यूपी में फिर छिड़ी 'नाम बदलने' की जंग: अलीगढ़ अब 'हरिगढ़' कहलाएगा? सियासी गलियारों में हलचल तेज़!
मुख्यमंत्री से मिला ज़िला पंचायत अध्यक्ष को आश्वासन, जानें किस-किस शहर का नाम बदलने की है तैयारी
Jun 18, 2025, 00:05 IST
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अलीगढ़: उत्तर प्रदेश में शहरों और जिलों के नाम बदलने का सिलसिला एक बार फिर गरमा गया है। इस बार अलीगढ़ को 'हरिगढ़' करने की मांग ने सुर्खियाँ बटोरी हैं। भारतीय जनता पार्टी से ज़िला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह जादौन ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस संबंध में एक प्रस्ताव सौंपा है। मुख्यमंत्री से मिले आश्वासन ने इस मुद्दे पर सियासी बहस को और तेज़ कर दिया है।READ ALSO:-अब प्राइवेट स्कूल होंगे फेल! यूपी के इन जिलों में मेरठ समेत खुल रही सरकारी शिक्षा की 'सुपर चेन', फीस की चिंता होगी खत्म
क्यों बदला जा रहा है अलीगढ़ का नाम? इतिहास और आस्था का संगम
अलीगढ़ का नाम 'हरिगढ़' करने की मांग के पीछे गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तर्क दिए जा रहे हैं।
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ऐतिहासिक 'कोल' से 'अलीगढ़' तक का सफ़र: इतिहासकारों के अनुसार, इस शहर का प्राचीन नाम 'कोल' या 'कोइल' था, जिसके निशान आज भी कोल तहसील और कोल विधानसभा के रूप में मौजूद हैं। 'अलीगढ़' नाम 18वीं सदी में शिया मुस्लिम सरदार मिर्जा नजफ के शासनकाल में पड़ा। उनके सैनिक सालार अफरसियाब खान ने पैगंबर मुहम्मद के दामाद अली के नाम पर इसका नामकरण किया था।
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'हरिगढ़' की मांग का आधार: 'हरिगढ़' नाम की मांग के पीछे मुख्य वजह महान संत स्वामी हरिदास का जन्मस्थान होना है। स्वामी हरिदास, जो बाद में कान्हा की नगरी मथुरा में बस गए थे, अपने अद्वितीय संगीत और आध्यात्मिक साधना के लिए विख्यात हैं। मुग़ल बादशाह अकबर भी उनके संगीत से प्रभावित थे, और महान संगीतकार तानसेन भी उनके शिष्य थे। अलीगढ़ में आज भी स्वामी हरिदास की स्मृति में हरिदासपुर नाम का गाँव मौजूद है, जो इस सांस्कृतिक पहचान को और पुष्ट करता है।
योगी सरकार के एजेंडे में नाम परिवर्तन: किन और शहरों पर है नज़र?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिछले कार्यकाल में कई प्रमुख नाम परिवर्तन हुए, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा:
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मुगलसराय रेलवे स्टेशन बना पं. दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन।
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इलाहाबाद अब प्रयागराज।
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फैजाबाद ज़िला अब अयोध्या।
अब सूत्रों की मानें तो, योगी सरकार 9 और जिलों तथा 2 तहसीलों के नाम बदलने की तैयारी में है। अलीगढ़ के अलावा, इस सूची में संभल, फर्रूखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी, गाजीपुर जैसे प्रमुख ज़िले और देवबंद व रसूलाबाद, सिकंदरा जैसी तहसीलें शामिल हैं।
प्रस्तावों की लंबी फेहरिस्त: कौन सा शहर क्या कहलाएगा?
विभिन्न जिलों से नाम बदलने के कई प्रस्ताव सरकार के पास लंबित हैं:
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फर्रूखाबाद: यहां के सांसद चाहते हैं कि यह 'पांचाल नगर' कहलाए, क्योंकि यह द्रौपदी के पिता द्रुपद के पांचाल राज्य की राजधानी थी।
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सुल्तानपुर: इसे 'कुशभवनपुर' करने का प्रस्ताव है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने इसे बसाया था।
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बदायूं: इसे 'वेद मऊ' करने की मांग।
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फिरोजाबाद: इसे 'चंद्रनगर' करने का प्रस्ताव।
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शाहजहांपुर: इसे 'शाजीपुर' करने की मांग।
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आजमगढ़: 'आर्यमगढ़'।
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मैनपुरी: 'मयानपुरी'।
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संभल: 'कल्कि नगर' या 'पृथ्वीराज नगर'।
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देवबंद: 'देववृंदपुर'।
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गाजीपुर: 'गढ़ीपुरी'।
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आगरा: 'अग्रवन'।
नाम बदलने की जटिल प्रक्रिया: कैसे बदलता है एक शहर का नाम?
किसी शहर या जिले का नाम बदलना एक लंबी और कई चरणों वाली प्रक्रिया है:
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सबसे पहले, संबंधित नगर निगम द्वारा नाम परिवर्तन का एक प्रस्ताव पारित किया जाता है।
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यह प्रस्ताव फिर नगर/शहरी विकास विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है।
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विभाग से मंज़ूरी मिलने के बाद, प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाता है।
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कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद, गजट अधिसूचना जारी कर नाम परिवर्तन की आधिकारिक सूचना दी जाती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि अलीगढ़ सहित इन अन्य जिलों और तहसीलों के नाम बदलने की मांगें कब और कैसे वास्तविकता का रूप लेती हैं। इस पर आपकी क्या राय है?
