलेन मशीन से गंगा से रेत निकाली जा रही है। इस रेत का इस्तेमाल हाईवे को भरने में किया जा रहा है। जब यह रेत निर्माण स्थल पर लाई गई तो इसके साथ हजारों कछुओं के अंडे भी आ गए। रेत के साथ हजारों कछुओं के अंडे भी आ गए। अब इन अंडों से कछुए निकल रहे हैं और बेवजह मारे जा रहे हैं। READ ALSO:-बिजनौर : धामपुर में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, एक के पैर में लगी गोली, दो फरार
मेरठ से बहसूमा, बिजनौर, नजीबाबाद होते हुए कोटद्वार पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण चल रहा है। बहसूमा से बिजनौर तक हाईवे निर्माण को हस्तिनापुर वन्यजीव अभ्यारण्य के कारण संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इनका निर्माण वन्यजीव संरक्षण मानकों को अपनाते हुए किया जाना है। हाईवे निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने वन विभाग की लापरवाही और मिलीभगत से बिजनौर में ही गंगा नदी में ही पोकलेन मशीन डालकर गंगा की खुदाई शुरू कर दी। शाम होते ही सैकड़ों ट्रालियों और डंपरों से रेत भरकर सड़क किनारे डाली जाने लगी। दिनभर ठेकेदार स्क्रैपर से रेत को समतल करते रहे।
जब बिजनौर प्रशासन को गंगा की खुदाई और वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र में रेत भरवाने की जानकारी हुई तो खनन अधिकारी सुभाष रंजन और वन रेंजर महेश गौतम ने निर्माण कंपनी को नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि रेत खनन, परिवहन और भंडारण से संबंधित आवश्यक दस्तावेज मांगे गए हैं। जिस पर निर्माण कंपनी के प्रतिनिधि कोई वैध कागजात नहीं दिखा सके। जिस पर बिजनौर खनन विभाग ने भराव कर रही केसीआर कंपनी को एक करोड़ रुपये जुर्माना जमा कराने का नोटिस दिया है।
क्या बोले डीएफओ?
बिजनौर वन विभाग के डीएफओ ज्ञान सिंह ने बताया कि अभ्यारण्य क्षेत्र में अवैध खनन, परिवहन और भंडारण के आरोप में बिजनौर रेंजर ने केसीआर कंपनी के खिलाफ वन अपराध का मामला दर्ज कराया है। एनएचआई से भी जवाब मांगा गया है। इसके साथ ही वन संरक्षक ने लापरवाही के आरोप में मुजफ्फरनगर जिले की जानसठ रेंज के रेंजर रविकांत को निलंबित कर दिया है।
बिजनौर वन विभाग के डीएफओ ज्ञान सिंह ने बताया कि अभ्यारण्य क्षेत्र में अवैध खनन, परिवहन और भंडारण के आरोप में बिजनौर रेंजर ने केसीआर कंपनी के खिलाफ वन अपराध का मामला दर्ज कराया है। एनएचआई से भी जवाब मांगा गया है। इसके साथ ही वन संरक्षक ने लापरवाही के आरोप में मुजफ्फरनगर जिले की जानसठ रेंज के रेंजर रविकांत को निलंबित कर दिया है।
मुख्य बिंदु:
- अवैध रेत खनन: बिजनौर में फोर लेन हाईवे निर्माण के लिए गंगा नदी से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन किया जा रहा है।
- कछुओं के अंडे: खनन के दौरान हजारों कछुओं के अंडे भी निकाले गए हैं और इन अंडों से निकले बच्चे मारे जा रहे हैं।
- वन्यजीव संरक्षण: यह क्षेत्र हस्तिनापुर वाइल्ड लाइफ सैंचुरी के निकट होने के कारण वन्यजीव संरक्षण के लिए संवेदनशील है।
- प्रशासनिक कार्रवाई: खनन विभाग और वन विभाग ने कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की है और जुर्माना लगाया है।
विश्लेषण:
यह घटना वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है। अवैध रेत खनन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी खतरा पैदा करता है। कछुओं के अंडों और नवजात बच्चों की मौत इस बात का प्रमाण है कि विकास के नाम पर प्रकृति का कितना बड़ा नुकसान हो रहा है।
चिंता के बिंदु:
- कानून का उल्लंघन: कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा वन्यजीव संरक्षण कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।
- प्रशासन की भूमिका: प्रशासन की ढिलाई के कारण यह घटना हुई है।
- कछुओं का संरक्षण: कछुओं के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
- पर्यावरणीय क्षति: गंगा नदी के पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
संभावित परिणाम:
- कानूनी कार्रवाई: कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
- पर्यावरणीय पुनर्वास: क्षतिग्रस्त क्षेत्र का पुनर्वास किया जाना चाहिए।
- कछुओं का संरक्षण: कछुओं के संरक्षण के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए।
- जागरूकता: लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
आगे के कदम:
- सख्त कानून: अवैध रेत खनन को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
- प्रवर्तन: कानूनों का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन: किसी भी विकास परियोजना को शुरू करने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन किया जाना चाहिए।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को पर्यावरण संरक्षण में शामिल किया जाना चाहिए।
क्या दोषियों को सजा मिलेगी?
भरने के लिए लाई गई गंगा की रेत में कछुओं के अंडे भी मिल जाने से इन अंडों से पैदा हुए नवजात बच्चे अब मरने लगे हैं। कछुए नवंबर-दिसंबर में अंडे देते हैं और जनवरी में अंडों से बच्चे निकल आते हैं। यही कारण है कि अब भरे गए रेत के ढेर में बच्चे कछुए घूमते नजर आते हैं। दूसरी ओर खनन विभाग द्वारा अवैध खनन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने और वन विभाग द्वारा वन अपराध का मामला दर्ज करने के बाद भराव करने वाली केसीआर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने रेत को ढकने के लिए ऊपर से मिट्टी की परत चढ़ाना शुरू कर दिया है। बड़ा सवाल यह है कि क्या हजारों कछुओं को मारने वालों को कभी सजा मिलेगी?
भरने के लिए लाई गई गंगा की रेत में कछुओं के अंडे भी मिल जाने से इन अंडों से पैदा हुए नवजात बच्चे अब मरने लगे हैं। कछुए नवंबर-दिसंबर में अंडे देते हैं और जनवरी में अंडों से बच्चे निकल आते हैं। यही कारण है कि अब भरे गए रेत के ढेर में बच्चे कछुए घूमते नजर आते हैं। दूसरी ओर खनन विभाग द्वारा अवैध खनन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने और वन विभाग द्वारा वन अपराध का मामला दर्ज करने के बाद भराव करने वाली केसीआर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने रेत को ढकने के लिए ऊपर से मिट्टी की परत चढ़ाना शुरू कर दिया है। बड़ा सवाल यह है कि क्या हजारों कछुओं को मारने वालों को कभी सजा मिलेगी?
यह घटना हमें याद दिलाती है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
