चारधाम यात्रा से पहले खतरे की घंटी: बिजनौर में इक्वाइन इनफ्लूएंजा के दो नए मामले, पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर
उत्तराखंड जाने वाले अश्व प्रजाति के पशुओं की होगी सख्त स्क्रीनिंग, लक्षण मिलने पर निगेटिव रिपोर्ट के बावजूद नहीं मिलेगा परमिट
Updated: May 3, 2025, 18:53 IST
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बिजनौर: उत्तराखंड में आस्था की प्रतीक चारधाम यात्रा शुरू होने से ऐन पहले, बिजनौर जिले में अश्व प्रजाति के पशुओं में फैल रहा 'इक्वाइन इंफ्लूएंजा' का संक्रमण पशुपालकों और प्रशासन दोनों के लिए चिंता का सबब बन गया है। जिले में साहनपुर क्षेत्र में एक और खच्चर में इस बीमारी की पुष्टि हुई है, जिससे संक्रमित पशुओं की संख्या बढ़कर दो हो गई है। यह देखते हुए पशुपालन विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है और चारधाम यात्रा पर जाने वाले पशुओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी नियमों को और भी सख्त कर दिया गया है।READ ALSO:-मेरठ का 'प्रांतीय गौरव' सजने लगा: नौचंदी मेला 15 मई से, DM की माइक्रो-प्लानिंग शुरू
यात्रा के लिए अश्व प्रजाति का महत्व:
यह सर्वविदित है कि चारधाम यात्रा के दौरान, खासकर केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे दुर्गम पहाड़ी मार्गों पर, घोड़े, खच्चर और गधे (अश्व प्रजाति के पशु) यात्रियों के आवागमन और सामान ढुलाई के लिए लाइफलाइन का काम करते हैं। बिजनौर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई पशुपालकों के लिए यह कुछ महीनों का समय उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत होता है।
उत्तराखंड से उपजा खतरा और प्रारंभिक रोकथाम:
पिछले महीने उत्तराखंड में अश्व प्रजाति के पशुओं में इक्वाइन इंफ्लूएंजा के मामले सामने आने के बाद, संभावित प्रसार को रोकने के लिए बिजनौर जैसे सीमावर्ती जिलों से उत्तराखंड में पशुओं के प्रवेश पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया था। बाद में, यह नियम बनाया गया कि उत्तराखंड जाने वाले हर अश्व प्रजाति के पशु का रक्त नमूना हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (NRCE) की लैब में जांचा जाएगा और केवल 'इक्वाइन इंफ्लूएंजा निगेटिव' रिपोर्ट वाले पशुओं को ही यात्रा के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
बिजनौर में वर्तमान स्थिति और नए नियम: मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. लोकेश अग्रवाल ने पुष्टि की है कि साहनपुर में एक और खच्चर में इक्वाइन इंफ्लूएंजा का संक्रमण पाया गया है। इसके साथ ही जिले में अब दो खच्चर इस रोग से प्रभावित हो गए हैं। दोनों संक्रमित खच्चरों को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग आइसोलेशन में रखा गया है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि विभाग पूरी सतर्कता बरत रहा है और स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है। उन्होंने यात्रा पर जाने वाले पशुओं के संबंध में नए और कड़े नियम के बारे में बताया कि अब निगेटिव लैब रिपोर्ट होने के बावजूद, यदि किसी पशु में बुखार या नाक बहने जैसे इक्वाइन इंफ्लूएंजा के स्पष्ट लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे उत्तराखंड में प्रवेश के लिए आवश्यक स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा। यह कदम यात्रा मार्ग पर बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है।
इक्वाइन इंफ्लूएंजा के लक्षण और बचाव के उपाय:
इक्वाइन इंफ्लूएंजा से संक्रमित पशुओं में मुख्य रूप से तेज बुखार, नाक से लगातार स्राव (बहना) और शारीरिक कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, इस बीमारी में मृत्यु दर काफी कम होती है और उचित उपचार मिलने पर अधिकांश पशु 7 से 10 दिनों में रिकवर हो जाते हैं।
इस बीमारी से बचाव के लिए स्वच्छता और सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। संक्रमित पशु को तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। उनके खाने-पीने के बर्तनों और चारे को साझा नहीं करना चाहिए, क्योंकि संक्रमण जूठे चारे और पानी के माध्यम से फैल सकता है। बीमार पशु का इलाज किसी योग्य पशु चिकित्सक से करवाना चाहिए और उसे संतुलित व पौष्टिक आहार देना चाहिए ताकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो।
मकसूदपुर में सैंपल संग्रह में बाधा:
संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों के बीच, स्योहारा क्षेत्र के मकसूदपुर गाँव से एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। हिसार की लैब से पहले भेजे गए नमूनों की रिपोर्ट के आधार पर लखनऊ से सीएमओ कार्यालय की आईडीएसपी (Integrated Disease Surveillance Programme) जिला सर्विलांस इकाई को सूचना मिली थी कि गाँव की चार घोड़ियाँ इक्वाइन इंफ्लूएंजा से संक्रमित हैं। सीएमओ के निर्देश पर, आईडीएसपी टीम, जिसमें जिला पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. प्रतीक किशोर और एपिडेमियोलॉजिस्ट सैयद अली शाकिर शामिल थे, शुक्रवार को गाँव में इन घोड़ियों के दोबारा सैंपल लेने पहुँची। हालाँकि, घोड़ी मालिकों ने यह कहते हुए सैंपल देने से मना कर दिया कि उनकी घोड़ियां अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं, जिसके कारण टीम को बिना सैंपल लिए ही वापस लौटना पड़ा। पशु मालिकों का यह रवैया संक्रमण के सही आकलन और रोकथाम के प्रयासों को प्रभावित कर सकता है।
बिजनौर पशुपालन विभाग यात्रा पर जाने वाले सभी पशुपालकों से लगातार संपर्क में है और उनसे अपील कर रहा है कि वे अपने पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति पूरी तरह सतर्क रहें और किसी भी असामान्य लक्षण दिखने पर तत्काल विभाग को सूचित करें, ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें और चारधाम यात्रा सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
