❤️नफरत के दौर में मोहब्बत की मिसाल: बिजनौर में मुस्लिम व्यापारी ने हिंदू रीति-रिवाज से कराई 'बेटी' की शादी
🌸 24 साल से कर्मचारी रहे गौतम की बेटी की शादी मुस्लिम व्यापारी ने कराई, सभी रस्में हिंदू रीति-रिवाज से निभाईं, बोले—'राखी मेरी बेटी है'
May 2, 2025, 00:05 IST
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बिजनौर: जहां आज के दौर में समाज में कई जगहों पर नफरत और बंटवारे की बातें सुनने को मिलती हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इंसानियत और मोहब्बत की मिसाल कायम करते हैं। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के किरतपुर कस्बे में हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की एक ऐसी ही अनूठी मिसाल देखने को मिली है, जिसने सबका दिल जीत लिया है। यहां एक मुस्लिम व्यापारी ने अपने हिन्दू कर्मचारी की बेटी की शादी न सिर्फ पूरे हिन्दू रीति-रिवाज से धूमधाम के साथ कराई, बल्कि शादी का पूरा खर्चा भी खुद उठाया।READ ALSO:-चार धाम यात्रा 2025: उत्तराखंड सरकार का बड़ा दावा, 'यात्रियों को नहीं होगी कोई परेशानी, हर पहलू पर है नजर'
24 साल का रिश्ता, कर्मचारी नहीं, परिवार का हिस्सा
यह दिल छू लेने वाला मामला किरतपुर कस्बे के मोहल्ला काजियान का है। यहां के प्रतिष्ठित लोहा व्यापारी सफदर नवाज खां की प्रतिष्ठान पर पिछले 24 वर्षों से कस्बा निवासी गौतम कुमार काम करते आ रहे हैं। समय के साथ मालिक और कर्मचारी का यह रिश्ता इतना गहरा और मजबूत हो गया कि गौतम और उनका पूरा परिवार सफदर नवाज खां को अपने परिवार का हिस्सा मानने लगा। गौतम के परिवार में उनकी चार बेटियां और एक बेटा है, और यह रिश्ता इतना गहरा है कि गौतम के सभी बच्चे सफदर नवाज खां को प्यार और सम्मान से 'बड़े पापा' कहकर पुकारते हैं। सफदर नवाज खां भी इन बच्चों को अपने बच्चों की तरह ही मानते हैं।
'बड़े पापा' ने उठाई बेटी की शादी की जिम्मेदारी
जब गौतम की सबसे बड़ी बेटी राखी की शादी का समय आया, तो शायद परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अधिक धूमधाम से शादी करने की इजाजत नहीं दे रही थी। ऐसे में, 'बड़े पापा' सफदर नवाज खां खुद आगे आए। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के राखी की शादी का पूरा खर्च उठाने और अपनी बेटी की तरह ही उसका कन्यादान करने का फैसला किया। उनका यह फैसला इस गहरे रिश्ते और इंसानियत की बेहतरीन मिसाल थी।
हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों ने किया बारात का स्वागत
राखी की बारात लखीमपुर खीरी से आई थी। शादी समारोह का आयोजन मंडावर रोड स्थित एक बैंक्वेट हॉल में किया गया था। जब दूल्हा शिवम कुमार बारात लेकर बैंक्वेट हॉल पहुंचा तो उनका भव्य स्वागत किया गया। इस स्वागत समारोह में न केवल हिन्दू समुदाय के लोग शामिल थे, बल्कि मुस्लिम समाज के लोगों ने भी पूरे दिल से बारातियों का स्वागत किया। बारातियों को गुलदस्ते देकर सम्मानित किया गया, मिठाइयां बांटी गईं और सभी ने गले मिलकर नव वधू और वर पक्ष को बधाई दी। शादी समारोह में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए और इस अनूठे पल की याद में तस्वीरें भी खिंचवाईं, जो गंगा-जमुनी तहजीब की असली तस्वीर पेश कर रही थीं।
हिन्दू रीति-रिवाज से हुई शादी, 'बड़े पापा' ने किया कन्यादान
सफदर नवाज खां ने सुनिश्चित किया कि राखी की शादी की सभी रस्में हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार ही संपन्न हों। पंडित सुभाष खन्ना ने पूरे विधि-विधान से यज्ञ कराया और फेरों की प्रक्रिया पूरी कराई। शादी की सबसे महत्वपूर्ण और भावुक रस्म कन्यादान में भी 'बड़े पापा' सफदर नवाज खां ने अपनी पत्नी के साथ हिस्सा लिया। उन्होंने ठीक उसी तरह राखी का कन्यादान किया, जैसे कोई पिता अपनी बेटी का करता है।
विदा करते समय भावुक हुए 'बड़े पापा'
शादी के बाद जब दुल्हन राखी को विदा करने का समय आया, तो यह पल सभी के लिए भावुक कर देने वाला था। 'बड़े पापा' सफदर नवाज खां की आंखों में खुशी के साथ-साथ अपनी 'बेटी' को विदा करने का दर्द भी साफ झलक रहा था। उन्होंने नम आंखों से कहा, "राखी मेरी अपनी बेटी जैसी है। उसे विदा करते हुए दिल बहुत भारी हो गया।"
किराए का मकान भी दिया, बेटियों की पढ़ाई का भी खर्च
सफदर नवाज खां का यह रिश्ता केवल शादी तक सीमित नहीं है, बल्कि वह पिछले कई सालों से गौतम कुमार के परिवार का हर तरह से सहारा बने हुए हैं। गौतम का परिवार जिस मकान में रहता है, वह सफदर नवाज खां का ही है और इसका कोई किराया नहीं लिया जाता। इसके अलावा, गौतम की बेटियों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर उनके कपड़े-लत्ते तक का खर्च भी 'बड़े पापा' सफदर खुद ही उठाते हैं, जिससे गौतम के परिवार को बहुत बड़ी राहत मिली है।
गौतम और राखी ने जताई असीम कृतज्ञता
गौतम कुमार ने भावुक होते हुए कहा, "अगर सफदर भाई (बड़े पापा) न होते, तो शायद मेरी बेटी राखी की शादी इतनी धूमधाम और इतने अच्छे तरीके से कभी नहीं हो पाती। उन्होंने हमेशा हमें अपना परिवार माना और हर सुख-दुख में हमारे साथ खड़े रहे। उनका एहसान हम कभी नहीं भूल सकते।" दुल्हन राखी ने भी नम आंखों से कहा, "हम सब उन्हें 'बड़े पापा' कहते हैं। उन्होंने जो प्यार, दरियादिली और अपनापन मेरी शादी में दिखाया, वह मेरे लिए जिंदगी भर की सबसे अनमोल याद बन गई है। यह एक ऐसी मिसाल है जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती।"
सफदर नवाज खां का मानवता का संदेश
इस पूरी घटना पर सफदर नवाज खां ने कहा, "राखी सचमुच मेरी बेटी के समान है और उसकी शादी कराना मेरा फर्ज था। मुझे बहुत खुशी है कि मैं यह फर्ज निभा सका। आज जब समाज में कुछ लोग नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे समय में हमें मोहब्बत और इंसानियत की मिसालें कायम करनी चाहिए। यह हमारा देश है, और हमें मिलजुल कर, प्यार से रहना है।" उनका यह बयान मौजूदा दौर में मानवता और भाईचारे का एक सशक्त संदेश है। यह घटना बिजनौर की गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शाती है और दिखाती है कि कैसे इंसानियत और प्रेम के रिश्ते धर्म और जाति की सीमाओं से ऊपर होते हैं।
