बिजनौर: मां के सामने आवारा कुत्तों के झुंड ने नोच डाली 6 साल की मासूम, दिल दहला देने वाली घटना से दहला इलाका
मां की आंखों के सामने 6 साल की मासूम को 12 आवारा कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला, शरीर का एक हिस्सा भी सलामत नहीं बचा
Updated: Jun 6, 2025, 19:21 IST
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बिजनौर के अफजलगढ़ में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां आवारा कुत्तों के एक झुंड ने 6 साल की मासूम यासमीन को उसकी मां की आंखों के सामने ही नोच-नोच कर मार डाला। यह वीभत्स मंजर देखने के बाद मां सदमे में हैं और पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।Read also:-मेरठ में 'घरवाली' ने पकड़ी 'बाहरवाली': हाई-वोल्टेज ड्रामा, पत्नी को पीटा और जान लेने की कोशिश!
दूध लेने गई थी बेटी, घर लौटने से पहले काल का ग्रास बनी
यह अभागी घटना गुरुवार सुबह करीब 7 बजे की है। अफजलगढ़ थाना क्षेत्र की फैजी कॉलोनी में रहने वाली यासमीन अपनी मां गुलशन जहां के साथ दुकान से दूध लेने गई थी। घर लौटते समय, घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर मां गुलशन जहां थोड़ी आगे निकल गईं और यासमीन पीछे रह गईं। इसी पल का फायदा उठाकर 10-12 आवारा कुत्तों के एक खूंखार झुंड ने अकेली यासमीन को घेर लिया और उस पर जानलेवा हमला कर दिया।
चीखें सुनकर दौड़ी मां, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी
कुत्तों ने बच्ची को करीब 5 मिनट तक बुरी तरह नोंचा। बच्ची के शरीर पर 50 से ज़्यादा जगह काटे जाने के निशान थे। कुत्तों ने यासमीन का पूरा कान और सिर से काफी मांस खा लिया था। उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं बचा था और ऐसा कोई हिस्सा नहीं था जहां काटने के निशान न हों। बच्ची की चीखें सुनकर मां गुलशन जहां ने शोर मचाया। उनकी आवाज़ सुनकर पीछे से कुछ मज़दूर दौड़े और उन्होंने ईंट-पत्थर मारकर कुत्तों को भगाया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यासमीन गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी। परिजन उसे तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
"मेरी आंखों के सामने मेरी बच्ची को कुत्ते खा गए!" - बिलखती मां का दर्द
मां गुलशन जहां का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया, "सुबह घर पर नाश्ता बनाने की तैयारी कर रही थी। चाय बनाने के लिए दूध नहीं था तो मैंने सोचा दुकान से खुद ही दूध ले आती हूं। यासमीन मेरी सबसे छोटी और प्यारी बेटी थी। वह भी साथ चलने की जिद करने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और दुकान की तरफ गई। वहां से दूध लेकर घर लौट रही थी। घर के पास तक वह मेरे साथ ही चल रही थी। घर पास आया तो मैं थोड़ा तेज चलने लगी, बच्ची थोड़ा सा पीछे रह गई। मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया कि अब तो वह वापस आ जाएगी। 5 मिनट तक बच्ची नहीं आई तो मैंने देखा पीछे से शोर आ रहा था।"
"10 से 12 कुत्तों ने यासमीन को घेरा हुआ था और उसे नोच रहे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं मदद के लिए चिल्लाने लगी और कुत्तों पर ईंट-पत्थर मारने लगी। पीछे से आ रहे कुछ लोगों ने भी मेरी मदद की और कुत्तों को भगाया। मेरी आंखों के सामने मेरी बच्ची को कुत्ते खा गए। मुझे पछतावा हो रहा है कि मैंने उसे 5 मिनट के लिए भी अकेला क्यूं छोड़ा। उसे साथ लेकर घर आती तो आज मेरी बच्ची मेरे साथ होती।"
बेहद दयनीय है परिवार की आर्थिक स्थिति
मृतक बच्ची यासमीन के पिता महमूद मजदूरी करते हैं, वहीं मां गुलशन जहां शादियों में बर्तन धोने का काम करती हैं। यासमीन भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। उससे बड़ी एक बहन और 6 भाई हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर है और कोई भी बच्चा पढ़ाई नहीं कर पाता है।
ग्राम पंचायत क्षेत्र का मामला, स्थानीय लोग मांग रहे हैं निजात
इस मासूम की मौत से पूरे इलाके में मातम पसरा है। स्थानीय लोगों ने नगर पालिका और प्रशासन से आवारा कुत्तों की समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। यह भी बताया गया कि लगभग 4 महीने पहले अफजलगढ़ थाना क्षेत्र के ही रसूलपुर आबाद गांव में भी कुत्तों के हमले में एक बच्चे की मौत हो गई थी।
नगर पालिका अफजलगढ़ के अधिशासी अधिकारी का कहना है कि यह क्षेत्र नगर पालिका की सीमा से बाहर है और ग्राम पंचायत का क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि कुत्तों पर कार्रवाई ग्राम पंचायत स्तर से की जाएगी।
यह घटना एक बार फिर आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे और प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस कदम उठाएगा ताकि ऐसी हृदय विदारक घटनाएं दोबारा न हों?
